अमर भारती अलंकरण समारोह कई महान विभूतियों को मिला अमर भारती अलंकार



संवाददाता/गाजियाबाद। अंतरराष्ट्रीय हिंदी लेखक रामदेव धुरंधर ने रविवार को आयोजित "अमर भारती अलंकरण समारोह" को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में आज पाश्चात्य और भारत के बीच बड़ा टकराव चल रहा है। देश की अस्मिता और संस्कृति बचाए रखने में अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान के आयोजन मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। मॉरीशस से आए लेखक श्री धुरंधर ने कहा कि भारतीय लेखकों का मॉरीशस से पुराना नाता है। प्रेमचंद,बनारसीदास चतुर्वेदी और महात्मा गांधी के लेखन में मॉरीशस का जिक्र तब से मिलता है जब मॉरीशस को कोई पहचानता नहीं था। श्री धुरंधर ने कहा कि मेरी मातृ भाषा हिंदी नहीं है लेकिन स्वयं के हिंदी लेखक होने पर उन्हें गर्व है। उनके भीतर एक सच्चा हिंदुस्तानी बसता है।
  सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित "षष्टम अमर भारती अलंकरण समारोह" में सुप्रसिद्ध रचनाकार डॉ गंगा प्रसाद विमल, प्रियदर्शन, अतुल सिन्हा, सुश्री मुक्ता को सम्मानित करते हुए श्री धुरंधर ने कहा कि भारत और मॉरीशस की संस्कृति पर यूरोप और पाश्चात्यता का प्रभाव साफ तौर पर पड़ता दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि मॉरिशस संपन्न देश नहीं है लेकिन हिंदी और संस्कृति के संरक्षण में मॉरीशस भारत से कहीं आगे है। उन्होंने कहा कि पाश्चात्यता का वरण करना बुरा नहीं है लेकिन हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को भी बचाए रखना होगा। समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. सुभाष जैन ने कहा कि आज की जीवनशैली आदमी को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक मोर्चों सहित कई वजहों से तोड़ती है। ऐसी विषम परिस्थिति में साहित्य आदमी को जोड़ने का काम करता है। उन्होंने कहा कि मूलरूप से वह साहित्यकार नहीं हैं लेकिन इस आयोजन का आतिथ्य ग्रहण करने भर से उनके भीतर एक कवि का जन्म हुआ है। उन्होंने अपनी लिखी कविताओं के जरिए अपनी प्रतिभा का भी परिचय दिया। उन्होंने कहा "कहां मालूम था सुख और उम्र की आपस में नहीं बनती, कड़ी मेहनत के बाद सुख को घर लाया तो उम्र नाराज हो कर चली गई।" एक और ख्याल "थोड़ी मस्ती, थोड़ा ईमान बचा पाया हूं, यह क्या कम है कि मैं अपनी पहचान बचा पाया हूं, कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें, जीने का इतना ही सामान बचा पाया हूं" पर भी भरपूर वाहवाही बटोरी।
   कार्यक्रम के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध उपन्यासकार विभूति नारायण राय ने कहा कि आज हम एक कौम, एक देश के खिलाफ युद्धोन्माद से भरते जा रहे हैं। लेकिन इंसानियत, दोस्ती व प्रेम से जिंदा रहती है, एटम बम से नहीं। उन्होंने साहित्यकारों का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें शब्दों के ऐसे बीज रोपित करने होंगे जिनकी फसल इस धरती से हथियार और बमों का समूल नाश कर दे। समारोह को डॉ. माला कपूर, डॉ. गंगा प्रसाद विमल, प्रियदर्शन, अतुल सिन्हा, प्रताप सोमवंशी, सुश्री मुक्ता, मकरंद प्रताप सिंह, डॉ. धनंजय सिंह, गोविंद गुलशन एवं आशीष मित्तल ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर समृद्धि अरोड़ा को शिवम कपूर स्मृति प्रतिभा सम्मान एवं आशीष मित्तल को अमर भारती युवा प्रतिभा सम्मान से अलंकृत किया गया। प्रवीण कुमार के काव्य संग्रह "बुतों का शहर" और बृजेश भट्ट के गीत संग्रह "संदीली हवाओं" का भी विमोचन किया गया। हरविलास गुप्ता, श्रीमती संतोष ओबरॉय, डॉ. बृजपाल सिंह त्यागी श्रीबिलास सिंह, सुश्री रंजीता सिंह, राकेश कुमार मिश्र "तूफान", शिवराज सिंह और डॉ. मंगला वैद को विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन तरुणा मिश्रा ने किया। समारोह में कार्टूनिस्ट काक, भारत भारद्वाज, कमलेश भट्ट कमल, दीक्षित दनकौरी, रो. बबीता जैन, अतुल गोयल, सुनील गौतम, आलोक गर्ग, सुरेंद्र शर्मा, संजय त्यागी, मधु बी. जोशी, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. तारा गुप्ता, सुरेंद्र सिंघल, वेद प्रकाश शर्मा वेद, मधु सिंह, डॉ. वीना मित्तल, अतुल जैन, अंजू जैन, अमर पंकज, डॉ. नवीन लोहनी, डॉ रमा सिंह, बी.एल. बतरा, मोहम्मद इकबाल, वी.के. शेखर, सत्यकेतु सिंह, राकेश मिश्रा, सुभाष अखिल, अमरेंद्र राय, जितेंद्र बच्चन, आलोक यात्री, अशोक कौशिक, राधारमण, आशित त्यागी, जकी तारिक, हेमलता, योगेंद्र दत्त शर्मा, विजेंद्र सिंह परवाज, अशोक पंकज, अमर पंकज, नेहा वैद, प्रेम किशोर शर्मा, दलजीत सचदेव, कृष्ण भारतीय, स्मिता सिन्हा, आर.के. भदौरिया, सुरेंद्र शर्मा, मीनू कुमार, कीर्ति रतन, राकेश सेठ, तूलिका सेठ, विष्णु सक्सेना, सुषमा सक्सेना, जगदीश पंकज, खुशबू सक्सेना, सीमा शर्मा, मंजू कौशिक, सुशील शैली, सुरेंद्र अरोड़ा, पराग कौशिक, अभिषेक कौशिक, सुशील गुप्ता, वागीश शर्मा, राज चैतन्य, रामवीर आकाश, श्वेता त्यागी, कमलेश संजीदा, कुलदीप, संजय शुक्ल, हिरेंद्र कांत शर्मा, मुदित गौड़, उमेश जोशी, रितेश शर्मा व रचना सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे।