भगवान शिव का प्रसिद्ध छठा ज्योतिर्लिंग है भीमाशंकर, जानें महत्व और कथा- के सी शर्मा

भगवान शिव का प्रिय महीना सावन शुरू हो चुका है. ऐसे में भक्त पूरे मन से महादेव की पूजा अर्चना कर रहे हैं. कोरोना वायरस के कारण मंदिरों में उतनी भीड़ नजर नहीं आ रही है, लेकिन शिव भक्त अपने आराध्य की पूजा पूरे विधि-विधान से घर पर ही कर रहे हैं. वैसे तो सावन में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना सबसे पावन माना जाता है. लेकिन इस साल ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है. देश की स्थिति ठीक होने के बाद अगर आप महाराष्ट्र की यात्रा के लिए जाते हैं तो यहां मौजूद भगवान शिव के तीन ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से ना चूकें. भीमशंकर शिव मंदिर के नाम से विख्यात ये मंदिर पुणे के करीब शिराधन गांव में स्थित है. इसे मोटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर 3,250 फीट की ऊँचाई पर स्थित है. मान्यता है कि भगवान शिव यहां पर निवास करते हैं. एक पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थान पर भगवान शिव और त्रिपुरासुर राक्षस के साथ घमासान युद्ध हुआ था, इस युद्ध में शिवजी ने राक्षस का वध कर विजय प्राप्त की थी. कहा जाता है कि इस युद्ध से भयंकर गर्मी उत्पन्न हुई जिस कारण भीमा नदी सूख गई. इसके बाद भगवान शिव के शरीर से निकले पसीने से फिर से नदी जल से भर गई. यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है.

भीमशंकर नाम ऐसे पड़ा
इस ज्योतिर्लिंग का उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है. जिसके अनुसार कुंभकर्ण का पुत्र भीम एक विशाल राक्षस था. जब उसे ज्ञात हुआ कि उसके पिता का वध भगवान राम ने किया है तो वह उनसे बदला लेने के लिए आतुर हो गया. इसके लिए उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की. ब्रह्मा जी भीम की तपस्या से प्रसन्न हो गए और उसे विजयी होने का वरदान दे दिया.

इस वरदान से भीम ने अत्याचार आरंभ कर दिया. उसके कृत्यों से हर कोई भयभीत हो गया. यहां तक की देवी-देवता भी परेशान होने लगे. तब सभी देवी देवताओं ने इसके आंतक से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की. सभी देवी देवताओं को भगवान शिव ने राक्षस से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया. तब भगवान शिव ने भीम से युद्ध किया और उसे जलाकर भस्म कर दिया.

इस प्रकार से भीम नाक के राक्षस से सभी को मुक्ति मिली. इसके बाद सभी देवताओं ने भगवान शिव से इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में निवास करने का आग्रह किया. जिसे शिवजी ने मानव कल्याण के लिए स्वीकार कर लिया. तब से भगवान शंकर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां विराजमान हैं.

शिव भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग एक सिद्ध स्थान है. यहां जो भी सच्चे मान से अपनी प्रार्थना लेकर आता है. वह पूर्ण होती है. सावन के मास में इस ज्योतिर्लिंग का नाम लेने से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.