जाने फांसी वाली रात मुल्जिमो के साथव क्या-क्या होता है


मौत का नाम सुनते ही  लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं  इसके बावजूद  फांसी से पहले 48 घंटे  कैसे गुजरते हैं  जैसे वही जान सकता है जिस पर गुजरती है लेकिन हम आपको  कुछ जानकारियां देना चाहते हैं  जिससे  आप भी  थोड़ा बहुत समझ सके मिली जानकारी के अनुसार फांसी देने के 48 घंटे पहले  या यूं कहें आखिरी दिन खूब रोया था याकूब मेनन 30 जुलाई, 2015 को मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को नागपुर जेल में फांसी दी गई। याकूब ने फांसी से पहले अपनी 21 साल की बेटी से बात करने की आखिरी इच्छा जताई थी। जेल प्रशासन ने उसकी इस आखिरी इच्छा का सम्मान करते हुए फोन पर उसकी बेटी से बात करवा दी थी। फांसी पर चढ़ाए जाने के कुछ पल पहले याकूब मेनन करीबी लोगों से मिलकर खूब रोया और सबसे अपनी गलती की माफी मांगी। फांसी से पहले याकूब ने मेडिकल चेकअप करवाने से इंकार कर दिया। उसने कहा कि मैं फिट हूं और चेक करने की जरूरत नहीं है। 53वें जन्मदिन के दिन फांसी से दो घंटे पहले गुरुवार सुबह पांच बजे तक याकूब मेमन को उम्मीद थी कि वह बच सकता है। सुप्रीम कोर्ट आधी रात तक याकूब की फांसी की आखिरी याचिका पर सुनवाई करता रहा। 6.10 में उसकी आखिरी याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। इसके बाद उसे फांसी दे दी गई । लेकिन वह हर बार कहता रहा कि मेरा कोई कसूर नहीं है। वह कहता रहा अब भी विकल्प हैं और न्यायपालिका पर भरोसा है। आखिरी पल तक क्षमादान की थी याकूब मेनन को उम्मीद याकूब मेमन को क्षमादान पर भरोसा था। जिस दिन याकूब को फांसी की सजा सुनाई गई याकूब से भाई सुलेमान और चचेरे भाई उस्मान ने कुछ मिनट के लिए मुलाकात की थी। याकूब ने इनसे कहा था, ‘यदि वो मुझे मेरे भाई के गुनाहों के लिए सजा दे रहे हैं तो मुझे कबूल है। अगर उनको लगता है कि मैं गुनाहगार हूं और सजा दे रहे हैं तो यह गलत है। मैं बेकसूर हूं। जेल स्टाफ ने सुप्रीम कोर्ट के आखिरी शब्द का इंतजार करते हुए सारी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। रात में तीन बजे जेल स्टाफ याकूब के सेल में गए। इन्होंने उसे नहाने के लिए कहा। वह पहले से ही जाग रहा था। बैठकर वह इंतजार कर रहा था। करीब चार बजे उसे खाने के लिए उपमा दिया गया लेकिन उसने टच भी नहीं किया। याकूब के परिवार वालों ने उसके जन्मदिन पर जो केक जेल में भेजा था, उसे नहीं मिला। उसने फिर कुरान की आयतें पढ़ीं।

धनंजय चटर्जी की आखिरी इच्‍छा अधूरी रह गयी 14 अगस्त 2004 रेपिस्‍ट धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी। उसने कोलकाता के भवानीपुर के आनंद अपार्टमेंट में रहने वाली एक नबालिग छात्रा के साथ रेप करने के बाद उसने उसका कत्ल कर दिया था। पश्चिम बंगाल के अलीपुर सेंट्रल जेल में धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी। धनंजय ने अपनी आंखें और गुर्दे दान करने की आखिरी इच्छा जाहिर की थी. उसने अपने पिता बंशीधर और भाई विकास को अपनी इस इच्छा से अवगत कराया था। हालांकि, इसे पूरा नहीं किया जा सका। यह भी एक संयोग था कि धनंजय को जिस तारीख को (14 अगस्त) को फांसी दी गयी, उसी दिन उसका 39वां बर्थडे भी था। आखिरी पल में भी बोलता रहा झूठ कहते हैं कि मौत सामने हो, तो लोग झूठ नहीं बोलते, लेकिन धनंजय चटर्जी के सामने फांसी का फंदा झूल रहा था, तब भी वह यही दोहरा रहा था कि वह निर्दोष है।उस वक्त राष्ट्रपति रहे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के पास धनंजय की दया याचिका भेजी गयी थी, लेकिन उन्होंने यह याचिका खारिज कर दी थी। उसके गले में फंदा डालते वक्त हैंगमैन ने उससे कहा था, ‘धनंजय, मैं जो कुछ भी कर रहा हूं, उसके लिए मुझे माफ करना। सरकार और कोर्ट ने मुझे जो आदेश दिया है, मैं बस उसका पालन कर रहा हूं। मुझे माफ करना।’ इस पर धनंजय ने कहा था, ‘मैं आपको माफ करता हूं। भगवान आपको आशीर्वाद दें।’उसने फंदे पर झूलने से पहले यह भी कहा था कि भगवान हम सब के लिए दयालू हों। उसके चेहरे पर आखिर तक अपराध का कोई भाव नहीं था और वह खुद को निर्दोष बताता रहा था। फांसी से पहले उसका एक लंबा इंटरव्यू लिया गया था। प्रख्यात फिल्म निर्देशक एम. एस. सथ्यू की डॉक्यूमेंटरी ‘द राइट टू लिव’ में इस इंटरव्यू को शामिल किया गया है। धनंजय चटर्जी ने इस इंटरव्यू में भी खुद को निर्दोष बताया था। मैं पूरी तरह निर्दोष हूं। मैंने कोर्ट में यही कहा है। मैंने वकीलों को भी बोला है। मेरे खिलाफ षड्यंत्र हो रहा है।

