अवैध बजरी परिवहन को लेकर प्रशासन,खनिज व पुलिस विभाग की संयुक्त कार्रवाई 13 ट्रैक्टर- ट्रॉलीयो को कब्जे में लेकर किया गया जब्त

    सवाई माधोपुर/ मलारना डूंगर@रिपोर्ट चंद्रशेखर शर्मा। आखिरकार सवाई माधोपुर जिले में विशेषकर मलारना डूंगर परीक्षेत्र में चल रहे अवैध बजरी खनन एवं परिवहन मामले में आमजन द्वारा लगातार विरोध जताए जाने के बाद प्रशासन व खनिज विभाग द्वारा अवैध बजरी परिवहन पर रोक लगाने के लिहाज से मंगलवार को बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया। स्थानीय प्रशासन, पुलिस विभाग तथा खनिज विभाग की संयुक्त टीम ने अवैध रूप से बजरी भरकर सड़कों पर दौड़ रहे यमदूतों ( ट्रैक्टर ट्रॉलीयों) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर 13 ट्रैक्टर- ट्रॉलीयां भी जप्त की।तहसीलदार कृष्ण मुरारी मीणा एवं खनिज विभाग के सहायक अभियंता ललित मंगल के नेतृत्व में संपूर्ण कार्रवाई को बखूबी अंजाम दिया गया। इस दौरान पुलिस प्रशासन व खनिज विभाग को बजरी माफियाओं के गुस्से से भी रूबरू होना पड़ा। यही नहीं भू माफियाओं की हिम्मत वह दादागिरी की बानगी तो देखिए, कि वे लोग विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर पथराव कर पुलिस की कार्यप्रणाली को ठेंगा दिखाते हुए मौके से  आर. एस. सी. के जवानों की मौजूदगी में भी एक ट्रैक्टर- ट्रॉली को तो जबरन छुड़ा ही ले गए। एसडीएम मनोज वर्मा एवं खनिज विभाग के अधिकारियों द्वारा मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया गया। अधिकारियों द्वारा ड्राइवरों की व्यवस्था कर  जब्त सभी ट्रैक्टर - ट्रॉलीयों को मलारना डूंगर पुलिस थाने भिजवाया गया है, ताकी इन सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा सके। खनिज विभाग एवं पुलिस तथा प्रशासन द्वारा यह कार्रवाई जब अमल में लाई गई है, तब चौतरफा बजरी परिवहन की घटनाओं व बजरी माफियाओं के खिलाफ छोटे - छोटे गांव से लेकर कस्बों तक के लोग पुरजोर आवाज उठाने लगे, वो इसलिए कि प्रमुख सड़क मार्ग की अपेक्षा अवैध बजरी परिवहन के कार्य को अंजाम देने हेतु गांव व कस्बों की सड़कों का बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके चलते बजरी से ओवरलोड वाहन अब गांव व कस्बों की सड़कों पर रात दिन सरपट दौड़ रहे हैं। जिसकी वजह से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना आदि के अंतर्गत बनी गांव और कस्बों की सड़कें लगातार क्षतिग्रस्त होने लगी हैं और निरंतर तेज रफ्तार में अंधाधुंध तरीके से सड़कों पर दौड़ते वाहन दुर्घटनाओं को लगातार अंजाम देने में भी पीछे नहीं हैं। हिंदुत्व के कारण लोग भयभीत रहते हैं क्योंकि गांव एवं कस्बों में छोटे-छोटे बच्चे वह पशु-धनकी आवाजाही सड़कों पर बनी रहती है। खनिज विभाग और पुलिस के डर से बजरी माफियाओं द्वारा अपने ट्रैक्टर ट्रॉलीयों  को अनियंत्रित गति से छोटी-छोटी सड़कों पर दौड़ाया जाता रहता है। आज भी इस तरह की अनर्गल गतिविधियां दिल की अपेक्षा रात भर चल रही है। मजे की बात तो यह है कि, कभी- कभार खनिज व पुलिस विभाग द्वारा अवैध बजरी से भरकर चलने वाले  ट्रैक्टर- ट्रॉली व बजरी माफियाओं के खिलाफ फोरे तौर पर जरुर कार्रवाई की जाती रहती है, ताकि लोगों को ऐसा ना लगे कि, मामले को लेकर प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं। क्षेत्र में बजरी