अब जाम छलकाना हुआ महंगा



भोपाल।  आर्थिक संकट से जूझ रही कमलनाथ सरकार ने तमाम प्रयासों के बाद खजाने भरने के लिए अब नया रास्ता खोज निकाला है। इसके लिए वाणिज्यिक कर विभाग ने देसी और विदेशी शराब की एमआरपी (अधिकतम ब्रिकी कीमत) में पांच प्रतिशत की वृद्धि करने का फैसला किया है। जिसका नोटिफिकेशन नए आबकारी आयुक्त राजेश बहुगुणा ने पदभार संभालते ही जारी कर दिया है।

शराब कारोबारियों को वेट बढ़ने के बाद से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए शराब को महंगा करने का फैसला किया गया है। 20 सितंबर को राज्य सरकार ने पेट्रोल, डीज़ल और शराब पर पांच फीसदी की दर से वैट बढ़ाया था। जिससे शराब कारोबिरयों को जारी किए गए टेंडरों की लागत भी बढ़ गई थी। अब इसकी भरपाई के लिए सरकार ने एमआरपी पर पांच फीसदी का इजाफा करने का फैसला किया है, यह आदेश 22 सितंबर से लागू माना जाएगा।

*आर्थिक संकट से जूझ रही कमलनाथ सरकार को सिर्फ खजाना भरने से मतलब*

दरअसल, इस बार मानसून में प्रदेश में करीब 6 हज़ार करोड़ का नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई के लिए भी कमलनाथ सरकार को मोदी सरकार से खास मदद नहीं मिली है। मानसून में हुई आर्थिक हानि को पूरा करने के लिए सरकार ने सितंबर में पांच फीसदी वैट बढ़ाया था। लेकिन इससे भी बात नहीं बनी, सरकार को अन्य संसाधनों की जरूरत है जिससे वित्तीय हालात ठीक किए जा सकें। वहीं  वैट बढ़ाए जाने से शराब कारोबारियों को भी काफी नुकसान हो रहा था। क्योंकि इस वृद्धि की राशि उनसे ही वसूली जानी है।

*प्रमुख सचिव से की थी मांग*

सरकार के इस फैसले को लेकर शराब कारोबारियों ने प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव से वैट में हुई वृध्दि से राहत देने की मांग भी की थी। इसके बाद अब एमआरपी पर पांच प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।श्रीवास्तव ने बताया कि वैट में जो वृद्धि की गई थी, उसी अनुपात में एमआरपी में बढ़ोतरी की गई है। इससे शराब कारोबारियों ने जिस दर पर टेंडर लिया था, उसकी लागत बढ़ गई। एमआरपी बढ़ने से शराब की कीमत पांच प्रतिशत तक बढ़ जाएगी और जो आय होगी, उससे कारोबारियों के ऊपर आए अतिरिक्त वित्तीय भार की पूर्ति हो सकेगी।

*बार-पब लाइसेंसियो की समय सीमा बढ़ाने को लेकर मांग*

मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर में पब और बार की भरमार है आबकारी को मोटा राजस्व भी यहाँ से प्राप्त होता है।अब समस्या यह है कि जिन व्यवसायियों ने बार और पब के लाइसेंस ले रखे है उन्हें शासन की तरफ से बार-पब बंद करने की समय सीमा के कारण घाटा उठाना पड़ रहा है,तत्कालीन कलेक्टर पी नरहरि द्वारा बार-पब बंद करने का समय रात्री 12 बजे तय किया गया था, जिसे वर्तमान में सामान्य स्तिथियो में भी लागू किया जा रहा है।इसके पीछे प्रशासन का तर्क है कि इससे अपराध बढ़ते है,ज्ञात होवे के मुम्बई,पुणे और भी अन्य बढ़े शहरों में बार पब की समय सीमा रात्री 1.30 बजे तक है,और आश्चर्य की बात यह है कि वहाँ का क्राइम रेट यहाँ से कम है।

आगामी आबकारी नीति में इस संशोधन की जरूरत है की जिन लाइसेंसधरियो को आपने शराब बेचने की अनुमति दी है, उनके हितो का भी ध्यान रखा जाए। वर्ना जिस तरह से पूरे प्रदेश में ओवर रेट में शराब की बिक्री विभाग के संरक्षण में बढ़ रही है उस ही तरह भ्रष्टाचार को और भी बढ़ावा मिलेगा और जो राशि सरकार के खजाने में जानी चाहिए वो भ्रष्ठ अधिकारी के खाते में जाती रहेगी।