भाजपा विधायक की सदस्यता समाप्त होने के बाद गरमाई मध्य प्रदेश की सियासत


पंकज पाराशर छतरपुर भोपाल। भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की
सदस्यता समाप्त होने के बाद प्रदेश में एक बार फिर सियासत गरमा गई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दावा किया है कि भाजपा की कुछ सीट और कम होने वाली हैं। इसके बाद से भाजपा में हड़कंप मच गया है। पार्टी ने कांग्रेस के संपर्क में रहने वाले विधायकों की संगठन स्तर पर निगरानी शुरू कर दी है। इधर प्रहलाद लोधी ने हाईकोर्ट में अपील की तैयारी कर ली है। पार्टी नेताओं से इस मसले पर बातचीत चल रही है l दरअसल,  कमलनाथ ने कहा 'अभी दो-तीन सीटें और आएंगी, इंतजार करें, 'कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस सरकार हमेशा बहुमत में थी। विधानसभा अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव तथा पिछले जुलाई के पावस सत्र में दंड विधि संशोधन विधेयक पर मत विभाजन में सरकार ने बहुमत हासिल किया था। कमलनाथ के बयान के बाद सियासत गरमा गई है, भाजपा ने आशंका जताई है क्या कांग्रेस साजिश रच रही है l वहीं पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि भाजपा ऐसा कोई काम करती है तो कहा जाता है कि हार्स ट्रेडिन्ग कर रही है । हम करें तो पाप कांग्रेस करे तो पुन्य, इधर, विधानसभा सचिवालय द्वारा प्रहलाद लोधी की सदस्यता समाप्त करने की सूचना सोमवार को निर्वाचन आयोग को भेजने की तैयारी है। इसमें विधानसभा राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशन की प्रति के साथ पवई विधानसभा सीट की रिक्तता की सूचना आयोग को देगी।
*भाजपा कर रही अदालत की अवमानना*
उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए ट्वीट में कहा है कि लोधी पर मारपीट का मामला उनके ही कार्यकाल का है। मारपीट उनके मुख्यमंत्रित्वकाल में हुई और पुलिस में प्रकरण भी तभी दर्ज हुआ। अदालत का फैसला अब आया है। उन्होंने कहा कि ऐसे में चौहान द्वारा कोर्ट के फैसले व संविधान पर सवाल खड़ा किया जाना, शोभा नहीं देता। इसी तरह पीसीसी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे और पीसीसी अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा कि भाजपा विधायक की सदस्यता समाप्त किए जाने के मामले में कांग्रेस पार्टी का कोई सरोकार नहीं है। अदालत के फैसले पर विधानसभा ने सदस्यता समाप्त की है और भाजपा नेता उस पर सवाल उठाकर अदालत की अवमानना कर रहे हैं।
*कानूनी सलाह ले रही भाजपा*
प्रहलाद लोधी की सदस्यता समाप्त होने के बाद भाजपा निचली अदालत के फैसले को उच्च कोर्ट में चुनौती देने को लेकर विशेषज्ञों से कानूनी सलाह ले रही है। इधर प्रहलाद लोधी ने कहा है कि विधायक सदस्यता समाप्त करने में कांग्रेस ने उनके साथ बदले की भावना से फैसला किया है। उन्हें विधायक चुने जाने के बाद कांग्रेस में आने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया था। इसलिए कांग्रेस ने अदालत के आदेश के बहाने सदस्यता समाप्त कर दी और पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क तक नहीं किया। लोधी ने कहा कि उन्हें अदालत पर विश्वास है। अदालत ने उन्हें फैसले के बाद तुरंत जमानत दे दी। वे हाई कोर्ट में विशेष न्यायालय के फैसले पर अपील कर सकते हैं।