धर्म का मर्म समझने से बदलते हैं जीवन के हालात




असीम उर्जा के केंद्र पूजा या प्रार्थना स्थल व्यक्ति को न सिर्फ ईश्वर से जोड़ते हैं बल्कि भेदभाव से रहित सामाजिक एकता के सूत्र में विरुद्ध भी हैं धर्म का असली मर्द यह बात समझने में है कि हम अपने उपासना स्थलों में आस्था रखने के साथ-साथ दूसरों के प्रार्थना स्थलों का भी पूरा सम्मान करें मशहूर शायर व दार्शनिक अल्लामा इकबाल का एक प्रसिद्ध है शेर है कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हम सभी के लिए यह बात कहता है कि कोई भी धर्म हमें कभी भी दूसरे धर्म के लोगों को नफरत की निगाह से देखने को नहीं सिखाता है धर्म का अर्थ है प्रेम और सौहार्द की बात करना क्योंकि मन ही मंदिर है मन ही मस्जिद और गिरजाघर फिर भी पूजा और उपासना स्थल के लिए यह लड़ाइयां और धर्म युद्ध होते हैं 1947 में भारत पाकिस्तान के बीच बंटवारे को लेकर जब संपूर्ण देश जल रहा था तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने संपूर्ण देशवासियों से यही बात पूछी थी उनका या प्रश्न था जब हम देश-दुनिया की खबरों में या पढ़ते हैं और देखते हैं कि किसी एक धर्म के अनुयाई दूसरे धर्म की पूजा स्थल को देते हैं जो सरासर गलत है महात्मा गांधी ने कहा था कि पूजा और उपासना स्थल का महत्व और बढ़ जाता है जब वहां सामूहिक प्रार्थना और साधना की जाती है मेरा राम पुस्तक में महात्मा गांधी ने लिखा है कि प्रार्थना लोगों को एक साथ रखने वाली सबसे बड़ी ताकत है जो आदमी प्रार्थना के जरिए  सब के साथ अपनी एकता को पहचान लेता है वह सबको अपने जैसा ही मानने लगता है ऐसी हालात में उसके मन में ना तो ऊंच-नीच की दुर्भावना होगी और ना ही राज्य या देश का भेदभाव और वह सभी व्यक्तियों को ईश्वर का ही रूप मानकर देखेगा ओशो ने भी पूजा स्थल के बारे में कहा है कि यदि आप ईश्वर की उपासना करना चाहते हैं तो उसका सर्वोच्च तरीका ध्यान है लेकिन पूजा स्थल पर भी आप स्वयं को ईश्वर से जोड़ने की ही कोशिश करते हैं यह आप पर ही निर्भर करता है कि इस कोशिश में आप कितने कामयाब होते हैं ।





पिछले कुछ सालों से तकनीक और खास प्रकार के विचारों में संपूर्ण मानव जाति की जीवन शैली में परिवर्तन कर दिया है अब उसके हर कार्य यहां तक कि चलने फिरने की गति और सीमा को भी तकनीक देने लगी है ऐसी स्थिति में पूजा स्थलों का महत्व और अधिक बढ़ जाता है पूजा स्थल पर सिर्फ स्वयं को ईश्वर से जोड़ने का ही नहीं बल्कि देश और समाज के लिए एक होने का माध्यम भी बन जाता है प्रार्थना स्थल के महत्व को रेखांकित करने के लिए हाल ही में बढ़ाई आफ इंडिया संस्था द्वारा अलग-अलग धर्मों के आध्यात्मिक गुरुओं और विद्वानों की एक सभा आयोजित की गई इस समारोह में बढ़ाई धर्म के प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभाने वाली कार में पार्टी ने कहा भले ही ध्यान लगाने के लिए पूजा स्थल की जरूरत पड़े लेकिन लोगों में एकता की प्रेरणा देने के लिए एक शक्तिशाली आवश्यक है।