टीवी सीरियल 'सास भी कभी बहू थी' से चर्चा में रहीं जया भट्टाचार्य, बनी समाजसेविका

टीवी सीरियल 'सास भी कभी बहू थी' से चर्चा में रहीं जया भट्टाचार्य, अब ट्रांसजेंडर्स, सेक्स वर्कर्स और जरूरतमंदों के खाने की deepak tiwari जिम्मेदारी उठाकर बनीं समाज सेविका
जया ने कई टीवी सीरियल्स जैसे सास भी कभी बहू थी, गंगा, झांसी की रानी, थपकी प्यार की में अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया है,लेकिन एक अदाकारा होने के साथ ही वे समाज सेविका के तौर पर भी अपनी खास पहचान रखती हैं। जया पिछले 20 सालों से एनिमल वेलफेयर की दिशा में काम कर रही हैं। ये काम उन्होंने उस वक्त भी जारी रखा जब लोग कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन में घरों मे बंद थे।
वे कहती हैं लॉकडाउन होने पर मैंने पुलिस की परमिशन से एनिमल वेलफेयर के लिए काम किया। जब उनसे यह पूछा जाता है कि वे समाज सेवा से कैसे जुड़ी तो वे कहती हैं - ''लॉकडाउन के शुरुआती दौर में मैं उन महिलाओं के समुह से मिली जिनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं था''।
मुझसे उनकी हालत देखी नहीं गई। उस समय मेरे पास मेरे पिता के बैंक अकाउंट में रखे सिर्फ 3000 रुपए ही थे''।
पिछले एक साल से जया के पास कोई काम नहीं है। जब उनके 90 साल के पिता को निमोनिया हुआ तो उन्हें बार-बार पिता के इलाज के लिए यहां-वहां जाना पड़ता था। इसलिए वे कोई काम भी नहीं कर पाईं।
इन हालातों में घर में जो भी राशन का सामान रखा हुआ था। उससे जया ने भूख से तड़प रहीं महिलाओं के लिए खिचड़ी बनाई और अपने स्टाफ मेंबर्स के साथ मिलकर इन गरीब महिलाओं को बांट दी। उसके बाद से अब तक वे जरूरतमंदों की मदद के लिए हरदम आगे रहती हैं।
कुछ ही समय बाद उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि इतने लोगों के लिए उनके किचन में रोज खाना बनना मुश्किल है। तब जया ने अपने ड्राइवर शिराज के साथ सेक्स वर्कर्स, ट्रांसजेंडर्स और गरीबों के बीच फूड पैकेट बांटना शुरू किया। शिराज उनके साथ एनिमल वेलफेयर के लिए भी काम करता है।
जया की समाज सेवा से प्रभावित होकर जिस तरह लोगों ने उनकी मदद की, उस बारे में खुद कभी उन्होंने भी नहीं सोचा था। डलास के एक व्यक्ति ने उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की।
उसके बाद टर्की के एक व्यक्ति ने सपोर्ट देना शुरू किया। टीवी की दुनिया के वे सितारे जिन्हें कभी जया जानती भी नहीं थी, उनकी मदद के लिए आगे आए। इनमें से प्रमुख नाम रेणुका शहाणे, अंकित बठला, सुहासिनी मूले ओर सुनीता राजवार हैं।
जया के कुछ क्लासमेट और कलीग्स ने भी उनकी मदद करना शुरू किया। जया इनके द्वारा भेजे गए पैसों को जिस समाज सेवा के काम में लगाती हैं, उसकी एक पर्ची भी इन्हें भेजती हैं, ताकि इन सभी लोगों को ये पता चल सके कि इनके पैसे किसी नेक काम में लगाए जा रहे हैं।
जया ने अपने एनजीओ 'थैंक्यू अर्थ' का 2010 में रजिस्ट्रेशन कराया था। फिलहाल वे एक बार फिर इस एनजीओ के तहत काम करना चाहती हैं। उनकी एक और चैरिटी 'गिफ्टिंग हैप्पीनेस' के तहत भी वे समाज सेवा कर रही हैं।
जया ने अपने लंबे बाल क्याें कटवाए। इस बारे में पूछे जाने पर वह कहती हैं ''लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में मेरे अपार्टमेंट की लिफ्ट खराब थी। ऐसे में लोगों को फूड पैकेट बांटने के लिए मैं कई बार सीढ़ियों से चढ़ती-उतरती थी। मैं हर बार अपने घर पहुंचकर गर्म पानी से नहाती थीं, क्योंकि बाहर से घर आकर नहाना भी सैनिटाइजेशन का ही हिस्सा है।इसके अलावा मैं पूरे टाइम अपने बीमार पिता की देखभाल करती हूं। ऐसे में मेरे लिए साफ-सफाई का ख्याल रखना जरूरी है, ताकि वे कोरोना के इंफेक्शन से बचे रहें।इसी बीच एक दिन मुझे जुकाम हो गया और मैंने देखा कि ऐसा मेरे बाल बार-बार गीले रहने की वजह से हुआ। तभी मैंने ये सोचा कि मुझे इस परेशानी से बचने के लिए अपना सिर मुंडवा लेना चाहिए और मैंने ये लुक अपना लिया''।