समाचार कमलेश तिवारी की हत्या कहीं सहिष्णुता पर खतरे का आगाज तो नहीं के सी शर्मा



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भारत में सहिष्णुता का प्रमुख स्थान रहा है।लेकिन कमलेश तिवारी कि निर्मम दुखद हत्या कही भारत की सहिष्णुता पर खतरे का आगाज तो नही है?

 हजारों वर्षों से मध्य एशिया और अन्य विश्व के अन्य भागों से लोग यहां पर व्यापार और राज करने की कामना से आते रहे हैं। भयंकर युद्ध भी हुए और बिना युद्ध के समर्पण भी किया गया।

 प्रारंभिक भारत में हिंदू समाज का वर्णन नहीं मिलता।
 शायद तुलना के लिए अन्य कोई समाज उपस्थित नहीं था।

 विकास के क्रम में वर्चस्व की राजनीति अपनी भूमिका निभाता रहा।
 सामाजिक गुलामी के पश्चात् राजनीतिक गुलामी का शिकार भारत हो गया।
 छोटे-छोटे राज्य उनके अलबेले और बड़बोले राजा विदेशी आक्रांताओं के दरबारी बनकर रह गए।
 छुआछूत के चलन के बावजूद वैवाहिक संबंधों के माध्यम से भी सुविधा की राजनीति की गई।

अंततः यूरोपियन लोगों के आगमन के पश्चात् भारत में एक नवीन चेतना का जन्म हुआ।

 स्वतंत्रता और समानता ने समाज में स्थान बनाना शुरू किया।
 जातीय और धार्मिक आधारों पर नए नए समूह बनने लगे।
इन समूहों ने एक-दूसरे पर शोषण का आरोप लगाया।

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हिंदू समाज, मुस्लिम समाज और इसके आगे उनके अंदर विभिन्न प्रकार के जातीय और संस्कृतिक समाज बने।
 दबे हुए स्वाभिमान ने ललकारना शुरू कर दिया।
इन सबके बावजूद एक नए परिवेश में भारत एक राजनीतिक इकाई बना।

 कानून के शासन की बात की गई।विदेश से पढ़ कर आए महापुरुषों ने देशवासियों को स्वतंत्रता का मतलब समझाना शुरू किया।
 फिर एक ऐसा दौर भी आया जब देश को विभाजन की कीमत पर आजादी मिली।

 यद्यपि देश के फर्जी रियासतों ने भारत के स्वतंत्र होने में बाधा पहुंचाने का भी काम किया।

भारत की आजादी के बाद भी हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा बना रहा। दंगे-फसाद भारत के कुछ खास जिलों और मोहल्लों में जारी रहा।
 एक ऐसा दौर भी आया जब दंगों का स्वरूप बदल गया। श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट के माध्यम से भारतीय समाज को दहलाने की कोशिश की गई।

 दलितों-पिछड़ों को हाशिए पर रखने वाले हिंदू-हिंदू कहने लगे। टीवी चैनलों पर एक-दूसरे पर गुर्राने का अवसर मिलता रहा।इसी दौरान भारतीय जनता पार्टी कब मजबूत हो गई किसी को पता भी नहीं चला।

आज जब भारत और भारत के अधिकांश राज्यों में भारतीय जनता पार्टी का काबिज है तो कमलेश तिवारी जैसे लोग क्यों मारे जा रहे हैं, इस दुखद प्रश्न का उत्तर शायद हिंदुत्व में विश्वास करने वाले महान विचारक दे सकेंगे या फिर देश और प्रदेश की सुरक्षा इकाइयां?

 ध्यान रखने की बात है कमलेश तिवारी की हत्या को देश विरोधी ताकतों के लिए प्रसन्नता का विषय नहीं बनने देना है।
भारत को एक बहुलतावादी  सहिष्णु समाज बनाए रखना है, जहां पर सभी एक दूसरे का ख्याल रखने का शानदार जज़्बा रखते हैं।

जय हिंद-
 जय भारत-
बंदेमातरम-!