गहरे आत्मचिंतन में जाकर वास्तव्य वास्तविक स्थिति का अभ्यास करना चाहिए





जीवन और जगत मे वही समाज शक्ति और संपन्नता को प्राप्त करता है जो पूर्ण रूप से व्यावहारिक होकर निरंतर अपने सामाजिक ,, भौतिक ,, आर्थिक ,, राजनैतिक  ,, शारीरिक ,, बौद्धिक क्षमता का निरंतर विकास करता है ,,
और यह विकास तभी संभव है जब आप पूर्ण रूप से पूर्ण व्यावहारिक होकर तार्किक और वैज्ञानिक रूप से परिपूर्ण होकर जीवन और जगत की व्याख्या करे ,,
आदर्शवाद एक हद तक ठीक है लेकिन अतिआदर्शवादी व्याख्या जीवन और जगत के लिए सदैव नष्ट कारी होता है ,,
  समाज से मेरा विशेष अपील है कि आप अपने बच्चों को साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शिक्षा की तरफ अग्रसर करे ,, ऊर्जा का सही उपयोग अपने जीवन और जगत के विकास में सदैव लगावे ना की अपनी उर्जा का दुरुपयोग करते हुए हर छोटे बड़े मामलों में नाक डालने की आदत से बाज आएं अन्यथा आपकी समस्त ऊर्जा और आपका बुद्धि विवेक रूपी शक्ति नष्ट होता रहेगा और यदि यह नष्ट होने की प्रक्रिया युवा अवस्था को पार कर गया तो फिर आप चाह कर भी अपने जीवन को गतिशील बनाने हेतु कुछ नहीं कर पाएंगे।
 क्योंकि जीवन में समस्त उपलब्धि चाहे वह नौकरी हो अथवा व्यवसाय वह एक युवा वर्ग में ही मिलता है ना कि वृद्धावस्था मे ___