भ्रष्टाचार के तरीके और उनकी व्यवस्था




हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था की मैं ना खाऊंगा और ना ही किसी को खाने दूंगा यह सब से जोखिम भरा रास्ता है प्रधानमंत्री कई बार सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर चुके हैं की चाहे उनकी मौत हो जाए पर  बे इससे हटने वाले नहीं हैं यह निश्चित है की एक व्यक्ति या ये संगठन यह सब नहीं कर सकता क्योंकि 70 साल में भ्रष्टाचार भारत के जनमानस की  रग रग में भर चुका है यह तभी सफल हो सकता है जब राष्ट्रव्यापी और जनक्रांति के रूप में प्रधानमंत्री जी को समर्थन करते हुए भारत में सुनहरा इतिहास का निर्माण हो भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन-जन को आना होगा तभी यह संकल्प सफल हो सकता है सरकारी योजनाओं पर दबंग और भ्रष्टाचारियों का कब्जा आज भी रहता और जब तक जनमानस स्वयं जागृत नहीं होगा तब तक भ्रष्टाचारी और दबंगों का कब्जा बरकरार रहेगा
--- भ्रष्टाचार मुख्य ता तीन तरीकों से चलता है
1- व्यक्तिगत   2- संस्थागत   3- व्यवस्था गत
1- व्यक्तिगत ,  व्यक्तिगत भ्रष्टाचार में केवल एक व्यक्ति शामिल रहता है जिसको पहचान कर दंडित भी किया जा सकता है
2- संस्थागत इसमें देश की सरकारी और अर्ध सरकारी संस्थाएं शामिल हैं जो किसी ना किसी रूप में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं इनके द्वारा किया गया भ्रष्टाचार ओपन होने में समय लगता है क्योंकि इसे संचालित करने में हजारों लोगों का साथ होता है
3- व्यवस्था गत इसमें देश की व्यवस्था संचालित करने वाले कर्मचारी अधिकारी नेता अन्य होते हैं इसलिए यह कड़ी बहुत ही मजबूत और एक महत्वपूर्ण होती है अगर इनके द्वारा भ्रष्टाचार किया जाए तो इसे खोलना बहुत ही मुश्किल होता है क्योंकि यह देश की संचालित की जाने वाली वह व्यवस्था है जिससे पूरे भारत का जीवन निर्भर रहता है इसलिए जन जागृति करके भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सकती है अन्यथा और कोई रास्ता नहीं दिखाई देता क्योंकि इन पदों पर हम आप और हम सब के परिवार के अपने ही लोग दायित्व निभाते हैं जब वह स्वयं ही इस और ध्यान देंगे तभी भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है क्योंकि देश के कई प्रदेशों में यह देखने को मिलता है कि वहां नरेगा का घोटाला हुआ है कि वहां खाद्य सामग्री का घोटाला हुआ है कहीं आंगनवाड़ी घोटाला हुआ है तो कहीं तालाब सौंदर्यीकरण का घोटाला हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किसान सम्मान निधि योजना चलाई जिसमें लेखपालों द्वारा मनमाने तरीके से अपात्र को पात्र बनाकर सबसे पहले किस्त उन्हीं के खातों में डलवाई गई यह जनपद बदायूं में कई जगह लेखपालों द्वारा किसानों से रिश्वत लेकर योजना में सम्मिलित किए जाने की खबरें सुर्खियों में रही है मैंने स्वयं बिल्सी तहसील पर देखा कि जिन पात्र किसानों ने अपने कागजात समिट कर आए थे उनके कहीं नामों में मिस्टेक तो कहीं खाता संख्या में मिस्टेक ऐसा ज्यादातर उन्हीं के साथ हुआ जिनकी कोई एप्रोच नहीं है चाहे पैसा आया सत्ता से आम किसान आज भी लेखपाल और तहसील के चक्कर काट रहा है
मनरेगा -- मनरेगा योजना गरीब दिव्यांग के लिए सरकार ने बनाई थी पर यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़  गई क्योंकि यह स्थानीय प्रधान रोजगार सेवक के अधीनस्थ रहती है उन्हीं के द्वारा सभी कार्य कराए जाते हैं इसमें जॉब कार्ड धारक ज्यादातर प्रधान यार रोजगार सेवक के अपने या अपने परिचित होंगे जो बिना काम किए भी आज भी अपना हिस्सा लेते रहते हैं और एक गरीब असहाय कमजोर लोगों की योजना को भ्रष्टाचार कर हजम किया जा रहा है नरेगा द्वारा तालाबों का सौंदर्यीकरण वृक्षारोपण सहित अन्य योजनाओं को भी जमीन पर देखकर ऐसा लगता है की योजना कागजों तक ही अच्छी लगती है क्योंकि जमीन पर कुछ और कागजों में कुछ और ऐसा देखकर निश्चित है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता

