वीरा पासी जिनकी बहादुरी के कायल थे अंग्रेज भी



अमर शहीद वीरा पासी की स्मृति में मुकेश शिक्षण शोध संस्थान कोतवाली रोड रायबरेली द्वारा एक बैठक संस्थान के कार्यालय में सम्पन्न हुई।  बैठक की अध्यक्षता मुकेश रस्तोगी एवं संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द बाजपेयी ने की।  बैठक को सम्बोधित करते हुए सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओ.पी. यादव ने कहा कि वीरा पासी 1857 प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के महानायक राना बेनी माधव सिंह को कैद कर लिया था।  वीरा पासी ने अपनी बल व बुद्धि के कौशल के जरिए राना को अंग्रेजों की कैद से छुड़ाकर ले आये थे।
संस्थान के सचिव एवं वरिष्ठ व्यापारी नेता मुकेश रस्तोगी ने कहा कि वीरा पासी का जन्म 11 नवम्बर 1837 को सरांय डिगोसा गांव में हुआ था।  वीरा पासी के माता-पिता बचपन में ही स्वर्ग सिधार गये थे।  गोविन्दपुर में एक रिश्तेदार के यहाँ लालन-पालन हुआ था।
सन्त गाडगे सेवक कमलेश चैधरी ने कहा कि 13 वर्ष की आयु में ही वीरा पासी राना बेनी माधव सिंह की सेना में शामिल हो गये थे।  राना बेनी माधव सिंह द्वारा किये गये हर युद्ध में सेनापति के रूप में वीरा पासी ने अपने युद्ध कौशल का परिचय दिया।  ब्रिटिश हुकूमत भी वीरा पासी की बहादुरी का लोहा मानती थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता भाई लाल यादव ने कहा कि 11 नवम्बर 1857 को वीरा पासी अंग्रेजों के हाथों वीर गति को प्राप्त हुए।  इसलिए वीरा पासी का जन्म दिवस व शहादत दिवस दोनों 11 नवम्बर को ही मनाया जाता है।
समाजसेवी ओम प्रकाश तिवारी बथुआ ने कहा कि वीरा पासी की एक प्रतिमा लालगंज चैराहे पर स्थित है।  जिला पंचायत की सड़क का मुख्य द्वार वीरा पासी द्वार के नाम पर है।  भीरा गोविन्दपुर में भी वीरा पासी का शहादत दिवस मनाया जाता है।
इस अवसर पर मुख्य रूप से अशोक मिश्रा एडवोकेट, रवि चैधरी, पं0 विजय बाजपेयी, डी.एन. पाल, संदीप यादव, सुशील मौर्या, विजय सोनकर, शाकिब कुरैशी, विजय सोनकर, प्रदीप पटेल, पवन अग्रहरि, धर्मेन्द्र यादव, हनुमान प्रसाद वर्मा, कैलाश यादव, जितेन्द्र मौर्य, सत्यदेव राजपूत, छोटेलाल पासी, नन्दलाल पासी, सधन दुबे, राजेश अवस्थी, श्याम किशोर पाण्डेय आदि लोगों ने वीर वीरा पासी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।