नए ट्रैफिक नियमों के बाद सड़क पर निकलने वालों में दिखने लगा दबाव




देश भर में ट्रैफिक नियमों को लेकर आए नए आदेशों के बाद सड़क पर निकलने वाले वाहन चालकों की सोच में बदलाव दिखने लगा है। नए नियमों के प्रति आम लोगों में जागरूकता को लेकर इसके लिए लगातार अभियान भी चलाया जा रहा है जबकि सरकारी विभागों के स्तर पर चलने वाले वाहनों में मानक पूरे नहीं किए गए हैं

 सच यह है की अधिकतर रोडवेज बसों में चालकों की सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों के पालन के लिए सीट बेल्ट नहीं हैं ! इधर, निजी बसों में सीट बेल्ट की सुविधा होने के बाद भी प्राय: चालक इसका प्रयोग नहीं कर रहे हैं ! ऐसे में सरकारी वाहनों का चालान होगा या नहीं, यह सवाल अब आमजन उठाने लगा है! एक सितंबर से पूरे देश में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर नए हिसाब से जुर्माना लगाने का नियम शुरु किया गया है!

गरीब होना दुर्भाग्य और अमीर होना सौभाग्य

लक्जरी चारपहिया वाहन जिसकी कीमत लाखों और करोड़ रुपये है उसको विभागीय कर्मचारी सक्रियता से रिश्ता निभाते हुये कोई भी मूलभूत मानक नहीं होने पर चालान नहीं काटते, है नियम कानून सिर्फ उन शहरी और ग्रामीण के लिए ही क्यों प्रयोग किया जा रहा है जो रोजमर्रा की जिंदगी से जूझते हुए दो-दो हाथ कर रहे हैं !जुर्माना की धनराशि में दस गुना तक इजाफा हुआ है। जिसके चलते कुछ क्षेत्रों में इन नियमों को वापस लेने के लिए विरोध भी किया जा रहा है।
लेकिन सरकार अभी भी अपने बनाए नियमों पर डटी हुई है और नियम तोड़ने वालों पर लगातार जुर्माना भी किए जा रहे हैं ! लेकिन रोडवेज विभाग की बसों को ही मानकों के अनुरूप तैयार नहीं किया है !
 अधिकतर रोडवेज की बसों में चालकों की सुरक्षा के लिए सीट बेल्ट ही नहीं है ! इसके अलावा चालक के पास की परिचालक की सीट व अन्य यात्रियों की सीट के लिए कोई पर्याप्त इंतजाम नहीं है! बनी स्थिति में बेशक ही रोडवेज बसों के चालक इस बात को लेकर परेशान हैं कि यदि पुलिस द्वारा सीट बेल्ट न लगाने का चालान किया जाता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ?

क्या चालकों को ही इसका जुर्माना भुगतना होगा या फिर जुर्माना की धनराशि सरकार द्वारा देय होगी ! चूंकि, गाड़ी में तो इसका प्रावधान ही नहीं है !
इसी तरह निजी बसों में सीट बेल्ट तो है,लेकिन फिर भी चालक उसका प्रयोग नहीं करते हैं ।
 ऐसे में पुलिस द्वारा बिना सीट बेल्ट वाहन चलाने वाले चालकों का चालान किया जा सकता है ! यही नहीं सरकारी विभाग और पुलिस विभाग के जितनी भी गाड़ियां चल रही हैं। आलम यह है कि कर्मचारियों के द्वारा ट्रैफिक मानक के अनुसार कोई भी नियम फॉलो नहीं किया जाता ऐसे कई उदाहरण आपको सड़क पर देखने को  हमेसा मिल जाएगा !
दूसरे को जगायेंगे देश का राजस्व बढ़ाएंगे लेकिन खुद देश में लूटपाट मचाएंगे, यही सच के साथ सरकार जागरूकता को फैला रही है !!