आज का हिंदू पंचांग पण्डित विश्णु जोशी की कलम से





🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~
🌞पं. विष्णु जोशी  7905156547
⛅ *दिनांक 16 अक्टूबर 2019*
⛅ *दिन - बुधवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2076 (गुजरात. 2075)*
⛅ *शक संवत -1941*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शरद*
⛅ *मास - कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन )*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - तृतीया पूर्ण रात्रि  तक*
⛅ *नक्षत्र - भरणी दोपहर 02:22 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
⛅ *योग - सिद्धि 17 अक्टूबर प्रातः 04:48 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
⛅ *राहुकाल - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:39 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:35*
⛅ *सूर्यास्त - 18:13*
⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - तृतीया वृद्धि तिथि*
💥 *विशेष - तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
               🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *व्यतिपात योग* 🌷
🙏🏻 *व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायाम , माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।*
🙏🏻 *वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।*
🙏🏻 *व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुए नाराज हुए, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नहीं दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नहीं थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसू बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।*
💥 *विशेष ~ 17 अक्टूबर 2019 गुरुवार प्रातः 04:49 से 18 अक्टूबर शुक्रवार को प्रातः 04:16 तक व्यतिपात योग है।*
               🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *कार्तिक में दीपदान* 🌷
👉🏻 *गताअंक से आगे .....*
🔥 *दीपदान कहाँ करें* 🔥
🙏🏻 *देवालय (मंदिर) में, गौशाला में, वृक्ष के नीचे, तुलसी के समक्ष, नदी के तट पर, सड़क पर, चौराहे पर, ब्राह्मण के घर में, अपने घर में ।*
🙏🏻 *अग्निपुराण के 200 वे अध्याय के अनुसार*
🌷 **देवद्विजातिकगृहे दीपदोऽब्दं स सर्वभाक्*
➡ *जो मनुष्य देवमन्दिर अथवा ब्राह्मण के गृह में दीपदान करता है, वह सबकुछ प्राप्त कर लेता है। पद्मपुराण के अनुसार मंदिरों में और नदी के किनारे दीपदान करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। दुर्गम स्थान अथवा भूमि पर दीपदान करने से व्यक्ति नरक जाने से बच जाता है।*
🔥 *जो देवालय में, नदी के किनारे, सड़क पर दीप देता है, उसे सर्वतोमुखी लक्ष्मी  प्राप्त होती है। कार्तिक में प्रतिदिन दो दीपक जरूर जलाएं। एक श्रीहरि नारायण के समक्ष तथा दूसरा शिवलिंग के समक्ष ।*
🙏🏻 *पद्मपुराण के अनुसार*
🌷 *तेनेष्टं क्रतुभिः सर्वैः कृतं तीर्थावगाहनम्। दीपदानं कृतं येन कार्तिके केशवाग्रतः।।*
➡ *जिसने कार्तिक में भगवान् केशव के समक्ष दीपदान किया है, उसने सम्पूर्ण यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया और समस्त तीर्थों में गोता लगा लिया।*
🙏🏻 *ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है जो कार्तिक में श्रीहरि को घी का दीप देता है, वह जितने पल दीपक जलता है, उतने वर्षों तक हरिधाम में आनन्द भोगता है। फिर अपनी योनि में आकर विष्णुभक्ति पाता है; महाधनवान नेत्र की ज्योति से युक्त तथा दीप्तिमान होता है।*