अफजल गुरु की ये थी अंतिम इच्‍छा 9 फरवरी, 2013 को भारतीय संसद पर हमला करने के दोषी अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। उसने अंतिम इच्‍छा के रूप में ‘कुरान’ की एक प्रति मांगी थी। जेल प्रशासन ने उसकी अंतिम इच्‍छा पूरी कर दी थी। आतंकवादी अफजल गुरु को आखिरी वक्त तक यही लगता रहा कि उसे फांसी की सजा नहीं मिलेगी। उसे उम्मीद थी कि उसकी सजा उम्रकैद में तब्दील हो जाएगी। सुबह जब उसे फांसी घर ले जाया गया, तब उसे एहसास हुआ कि उसका वक्त खत्म हो गया है। अंतिम पल में पढ़ी नवाज़ जेल अधिकारियों ने उससे पूछा कि अगर कोई चीज़ चाहिए हो तो बता दे। इस पर अफजल ने कहा कि उसे कुरान चाहिए। जेल अधिकारियों ने उसे याद दिलाया कि कुरान तो उसके पास पहले से ही है। इस बात से उसकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। रात को अधिकारियों ने उससे अंतिम इच्छा के बारे में पूछा तो उसने कुछ नहीं बताया। खाने में भी उसने किसी चीज़ की फरमाइश नहीं की, लेकिन जेल अधिकारियों को पता था कि वह क्या पसंद करता है। ऐसे में उन्होंने अपनी तरफ से उसके डिनर में वह चीज़ें भिजवा दीं। शनिवार सुबह वह घड़ी आ पहुंची, जब अफजल को फांसी दी जानी थी। जब अधिकारी उसे लाने के लिए उसके सेल में दाखिल हुए, तो पता चला कि वह पहले से जगा हुआ था। उसका खाना भी जस का तस पड़ा था। इसके बाद वह नहाया और नमाज़ अता की। उसने कोई अंतिम इच्छा भी नहीं जताई। अजमल कसाब ने कहा आप जीत गए मैं हार गया 21 नवंबर, 2012 को मुंबई पर हमला करने वाले आतंकी आमिर अजमल कसाब को पुणे की यरवडा जेल में फांसी दी गई थी। फासी से पहले उससे उसकी अंतिम इच्छा के बारे में जब पूछा गया तो उसने कहा कि उसकी कोई अंतिम इच्छा नहीं है।

26/11 मुंबई आतंकी हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल आमिर कसाब ने फांसी दिए जाने से एक दिन पहले कहा था- ‘आप जीत गए, मैं हार गया।’ ये अल्फाज उसने सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर रमेश महाले को कहे थे। 2013 में सर्विस से रिटायर हुए महाले ने बताया कि जब तक कसाब को कोर्ट का डेथ वारंट नहीं थमाया गया तब तक उसको यकीन था कि वह भारतीय कानून से बच जाएगा। महाले ने बताया ‘जब मैं एक दिन कसाब से पूछताछ कर रहा था तो उसने कहा था कि उसको गुनाहों के लिए फांसी दी जा सकती है लेकिन भारतीय न्‍यायिक व्‍यवस्‍था में फांसी की सजा देना मुमकिन नहीं है। तब कसाब ने दलील दी थी कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को दोषी करार दिए जाने के 8 साल बाद भी फांसी नहीं दी गई है।’ ‘अल्लाह माफ करे, दुबारा ऐसी गलती नहीं होगी’ कसाब ने डाक्टरों को अपने पेट दर्द के बारे में बताया। उसने कहा रूक-रूक कर उसे कमर के उपर दर्द होता रहता है। फिर खुद ही कहा कि अब सबसे निजात मिलने वाली है।कसाब ने सोने की कोशिश की लेकिन उसे नींद नहीं आई।कसाब पूरे वक्त परेशान और पसीने से भीगा रहा। 6 अधिकारियों की सुरक्षा में उसने नहाया फिर अपने कपड़े पहन कर अपनी उंगलियों पर तिलावत की। नमाज़ पढ़ी और चाय की ख्वाहिश बताई। डॉक्टरों की टीम ने दोबारा जब जांच के लिए पहुंची तो जांच के दौरान कसाब ने कहा कि वह अपने घरवालों से मिलना चाहता है। जवाब में उसे बताया गया कि उन्हें इत्तला किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। नाश्ते के तौर पर कसाब ने 2 टमाटर और एक बिस्किट खाया फिर लेट गया।गले में फंदा डालने से पहले कसाब ने अपने गुनाहों की माफी मांगी। उसने कहा, ‘अल्लाह माफ करे, दुबारा ऐसी गलती नहीं होगी’।

क्या होता है फांसी के दिन फांसी के दिन कैदी सुबह 5 बजे उठाया जाता है। इसके बाद उसको चाय दी जाती है। उसकी इच्छा अनुसार उसे धर्म ग्रंथ पढ़ने के लिए दिया जाता है। उससे पहले उसकी अंतिम इच्छा पूछी जाती है। फांसी के दौरान वहां मौजूद सभी अधिकारियों को अपनी आंखें बंद करनी पड़ती है। करीब एक मिनट बाद फंदे को ढीला कर शरीर को 15 फीट नीचे छोटे से तालाब में गिरा दिया जाता है उसके बाद डॉक्टर शव की जांच कर मौत की पुष्टि करता है