पूनम चतुर्वेदी की कलम से जीवन जरा हटके



 पूनम चतुर्वेदी*

जीवन भी मैं हूँ और मृत्यु भी मैं ही हूँ अर्थात सर्जन व संहार मेरे ही वश में है ।मैं ही सत्य हूँ अर्थात सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उन सबका आदिमूल मैं ही हूँ ।

वेद मुझसे हैं मैं ही वेद हूँ मैं ही सब गुरुओं का गुरु हूँ ।

मैं ही अंधकार हूँ और प्रकाश भी मैं ही हूँ अर्थात प्रलय रुपी रात्रि और सृष्टि रुपी दिन मैं ही हूँ ।

सब पाप पुण्य का फल देने वाला मैं ही हूँ ।

साकार जगत का निमित कारण मैं ही हूँ अणु परमाणु में मैं ही हूँ ।

सब ब्रह्मांडो को धारण करने वाला भी मैं ही हूँ ।

सब व्यक्त अव्यक्त में मैं ही हूँ।
सब ऋषि मुनि अनादि काल से मुझे ही भजते आये हैं ।

सब परा और अपरा शक्तियों का स्वामी मैं ही हूँ ।

ब्रह्मा विष्णु शिव गणेश महादेव अग्नि इन्द्र वरुण सोम सब मेरे ही नाम हैं ।

मैं एक ही हूँ ,मेरा कोई रंग रुप आकार प्रकार नहीं , मैं नस नाडियों के बन्धन में नहीं आने वाला, मैं निराकार हूँ मैं ही विभु हूँ ।

मैं ही सबका शाश्वत पिता माता सखा और गुरु हूँ ।

मैं परमेश्वर हूँ , मेरा निज नाम ओम् है जिसके जप और ध्यान से तुम जन्म मरण के बन्धन से छूट कर मोक्ष को प्राप्त कर सकते हो ।
पूनम चतुर्वेदी