🙏🏻 *स्कन्दपुराण माहेश्वरखण्ड-केदारखण्ड के अनुसार*
🌷 *ये दीपमालां कुर्वंति कार्तिक्यां श्रद्धयान्विताः॥*
*यावत्कालं प्रज्वलंति दीपास्ते लिंगमग्रतः॥*
*तावद्युगसहस्राणि दाता स्वर्गे महीयते॥*
➡ *जो कार्तिक मास की रात्रि में श्रद्धापूर्वक शिवजी के समीप दीपमाला समर्पित करता है, उसके चढ़ाये गए वे दीप शिवलिंग के सामने जितने समय तक जलते हैं, उतने हजार युगों तक दाता स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है।*
🙏🏻 *लिंगपुराण के अनुसार*
🌷 *कार्तिके मासि यो दद्याद्धृतदीपं शिवाग्रतः।।*
*संपूज्यमानं वा पश्येद्विधिना परमेश्वरम्।।*
➡ *जो कार्तिक महिने में शिवजी  के सामने घृत का दीपक समर्पित करता है अथवा विधान के साथ पूजित होते हुए परमेश्वर का दर्शन श्रद्धापूर्वक करता है, वह ब्रह्मलोक को जाता है।*
🌷 *यो दद्याद्धृतदीपं च सकृल्लिंगस्य चाग्रतः।।*
*स तां गतिमवाप्नोति स्वाश्रमैर्दुर्लभां रिथराम्।।*
➡ *जो शिव के समक्ष एक बार भी घृत का दीपक अर्पित करता है, वह वर्णाश्रमी लोगों के लिये दुर्लभ स्थिर गति प्राप्त करता है।*
🌷 *आयसं ताम्रजं वापि रौप्यं सौवर्णिकं तथा।।*
*शिवाय दीपं यो दद्याद्विधिना वापि भक्तितः।।*
*सूर्यायुतसमैः श्लक्ष्णैर्यानैः शिवपुरं व्रजेत्।।*
➡ *जो विधान के अनुसार भक्तिपूर्वक लोहे, ताँबे, चाँदी अथवा सोने का बना हुआ दीपक शिव को समर्पित है, वह दस हजार सूर्यों के सामान देदीप्यमान विमानों से शिवलोक को जाता है।*
🙏🏻 *अग्निपुराण के 200 वे अध्याय के अनुसार*
🔥 *जो मनुष्य देवमन्दिर अथवा ब्राह्मण के गृह में एक वर्ष दीपदान करता है, वह सबकुछ प्राप्त कर लेता है।*
🔥 *कार्तिक में दीपदान करने वाला स्वर्गलोक को प्राप्त होता है।*
🔥 *दीपदान से बढ़कर न कोई व्रत है, न था और न होगा ही।*
🔥 *दीपदान से आयु और नेत्रज्योति की प्राप्ति होती है।*
🔥 *दीपदान से धन और पुत्रादि की प्राप्ति होती है।*
🔥 *दीपदान करने वाला सौभाग्ययुक्त होकर स्वर्गलोक में देवताओं द्वारा पूजित होता है।*
🙏🏻 *एकादशी को दीपदान करने वाला स्वर्गलोक में विमान पर आरूढ़ होकर प्रमुदित होता है।*
🌷 *दीपदान कैसे करें* 🌷
🔥 *मिट्टी, ताँबा, चाँदी, पीतल अथवा सोने के दीपक लें। उनको अच्छे से साफ़ कर लें। मिटटी के दीपक को कुछ घंटों के लिए पानी में भिगो कर सुखा लें। उसके पश्च्यात प्रदोषकाल में अथवा सूर्यास्त के बाद उचित समय मिलने पर दीपक, तेल, गाय घी, बत्ती, चावल अथवा गेहूँ लेकर मंदिर जाएँ। घी  में रुई की बत्ती तथा तेल के दीपक में लाल धागे या कलावा की बत्ती इस्तेमाल कर सकते हैं। दीपक रखने से पहले उसको चावल अथवा गेहूं अथवा सप्तधान्य का आसन दें। दीपक को भूल कर भी सीधा पृथ्वी पर न रखें क्योंकि कालिका पुराण का कथन है ।*
🌷 **दातव्यो न तु भूमौ कदाचन।* *सर्वसहा वसुमती सहते न त्विदं द्वयम्।।*
*अकार्यपादघातं च दीपतापं तथैव च। तस्माद् यथा तु पृथ्वी तापं नाप्नोति वै तथा।।*
➡ *अर्थात सब कुछ सहने वाली पृथ्वी को अकारण किया गया पदाघात और दीपक का ताप सहन नही होता ।*
🔥 *उसके बाद एक तेल का दीपक शिवलिंग के समक्ष रखें और दूसरा गाय के घी का दीपक श्रीहरि नारायण के समक्ष रखें। उसके बाद दीपक मंत्र पढ़ते हुए दोनों दीप प्रज्वलित करें। दीपक को प्रणाम करें। दारिद्रदहन शिवस्तोत्र तथा गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करें।*
👉🏻 *शेष कल.......*
             🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
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