सिंगरौली में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा स्वच्छता अभियान इस गांव में नहीं बना एक भी शौचालय




सिंगरौली:--(दिनेश पाण्डेय) जिले के नगर सरकार द्वारा दावा किया जा रहा है कि नगर पालिक निगम सिंगरौली स्वच्छता अभियान में नंबर वन है।लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। वैसे तो वातानुकूलित चेम्बरो में बैठकर स्वच्छता अभियान का डंका पीटने वाले अधिकारी खुले में शौच मुक्ति को लेकर पूरे नगर निगम एरिया में ओडीएफ घोषित कर कीर्तिमान रच चुके हैं लेकिन इसकी सच्चाई जमीनी स्तर पर कुछ और ही है। “भ्रष्ट अधिकारियों की लापरवाही के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ चुका है।” वार्डो में शौचालय भले न बने हों या आधे अधूरे पड़े हो लेकिन यहाँ के  अधिकारी,कर्मचारियों ने बंगले जरूर आलीशान बना लिए और यह सब खेल निगम के जिम्मेदार अधिकारी के संरक्षण में खेला गया।




शौचालय के लाभार्थियों को उम्मीद थी कि शौचालय बन जाएगा तो उनका गांव शौच मुक्त होगा लेकिन ऐसा नही हुआ।बतादे की जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर स्थित वार्ड क्रमांक 45 के भकुआर गांव में आज तक एक भी शौचालय निर्माण नही कराये गये आशा लगाए बैठे भकुआर गाँव के लाभार्थियों का सपना अधूरा रह गया।जबकि यह गाँव एनसीएल अमलोरी व रिलायंस कोल माइंस के एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां के लोग उक्त परियोजना से बिस्थापित व प्रभावित है।अधिकारी चाहते तो सीएसआर फंड से भी शौचालय का निर्माण कराया जा सकता था।लेकिन अब तक एक भी शौचालय का निर्माण  नहीं हुआ।सरकार स्वच्छता के प्रति जहां सशक्त है वही  जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते गाँव के लोग खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं।ग्रामीणों ने दबी जुबान से बताया कि शौचालय निर्माण को लेकर बहुत पहले कुछ दलाल आये और कहा कि शौचालय का निर्माण करवाना है तो पैसे लगेंगे हम लोगो ने कहा शौचालय का निर्माण सरकार करवा रही है हम लोग रिश्वत देकर शौचालय नही बवायेंगे।




 तबसे आज तक पूरे गाँव में  शौचालय का निर्माण नहीं हो सका। जिससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर जिम्मेदारों ने जमकर जेब भरी और अभियान भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गया।ऐसे में सवाल उठता है कि समय-समय पर सोशल ऑडिट टीम गांव में सर्वेक्षण और जांच करती हैं लेकिन उक्त गाँव मे  अधिकारियों की निगाहें क्यों नहीं पड़ी।