एक दर्द ऐसा भी पूनम चतुर्वेदी की कलम से


पूनम चतुर्वेदी*

कहते है न की आपकी एक सकारात्मक सोच बहूत लोगो का जीवन बदलने की ताकत रखती है आज मैने कूछ एसा ही प्रयोग किया समाज से कूछ लोग बहूत कटे हूवे होते है या यू कहू की समाज उनको स्विकार ही नही कर पाता पर मैने कूछ सोचा ,देखते है आगे बढते फिर सोचेगे और मैने अपना पहला कदम उठाया उन उपेक्षित लोगो के पास गयी और वहा जाकर जो देखा वो बहूत ही दूखदाई था,दिवाली जैसे समय पर भी वो सब एक बूझी हूई नजर लिये बैठे थे फिर क्या था मैने अपना हथियार निकाला अरररररे वो नही जो आप समझ रहे मैने आवाज लगाई अलखनिरंजन और सब उठ खडे हूवे,एक आश्चर्य था उनके आखो मे, पर एक धिमी सी हंसी भी थी ,मैने सोचा इनको ठहाका लगवाया जाये फिर क्या था मैने अपनी बाहे फैलाई और सब के सब मेरे आलिंगन में थे उनके चेहरे की खूशी देखते ही बन रही थी कोई क्यू कर उन्हे गले लगायेगा उनके लिये तो मै भगवान बन गयी पर नही मूझे तो अभी सही से इन्सान बनना भी नही आया,तभी मेरी नजर एक किनारे मे खडी एक किन्नर पर पडी वो मायूस नजरो से देख रही थी मूझे उसको उम्मीद भी नही थी जो मै आगे करने वाली थी,,मै चार कदम उसकी तरफ बढी और अपनी बाहे फैला दी वो दौड़ती हूई आई और मेरी बाहों मे समा गयी और आशीर्वाद की बौछार कर दी,उफ्फ सच बताऊ वो पल जैसे ठहर जाये यही मन मे ख्याल आ रहा था,एक एसा सकून मह्सूस कर रही थी जो हजारों करोणों रूपये से भी नही खरीदा जा सकता था मैने सबको कूछ पैसे कपडे दिये और उन सभी का जिनके पास फोन नः था लिया,,और अपना नः दे के आई अब मै आगे इनके लिये कूछ करना चाहूगी आप सब अपना आशीर्वाद प्रदान करे ताकी मै उनको उनके गडत्तव तक पहूचा सकूं शायद मेरा जीवन सफल हो जाये,,वो सकून और खूशी फिर से हर पल पाना चाहूंगी ईशवर से यही दूवा है,की मेरा जीवन कही किसी के काम आ जाये ,,,,,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,,पूनम चतुर्वेदी