बिजली चोरी को लेकर विद्युत विभाग सख्त

       सवाई माधोपुर/बौंली@रिपोर्ट चंद्रशेखर शर्मा। एक तरफ कोरोना महामारी के चलते जारी लोक डाउन ने आम लोगों की आर्थिक कमर तोड़कर रख दी है, वहीं भीषण गर्मी ने भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। जिसके चलते पेयजल किल्लत के साथ-साथ विद्युत समस्या भी आम जनता के लिए रोजमर्रा के जीवन में व्यवधान पैदा कर रही है। वहीं दूसरी ओर विद्युत विभाग बौंली द्वारा बिजली चोरी के बहाने घरेलू व कृषि कनेक्शन काटे जा रहे हैं। बिजली चोरी व अवैध कनेक्शनों पर जरूर विभागीय कार्यवाही होनी चाहिए। लेकिन कनेक्शन काटा जाना ही क्या इसका अंतिम समाधान है। बिजली चोरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती हैं। लेकिन देखने में आया है कि, संपूर्ण व्यवस्था में विद्युत विभाग द्वारा राजनीति  दबाव में आकर भी बेगुनाह लोगों को भी सताया जा रहा है। ना तो विद्युत विभाग बिजली चोरी की घटनाओं को रोक पा रहा है, ना ही समय पर बिजली बिलों का भुगतान करने वाले लोगों को निश्चित समयावधि में विद्युत आपूर्ति कर पा रहा है। केवल और केवल अब एक ही हथकंडा विभाग के पास बचा है, वह है विद्युत कनेक्शनों का काटा जाना। यह कोई ना तो सकारात्मक पहल है ना ही किसी समस्या का समाधान। इसी प्रकार तो गांव- गांव ढाणी- ढाणी ट्रांसफार्मर उतार ले जाएंगे और अधिकांश लोगों के विद्युत कनेक्शन कटते चले जाएंगे तो, सर्वत्र अंधेरा व्याप्त हो जाएगा। क्या यही वर्तमान राज्य सरकार की मंशा है,तो फिर सरकार को दूसरे उपाय ढूंढने होंगे, नहीं तो आज नहीं तो कल लोगों का गुस्सा सड़कों पर दिखाई देगा।बिजली चोरी को लेकर उपखंड क्षेत्र बौंली में निगम के सतर्कता दल की कार्रवाई लगातार जारी है, विगत दिवस मंगलवार को भी उपखंड क्षेत्र के गांव पीपलवाड़ा गुडलानदी व थड़ी में सहायक अभियंतारामअवतार बैरवा के नेतृत्व में टीम द्वारा सतर्कता जांच कर 8 व्यक्तियों के यहां बिजली चोरी पकड़ी गई। जिन पर लगभग 1 लाख 25 हजार रुपए तक का जुर्माना भी लगाया गया। सात दिवस में राशि जमा नहीं कराने पर विद्युत चोरी निरोधक थाने में मुकदमा दर्ज कराने की चेतावनी संबंधित आरोपीयों को दी गई। देखने में आया है कि चतुर्थ चरण के लोक डाउन के चलते विद्युत चोरी की घटनाएं कुछ ज्यादा ही घट रही है। इसका विभाग के पास कोई उचित समाधान नहीं है। राज्य में कांग्रेस नीत गहलोत सरकार द्वारा भी विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक संगठनों की मांग के बावजूद भी कोरोना से उपजे आर्थिक संकट के बीच आमजन को किसी भी प्रकार की सहूलियत नहीं दी जा रही है। जबकि विभिन्न संगठनों द्वारा तीन माह के घरेलू व कृषि कनेक्शनों के बिजली के बिलों को माफ करने हेतु लगातार अपील और मांग की जा रही। सरकार है, कि विद्युत बिलों की राशि माफ करना तो दूर 31 मई तक 3 माह के बिल जमा नहीं कराने पर 2% पेलेंटी लगाने पर उतारू है। जो कि इस विपदा के समय में किसी तरह के मानवीय संवेदनाओं के विपरीत कार्य है। किसान व मजदूर व मध्यम वर्ग के प्रति सरकार गंभीर ना होकर तानाशाही आरवैया अपना रही है। जिसके चलते लोगों में सरकार के प्रति जन विरोधी भावना घर करती नजर आ रही है।