खाद्य व्यवस्था- यह व्यवस्था गरीबों को जीवन यापन करने के लिए खाद्य सामग्री गेहूं चावल मिट्टी का तेल सहित अन्य वस्तुओं के लिए बनाई गई थी पर यह स्थानीय राशन विक्रेता और संबंधित अधिकारी चाहे वो लेखपाल हो या कोई अन्य द्वारा जनता का शोषण जमकर किया जाता है क्योंकि जिन व्यक्तियों के संबंध कोटेदार राशन विक्रेता से हैं उनके राशन कार्ड बना दिए जाते हैं और जो आम जनता का आम नागरिक है उसके लिए तहसील के बाबू लेखपाल के चक्कर काटने पड़ते हैं और अपनी जेब से खर्च करके तब कहीं जाकर राशन की दुकान तक पहुंचने को मिलता है दो-चार महा मिलने के उपरांत उनके नाम सूची से गायब हो जाते हैं ऐसा सिर्फ इसलिए किया जाता है की संबंधित अधिकारी कर्मचारी की कमाई हो और यह कमाई का जरिया भी है कोटेदार राशन विक्रेता मनमानी करते हैं भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए एक व्यक्ति काफी नहीं है स्वता जागृत हो

आंगनबाड़ी व्यवस्था-- यह व्यवस्था नवजात बच्चों गर्भवती महिलाओं को व छोटे शिशुओं के लिए बनाई गई थी जिसमें पोस्टिक पोषाहार पौष्टिक दवाइयां मिड डे मील जैसी व्यवस्था की गई जिसमें जमीनी स्तर पर आंगनवाड़ी वर्कर ना ही तो इस योजना को आम जनता तक ले जाने का कार्य कर रही हैं बल्कि सरकार द्वारा भेजी जाने वाली सामग्री का बंदरबांट कर हजम करते हैं कई बार अधिकारियों द्वारा पुष्टाहार पकड़ा भी गया है पर कड़ी ऊपर तक जुड़ी होने के कारण का कुछ नहीं होता क्योंकि भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर तक व्याप्त हो चुका है इसे खत्म करने के लिए जन जागृति महत्वपूर्ण है ना तो मैं खाऊंगा और ना किसी को खाने दूंगा पर यहां एक व्यक्ति द्वारा दिया गया उद्बोधन या भाषण सफलता भी नहीं होता क्योंकि अन्य का रूप क्या है हम सब खाएंगे आप खाएं या ना खाएं अन्याय और अत्याचार के खिलाफ यह व्यक्ति या एक संगठन कभी सफल नहीं हो सकता इसलिए पूरे भारतवर्ष को इस भयंकर रूपी भ्रष्टाचार जो आज कैंसर की बीमारी से भी ज्यादा खतरनाक है इसे खत्म करने के लिए हर भारतीय को संकल्प लेना चाहिए क्योंकि भ्रष्टाचारी रूपी यह बीमारी हर घर में व्याप्त हो चुकी है इसे तभी नष्ट किया जा सकता जब घर के ही लोग जागृत हो भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महा अभियान चलाया जाए नेता अधिकारी कर्मचारी मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री यह सब हमारे और आपके ही बीच से निकलते हैं आईएएस पीसीएस आईपीएस यह भी सब हमीं और आप आपके अपने होते हैं जब यह स्वयं भ्रष्टाचार के खिलाफ होंगे तभी यह भ्रष्टाचार मुक्त भारत का संकल्प सफल हो सकता है आइए इस भ्रष्टाचार मुक्त भारत में हम और आप अपना सहयोग प्रदान करें

गोविंद सिंह राणा