Rajasthan: तबादलों से हलकान हुई व्यूरोकेसी

Rajasthan: तबादलों से हलकान हुई ब्यूरोक्रेसी दीपक तिवारी/ राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) ने अपने पौने दो वर्ष के शासनकाल के दौरान राज्य की ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy) का एक नहीं बल्कि दो से तीन बार संपूर्ण चेहरा बदल डाला है. आईएएस, आईपीएस, आरएएस और आरपीएस अधिकारियों को ताश के पत्तों की तरह बार-बार फेंटा जा रहा है. प्रदेश में तबादलों का सिलसिला अनवरत जारी है. राज्य के कार्मिक विभाग द्वारा तैयार आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में कई अधिकारियों के तो कई बार तबादले हो गये हैं. राज्य में करीब 25 दिन से चल रहे सियासी संकट में भी तबादलों की रफ्तार नहीं रुकी है._*

*_मानकों का पालन नहीं किया जा रहा_*

_हालात ये हैं कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादलों में दो साल के न्यूनतम कार्यकाल के मानक का पालन नहीं किया जा रहा है. दो साल तक एक ही जगह काम करने के बजाय अधिकारी महज कुछ माह में ही इधर से उधर किए जा रहे हैं. चाहे कलक्टर हो या फिर एसपी या सचिवालय और पुलिस मुख्यालय में लगे अधिकारी सभी का हाल एक जैसा ही है. हर स्तर पर तबादले की मार पड़ रही है. इसमें कई अफसर ऐसे हैं, जिन्हें कुर्सी संभालने से पहले या तुरंत बाद ही दूसरे पदों के लिए रवानगी कर दी जा रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 17 दिसंबर 2018 को शपथ लेने के बाद से अब तक अधिकांश आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आरएएस, आरपीएस का तीन से चार बार तबादला हो चुका है_ 

*_तबादलों के पीछे सरकार का यह है तर्क_*

_अधिकारियों का तबादला करने की मंशा के पीछे सरकार का कहना है कि ब्यूरोक्रेसी जनघोषणा-पत्र को फील्ड में सही रूप से क्रियान्वयन नहीं कर रही है. जबकि उसके लिए जनहित सर्वोपरि है और जो अफसर जनहित के पैमाने पर खरा नहीं उतर रहा है उसी का तबादला किया जा रहा है. कारण चाहे जो भी हो इन तबादलों से ब्यूरोक्रेसी हलकान है. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष गंगवार, दिनेश चंद्र यादव, कुंजीलाल मीणा, आर वेंकटेश्वरण समेत अन्य को कुर्सी संभालने से पहले या तुरंत बाद ही दूसरे पदों के लिए रवानगी कर दी जा रही है. अधिकारियों का भी कहना है कि बार-बार हो तबादले से वे काम कैसे कर पायेंगे 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश दरकिनार

_केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 28 जनवरी 2014 को अखिल भारतीय सेवा नियम में संशोधन करते हुए एक पद पर कम से कम दो साल कार्य करने के लिए न्यूनतम अवधि को तय किया था. केवल विशेष परिस्थिति में ही दो साल से कम अवधि में किसी अफसर का तबादला किया जा सकता है, लेकिन इस आदेश को राज्य में दरकिनार किया जा रहा है. पिछले सप्ताह जो तबादले किए गए उनमें एक दर्जन अफसरों को छह माह के भीतर ही वापस बुला लिया गया है._