मध्यप्रदेश की राजनीति में वर्चस्व की जंग में मैं खिंची तलवारें



*पंकज पाराशर छतरपुर*
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव हारने के बाद मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच सत्ता संघर्ष छिड़ गया है l इस संघर्ष में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कमलनाथ के पीछे खड़े दिख रहे हैं I सिंधिया प्रदेश की राजनीति में अपनी दमदार मौजूदगी चाहते हैं l मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार में कुछ ठीक नहीं चल रहा है l कमलनाथ की कैबिनेट दो फाड़ हो गई है l अनुशासन बिखर गया है, मंत्री आपस में उलझ रहे हैं l सिंधिया गुट के मंत्रियों ने मोर्चा खोल दिया है l मुख्यमंत्री कमलनाथ अंदरूनी दबाव में क्षुब्ध होकर यहां तक कह रहे हैं कि क्या मैं इस्तीफा दे दूं ? कमलनाथ सरकार पर पहले से ही अल्पमत की तलवार झूल रही है ऐसे में अंदरूनी संघर्ष क्यों छिड़ गया है ? इसकी पृष्ठभूमि में कुछ और बातें हैं I विधानसभा चुनाव के समय से चल रहा कमलनाथ के खिलाफ ज्योतिरादित्य सिंधिया का पावर स्ट्रगल फिर शुरू हो गया है l सिंधिया गुना शिवपुरी से लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं l दिल्ली में उनकी राजनीतिक भूमिका अभी सिर्फ कांग्रेस महासिचव और यूपी के प्रभारी की है I वे अब मध्य प्रदेश में अपनी दमदार जगह कायम रखना चाहते हैं l सिंधिया समर्थक तो अब अपने नेता की प्रदेश वापसी तक चाहते हैं l उनका साफ मानना है कि विधानसभा चुनाव में सिंधिया मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन मुख्यमंत्री कमनलाथ को बनाया गया l अब सिंधिया समर्थक नेता उनकी या उनके किसी समर्थक की ताजपोशी प्रदेश अध्यक्ष पद पर चाहते है l सामूहिक इस्तीफे का दबाव यह अंतर्कलह इसलिए भी बाहर आया है कि कमलनाथ अपनी कैबिनेट में बदलाव कर रहे हैं l बाहर से समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को शामिल करने के लिए कुछ मंत्रियों को हटाया जा रहा है, जिसमें सिंधिया और दिग्विजय समर्थकों के नाम आ रहे हैं l सिंधिया ने दिल्ली में अपने समर्थक मंत्रियों के साथ बैठक की l कई मंत्रियों ने खुलकर शिकायतें की कि उनके विभाग में ऐसे अफसरों को बैठाया गया है जो उनकी बात नहीं सुनते, वे सिर्फ नाम के मंत्री बनाए गए हैं l