प्रेम का कवच



*"प्रेम" और "कवच"-के सी शर्मा*

-हम अपने को सर्दी वा गर्मी, आँधी वा तुफान की मार से बचाने के लिये घर बना कर रहते है ।
इस से हम सुरक्षित रहते है ।
घर कवच का काम करता है ।

रास्ते के धूल एवं कांटों से पैरों को बचाने के लिये हम जूते पहनते है । जूते कवच का काम करते है ।
यात्रा करते समय हम हेलमेट या बेल्ट आदि का प्रयोग करते है जिस से अचानक दुर्घटना आदि होने पर ये हमारे लिये कवच का काम करते है तथा हमारी जान बच जाती है ।
 मां- बाप एवं सगे सम्बन्धी और दूसरे परिजन हमारे को विभिन प्रकार की परिस्थितियो से बचाते है, रक्षा करते है, हिम्मत देते है । इस तरह हमारे लिये वे कवच साबित होते है ।
 पुलिस , न्यायलय, सेना एवं सरकार हमारे जीवन को दूसरो से बचाने के लिये सुरक्षा कवच हैं । जिस की वजह से हम फलते एवं फूलते हैं ।

ऐसे ही प्रेम भी हमे पाँच विकारों, एवं पाँच सूक्ष्म विकारों से बचाता है, हर सम्बन्ध, हर समस्या से रक्षा करता है अर्थात हमारे आसपास सुरक्षा का चक्र बन जाता है जिस से हम सुरक्षित रहते हैं और जीवन में विकास करते हैं ।

 सभी शारीरिक क्रियाएँ एवं लोगो के व्यवहार एवं हमारी प्रति क्रियाएँ नही बदली जा सकती ।
 परंतु अपने अन्दर प्रेम की भावनायें लाते ही बाहरी चीजे बदलने लगती है ।
प्यार की शक्ति अन्दर से ही निकलती है और प्यार हमे ही देना है ।
जब आप खुश होते है या स्नेह में होते है तो उस कमरे के दूसरे कोने में बैठे व्यक्ति को भी यह महसूस होने लगता है ।
आप जितना प्रेम देंगे उतना ही वातावरणर व्यक्ति और वस्तु को प्रभावित करेंगे ।
जब सारे लोग एक दूसरे को प्यार करेंगे तो हमारे विचार सूक्ष्म में ऐसा सुरक्षा चक्र बनायेंगे कि शक्तिशाली लोग कमजोरो पर बल प्रयोग नही करेंगे ।
बहू संख्यक लोग अल्प संख्यक लोगो का दमन नही करेंगे ।
 अमीर लोग गरीबो का मजाक नही उड़ाएगे ।
 बड़े लोग छोटो का मजाक नही उड़ाएगे ।
चालाक लोग भोले भाले लोगो को धोखा नही देंगे ।

प्रेम देने के अवसर आप को हर रोज़ मिलते है ।
 प्रेम देंगे तो इतना लौट कर आयेगा कि आप उसकी कल्पना नही कर सकते ।
आप किसी को प्रेम देंगे तो वह उस पर इतना सकारात्मक असर डालेगा कि वह किसी तीसरे को प्यार देगा ।
इस श्रंखला में जितने भी लोगो पर सकारात्मक असर होता है, आपका प्रेम जितनी भी दूर यात्रा करता है, वह सारा का सारा प्रेम लौट कर आता है और आपके चारो तरफ़ मजबूत कवच बन जाता है, जिस से आप सदा अतिइन्द्रिय सुख महसूस करेंगे ।