डा. मुखर्जी के बलिदान दिवस पर बौंली में आयोजित भाजपा की विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कार्यकर्ताओं को मुखर्जी के जीवन परिचय से कराया रूबरू

        सवाई माधोपुर /बौंली @रिपोर्ट चंद्रशेखर शर्मा।भारतीय जनता पार्टी मण्डल बौंली द्वारा मंगलवार को जगत शिरोमणि सेवा संस्थान में डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य अतिथि भाजपा जिला उपाध्यक्ष राजेश गोयल थे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता मण्डल अध्यक्ष रामावतार मीना ने की।मुख्यवक्ता के रूप में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के पूर्व सदस्य ओमप्रकाश डंगोरिया ने गोष्ठी को संबोधित किया‌। इस अवसर पर बोलते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजेश गोयल ने कहा की डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे,एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे।उन्होंने अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित करते हुए केवल 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बन गये थे।इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे। मुख्यवक्ता ओमप्रकाश डंगोरिया ने कहा की उनकी प्रखर राष्ट्रवादी सोच और चिंतन को देखते हुए गान्धी जी और सरदार पटेल के अनुरोध पर भारत के पहले केंद्रीय मन्त्रिमण्डल में उन्हें उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी।किन्तु उनके अन्य नेताओं से सैद्धांतिक और वैचारिक मतभेदों और राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हुए उन्होंने मन्त्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया।डंगोरिया ने कहा कि
डॉ॰ मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे।अपने भाषणो में डॉ॰ मुखर्जी धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत करते थे।अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया।और 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनका बलिदान हो गया।अध्यक्षीय सम्बोधन में रामावतार मीना ने कहा कि डॉ.मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं इसलिए धर्म के आधार पर वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे।वे मानते थे कि हम सब एक हैं हमरी एक ही भाषा एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है।कार्यक्रम का संचालन मण्डल महामन्त्री गोविन्द भदोरिया ने किया और आगन्तुक महानुभावों का मण्डल महामन्त्री मुकेश गोयल ने आभार व्यक्त किया।संगोष्ठी में सभी भाजपा पदाधिकारी कार्यकर्ता उपस्थित रहे। जिनके द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग की पूर्ण रूप से फालना की गई।