माफिया से जुड़े लोगों के  हौसले काफी बुलंद है। अधिकांश ग्रामीण अगर एकजुट ना हो तो शिकायत करने पर बजरी माफिया से जुड़े लोगों द्वारा उन्हें डराया धमकाया जाता है तथा मारपीट तक भी कर दी जाती है। जिस कारण कई लोग इनके खिलाफ आवाज उठाने से भी कतराते हैं। इस तरह  की कई घटनाएं जस्टाना गांव में घटित हो चुकी है। दबंगों द्वारा शिकायत करने वाले लोगों को अव्वल तो डराया धमकाया जाता है , और ज्यादा कुछ करने पर जान से मारने की धमकी दी जाती है। लोगों के तो यहां तक आरोप है, कि अवैध बजरी खनन व परिवहन मामले में पुलिस और खनिज विभाग के अधिकारी व कर्मचारी(ईमानदार छवि वालों को छोड़ दे तो) भी संलिप्त है, जिनके द्वारा अपराधियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की बड़ी कार्यवाही नहीं की जाती है, बल्कि इन्हें इस तरह का गोरख धंधा करने के लिए शरण भी दी जाती है, इनका बखूबी बचाव किया जाता है। क्योंकि इसकी एवज में बजरी माफियाओं द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों को सुविधा शुल्क के रूप में या यूं कहें कि रिश्वत के रूप में प्रति दिवस या महीने के महीने घर बैठें भारी भरकम रकम पहुंचाई जाती है। यही नहीं इस गोरखधंधे में क्षेत्र के कई प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकार लोग (बिकाऊ पत्रकार) भी अपने हिस्से की रकम खाकर दलालों की भूमिका अदा करने में लगे हुए हैं। कुछ दिनों पूर्व जस्टाना में युवा नेता कांजी मीणा के नेतृत्व में ग्रामीणों द्वारा गांव के अंदर से होकर गुजरने वाली बजरी की टेक्टर- टोलीयों के खिलाफ आवाज उठाई गई थी और आंदोलन भी किया गया था। जिसके फलस्वरूप बौंली एसडीएम व तहसीलदार द्वारा अवैध बजरी परिवहन को रोकने के लिए मोरेल नदी के अंदर अस्थाई पुल को जेसीबी मशीन से खुदवा कर बीच सड़क में खाई तक बना दी गई थी।ताकि रात्रि काल में बजरी से भरे ओवरलोड ट्रैक्टर -ट्रॉली नहीं गुजर सके। बनास नदी से बजरी भरकर मोरेल नदी की पुलिया पार करवा कर दौसा जिले में बगड़ी गांव के आसपास बजरी का भंडारण किया जाता है। जहां से अन्य जगहों व राज्यों के लिए बजरी ट्रकों में भरकर दूर-दराज तक भिजवाई जाती है पुलिस पर बजरी माफियाओं से मिलीभगत के आरोप भी ग्रामीणों द्वारा सरेआम लगाये जाते रहते हैं। जिसको लेकर बौंली एसएचओ और जस्टाना गांव के लोगों में भी तीखी बहस हो चुकी । इन सभी घटनाओं से जुड़े फोटो व वीडियो मीडिया के पास उपलब्ध हैं। लेकिन निडर ,निष्पक्ष व ईमानदार पत्रकारों द्वारा ही बजरी माफिया के खिलाफ निरंतर आवाज उठाई जाती रही है और उठाई जा रही है। लेकिन गोदी मीडिया इस मामले को लेकर अभी भी चुप्पी साधे हुए हैं। क्योंकि वह सब बिक चुके हैं। महत्वपूर्ण पहलू तो यह है, कि पिछले दिनों सवाई माधोपुर विधायक दानिश अबरार द्वारा भी जस्टाना बजरी नाके पर मोरेल नदी के पास अवैध बजरी परिवहन की गतिविधियों को उजागर किया गया था और प्रशासन को उनके खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश भी दिए गए थे। लेकिन यह शायद केवल एक दिखावा मात्र था, क्योंकि वे सब गतिविधियां आज भी निरंतर  रूप से सुचारू है। विधायक द्वारा अभी बजरी परिवहन पर रोक  के लिए उठाए गए कदम नाकाफी साबित हुए हैं। आज भी लालसोट- सवाई माधोपुर एवं बनास नदी से निवाई की ओर तथा मलारना डूंगर से गंगापुर सिटी की