पिकअप से दोगुना वजन ढोने में सक्षम हैं ये 7 फुट के सोनू-मोनू रोज पीते हैं 4-4 किलो दूध

नागौर.मजबूत कद-काठी के कारण देश-दुनिया में प्रसिद्ध नागौरी नस्ल के बैलों का पावर इन दिनों नागौर के श्रीरामदेव पशु मेले में देखने को मिल रहा है। जिला मुख्यालय पर चल रहे राज्य स्तरीय पशु मेले में देशभर से खासकर राजस्थान, यूपी, एमपी, पंजाब, हरियाणा से बड़ी संख्या में व्यापारी बैलों की खरीदारी के लिए यहां पहुंच रहे हैं। मेले में नागौरी नस्ल के एक से बढ़कर एक बैलों की कई शानदार जोड़ियां यहां पहुंची है, उनके मालिक व्यापारियों के सामने बैलों की चलने की चाल दिखाकर उनकी खासियत से रूबरू करवा रहे हैं। मेला फरवरी अंत तक चलेगा।
ऐसे ही दो बैलों सोनू-मोनू की जोड़ी भी श्रीरामदेव पशु मेले में पहुंची। जिनके बारे में मालिक पशुपालक निंबाराम, पुरखाराम व रामकुमार ने जानकारी दी। ये ही इन दोनों बैलों को लेकर यहां पहुंचे थे। जिन्होंने बताया कि एक बैल को प्रतिदिन सुबह 4 लीटर का दूध, सुबह-शाम ज्वार और मूंग का 5-5 किलो हरा चारा, सुबह-शाम 5 किलो बाजरी व खल का बांटा दिया जाता है। साथ ही डाइट में मैथी व गेहूं का उबला दलिया, प्रतिदिन-250 तिलों की तेल शामिल है।
12-12 क्विंटल माल ढुलाई की क्षमता
दोनों एक दिन में 5 एकड़ भूमि जोत सकते हैं। दोनों बैलों की क्षमता 12-12 क्विंटल (2400 किलो) माल की ढुलाई करने की है। जानकारी के मुताबिक, एक पिकअप की क्षमता 1360 किलो तक होती है।
नागौरी नस्ल के बैलों की यह रोचक जानकारी
सींग : छोटे व सुडौल।
आंखें : हिरण जैसी
मुंह : छोटा तथा त्वचा मुलायम।
गर्दन : चुस्त और पतली होती है। चमड़ी (कामल) लटकी नहीं है।
कान : छोटे व बराबर। सुनने की क्षमता तेज।
चौड़ाई : आगे का सीना मजबूत व चौड़ा होता है। पुठ्ठा घोड़े की तरह गोल।
थूई : सीधी व लंबी, पीछे नहीं मुड़ती
खुर : नारियल जैसे गोल। तेजी से आगे बढ़ाने में सक्षम।
लंबाई : 7 फूट से ज्यादा है।
रंग : अपेक्षाकृत सफेद, शांति का प्रतीक
ऊंचाई : 6 फूट से ज्यादा है। सामान्यतः: नागौरी बैलों की यही ऊंचाई होती है।
टांगें : टांगें पतली व मजबूत, अधिक भार पर झुकती नहीं।
पूंछ : पतली और घुटने से लंबी।