ग्रामीण नहीं जानते क्या है सोशल ऑडिट बैठक



के के मिश्रा / हरीश सिंह
सन्त कबीर नगर - दो दिन स्थलीय सत्यापन एक दिन की होती सोशल आडिट की खुली बैठक को ग्रामीण नही जानते है कुछ चहेतो के बीच सोशल आडिट की बैठक सम्पन्न हो जा रही है ।
बताते चले कि जनपद के नौ ब्लाको मे हो रहे समाज के सभी वर्गो के भारत सरकार / राज्य सरकार की योजनाओ के क्रियान्वयन मे पारदर्शिता जन सहभागिता एवं जवाबदेही सुनिश्चत करने के लिए सरकार द्बारा उठाये गये महत्वपूर्ण कदम सोशल आडिट के तीन दिन के कार्यकाल मे भी ग्रामीण सोशल आडिट बैठक से अनभिज्ञ है । इन्हे न तो सोशल आडिट की टीम कुछ बता रही है और न ही स्थलीय सत्यापन मे गंभीर हो रही है जिसका जीता जागता उदाहरण विकास खण्ड बेलहर कला के ग्राम पंचायत भरवलिया बाबू व भीखाडाड़ मे हुई सोशल आडिट की खुली बैठक है । जहां सोशल आडिट टीम स्थलीय सत्यापन से जहां गुरेज की है वही ग्रामीणो को सोशल आडिट बैठक की जानकारी देने से रही है । ग्रामीणो की माने तो सोशल आडिट टीम ग्राम प्रधान से मिलकर मन माफिक जांच व रिपोर्ट लगा रही है । ग्रामीणो मे वही लोग बैठक की जानकारी रख रहे है जो प्रधान के खास है । सोशल आडिट के नाम कुछ ही ग्राम प्रधान स्थलीय सत्यापन तो करवा लेते है लेकिन वही खुली बैठक मे आने से कतरा जाते है । जिससे सोशल आडिट का कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है टीम मजबूरन बिना खुली बैठक के वापस चली जाती है जिसके बारे मे जिला ग्राम्य विकास अधिकारी व सम्बंधित विकास खण्ड अधिकारी ये भी कभी जानना नही चाहे कि आप के टीम के द्बारा की गयी जांच की उपलब्धि क्या है । क्यो कि इन्हे मनरेगा सेल द्बारा पहले से लिखित पत्रावली उपलब्ध करवा दी जाती है । । जिसकी खानापूर्ति करते हुए सोशल आडिट टीम ग्राम्य विकास कार्यालय को प्रेषित कर देती है जो रद्दी की टोकरियो मे पड़ी रह जाती है । जबकि इस सम्बन्ध मे सोशल आडिट निदेशालय के निदेशक कुमारी रेखा गुप्ता द्बारा प्रदेश के समस्त जिला विकास अधिकारियो को इस निर्देश के साथ निर्देशित किया गया है कि सोशल आडिट बैठको मे प्रतिभाग करे व उनके फीडबैक के आधार पर सोशल आडिट प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाये । यदि किसी बी एस ए सी / बी आर पी किसी दबाव या प्रभाव मे आकर सोशल आडिट का कार्य सही संपादित नही कर रहे है तो जिला विकास अधिकारी को संज्ञान मे लेते हुए त्वरित कार्यवाई कराना सुनिश्चत करे । अन्यथा वे स्वयं जिम्मेदार होगे ।