ओर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर- टोलियां अवैध रूप से ओवरलोड बजरी भरकर सड़कों पर बिना रोक-टोक के बिना नंबर के ट्रैक्टर ट्रॉली सरपट दौड़ रहे हैं। गांव के लोग अब इन्हें यमदूत की संज्ञा देने लगे हैं क्योंकि इनके द्वारा निरंतर दुर्घटनाओं की गतिविधियों को भी अंजाम दिया जा रहा है। लेकिन बजरी खनन और परिवहन का गोरखधंधा इतने प्रयासों के बावजूद भी नहीं रूक पाया है। क्योंकि इस संपूर्ण मामले के तार ऊपर तक जुड़े हुए हैं। इन सब के पीछे एक सिस्टम काम कर रहा है, जिस में शामिल सभी लोगों को बजरी माफियाओं द्वारा अपने अपना-अपना हिस्सा  दलालों के मार्फत पहुंचाया जाता रहा है। लेकिन इन सबके बीच अगर कोई फंसा हुआ है तो वह है ,आमजन या यूं कहें भोली-भाली जनता। बजरी ही नहीं, उनके साथ- साथ ओवरलोड पिकअप गाड़ियां भी अनियंत्रित होकर तेज रफ्तार में सड़कों पर दौड़ रही है जिससे हमेशा दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ रहता है। गौरतलब है कि पिछले दिनों इन लोगों की कारस्तानी की वजह से 2 युवाओं ने सड़क दुर्घटना में बेवजह अपनी जान तक गंवा थी, और एक घटना के बाद पति दूसरी घटना में एक ओर युवक बाबा रामदेव आश्रम के सामने मौत के मुंह में जाने से बाल-बाल बचा था, केवल उसकी  साइकिल ही बजरी के ट्रैक्टर -ट्रॉली के नीचे आकर क्षतिग्रस्त होकर रह गई थी। इन सब घटनाओं के बावजूद भी राज्य सरकार द्वारा बड़े स्तर पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है। जो कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट नमूना है। बजरी माफिया से जुड़े दबंग लोग के ऊपर तक बैठे लोगों से अच्छे-खासे रसूखात हैं। जिसकी बदोलत वे निडर होकर इस प्रकार की गतिविधियों को बे-रोकटोक निर्बाध गति से चला रहे हैं। अगर इस बीच कोई तीसरा है तो वह केवल आम लोग, जिनका कोई धणी- धोरी नहीं है। मंगलवार को ब मलारना डूंगर क्षेत्र में प्रशासन, पुलिस व खनिज विभाग द्वारा की गई कार्रवाई, आमजन के हित में लिया गया निर्णय है, लेकिन इस प्रकार की क्या गारंटी है ,कि सवाई माधोपुर जिले के मलारना डूंगर क्षेत्र में अवैध रूप से जारी बजरी परिवहन पर पूर्णता रोक लगा दी जाएगी। क्योंकि इस प्रकार की कार्रवाई तो पहले भी होती रही है, लेकिन हर बार बजरी माफिया दुगने जोश के साथ अवैध बजरी परिवहन की गतिविधियों को बढ़ावा देता हुआ नजर आया है। राज्य सरकार को चाहिए कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालना में बजरी परिवहन पर क्षेत्र में पूर्णत रोक लगावे एवं अपराध से जुड़े लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। नहीं तो 1 दिन ऐसा भी आएगा जब इस गोरखधंधे से प्रताड़ित जनता का गुस्सा फूट पड़ेगा और वह सड़कों पर उतरती दिखाई देगी। क्योंकि एक कहावत है, कि भीड़ में दिमाग नहीं होता है। खैर बजरी माफियाओं के खिलाफ किस तरह की कार्यवाही की जानी है, क्या इस गोरखधंधे को कैसे रोका जा सकता है यह सब प्रशासन व खनिज विभाग की अपनी जिम्मेदारी है। मीडिया का तो केवल प्रशासन व जनता को आगाह करने का कार्य है, जिसे वह पूरी शिद्दत से निभा रहा है। बिकाऊ पत्रकारों को छोड़ दे तो सभी ईमानदार निष्पक्ष व जान हथेली पर लेकर चलने वाले निडर छवि के पत्रकार इस मुहिम के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं, ताकि आमजन को जान- माल के संभावित नुकसान से बचाया जा सके।