पत्रकार अपनी अहमियत समझो वरना




के सी शर्मा
वर्तमान समय मे देश मे इतना ज्यादा एलक्ट्रानिक मीडिया एवं प्रिंट मीडिया एवं पत्रकार हो गए है कि सोशल मीडिया का सहारा लेना पड़ रहा है।
हम बात कर रहे है आज की जिधर देखो उधर एलक्ट्रानिक मीडिया का हुड़प लुल्ला लेकर घूमते नजर आजायेंगे, जब कुछ नही मिलता तो सब्जी का ही रेट पूछने लगते है।उक्त पत्रकार अक्सर सभी थानों के दरवाजे में 4-6 देखने को मिल जाएंगे।एक समय था जब पत्रकारों को इज्जत व सम्मान से लोग देखा करते थे आज बात करना तो दूर लोग देखना पसंद नही करते, चंद पैसो के खातिर पत्रकार अपनी अहमियत को ही भूल गए यही कारण है कि आज लोग धीरे धीरे समाचार पत्र एवं एलक्ट्रानिक मीडिया का समाचार देखना व पढ़ना बन्द कर रहे है, तभी तो पत्रकार साथी सोशल मीडिया का सहारा ले रहे है कम से कम जिसका समाचार है वह पढ़ ले एवं देख ले। आज उर्जान्चल की यह स्थित है कि हर दश मोटरसाइकल में 9 प्रेस लिखा रहता है जिसमे दूध बेचने वाला सब्जी बेचने वालों के साथ साथ टेम्पू टेक्सी में में भी प्रेस लिखा मिल जाएगा।
पुलिस भी क्या करे जब भी कोई कार्यवाही करने की कोशिश भी करती तो जिनके अधिनस्त काम कर रहे आकाओ का फोन आ जाता है जो अक्सर पैसा लेकर प्रेस का कार्ड बाटते फिरते रहते है।अब तो ऐसे ऐसे चैनलो का एवं समाचार पत्रों का नाम बताते है फिरते की कभी आपने सुना भी नही होगा, करे भी तो क्या बेरोजगारी इतना ज्यादा बढ़ गई है कि इससे अच्छा कोई रोजगार भी नही है। सुबह मोटर साइकिल से बिना नास्ता किये निकल देते है शाम तक सौ पचास एकत्रित कर हजार रुपये लेकर वापस आ जाते है उनका सोच भी अच्छी लोग जो देते है अपना देते है मेरा क्या लेते है। वक्त रहते पत्रकार अपनी अहमियत को समझे नही तो वह दिन दूर नही जब लोग बैठना भी नही पूछेंगे।