तमिलनाडु में चुनाव से पहले शशिकला का राजनीति से संन्यास जाने क्यों

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चेन्नई. अन्नाद्रमुक की सुप्रीमो स्वर्गीय जयललिता की प्रमुख सहयोगी रही शशिकला ने राजनीतिक जीवन से संन्यास की घोषणा की है। उन्होंने द्रमुक को हराने के लिए अन्नाद्रमुक नेताओं से एकजुट होने की अपील भी की है। शशिकला ने चिट्ठी जारी कर कहा, 'पार्टी के कार्यकर्ता मिलकर रहें और आने वाले विधानसभा चुनाव में DMK को हराकर बड़ी जीत तय करें।' इसके पहले कयास लगाए जा रहे थे कि शशिकला अपने भतीजे दिनाकरण के साथ मिलकर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं, वहीं सूत्र इस पूरी एपिसोड को भाजपा की लिखी पटकथा का हिस्सा बता रहे हैं।
अम्मा यानी जयललिता के जमाने में बेहद ताकतवर रहीं शशिकला चिन्नम्मा के नाम से जानी जाती हैं। उन्हें को 4 साल पहले 68 करोड़ के एक भ्रष्टाचार के मामले में जेल भेज दिया गया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ई पलानी स्वामी ( ईपीएस) की अगुवाई वाले अन्नाद्रमुक ने उन्हें पार्टी महासचिव के पद से हटा दिया था। इसके खिलाफ शशिकला ने खुद को जयललिता की विरासत का असली दावेदार बताते हुए अदालत की शरण भी ली थी। फरवरी में जेल से छूटने के बाद बेंगलुरु से चेन्नई तक उनके जबरदस्त रोड शो को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा था।
बगावत से नुकसान रोकने में जुटी थी भाजपा
शशिकला ने तो पार्टी से निकाले जाने के बाद नई पार्टी नहीं बनाई, लेकिन उनके भतीजे दिनाकरन ने एएमएमके नाम से अलग पार्टी बना ली थी। इस पार्टी ने लोकसभा में 5.2% और और विधानसभा उपचुनावों में 7% वोट भी हासिल किए थे। उधर, मुख्यमंत्री ईपीएस और उपमुख्यमंत्री ओपीएस ने शशिकला को पार्टी में लेने से साफ इनकार कर दिया था। इसके बाद उनके पार्टी में वापसी के रास्ते बंद हो गए थे। ऐसे में अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन करने वाली भाजपा शशिकला की संभावित बगावत के चलते नुकसान को रोकने के लिए लगातार कोशिश कर रही थी।
चुनाव में सब मिलकर काम करें- शशिकला
शशिकला ने अपनी चिट्ठी में कहा कि जब पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता जीवित थीं, तब भी मैं कभी सत्ता में या पद पर नहीं रही। उनके निधन के बाद भी मैं ऐसा नहीं करूंगी। उन्होंने लिखा- राजनीति छोड़ रही हूं, लेकिन मैं हमेशा भगवान से प्रार्थना करूंगी कि अम्मा का स्वर्णिम शासन आए और विरासत आगे बढ़े। ये मानते हुए कि हम एक ही मां की संतान हैं, सभी समर्थकों को आगामी चुनावों में एक साथ काम करना चाहिए। सभी को DMK के खिलाफ लड़ना चाहिए और अम्मा की सरकार बनाना चाहिए। सभी को मेरा शुक्रिया।'
जयललिता के निधन के बाद AIADMK की कमान संभाली
दिसंबर 2016 में जयललिता के निधन के बाद शशिकला AIADMK की महासचिव चुनी गई थीं। फरवरी 2017 में भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनका नाम सामने आया था। उसके बाद उन्होंने पार्टी की कमान अपने भतीजे टीटीवी दिनाकरन को दे दी थी। सितंबर 2017 में AIADMK ने उन्हें और दिनाकरन को पार्टी से निकाल दिया था। दिनाकरन ने अम्मा मक्कल मुन्नेत्र कषघम (AMMK) की स्थापना की। शशिकला के समर्थन से ही पलानीस्वामी तमिलनाडु के CM बनाए गए। हालांकि, तब पार्टी दो धड़ो में बंट गई। पलानीस्वामी और पन्नीरसेल्वम के बीच CM बनने को लेकर विवाद बढ़ गया। बाद में दोनों गुट एक हो गए और शशिकला को पार्टी से किनारे कर दिया।
भ्रष्टाचार केस में 4 साल जेल में रहीं
चार साल की जेल की सजा काटने के बाद 27 जनवरी को शशिकला रिहा हुईं। उसके बाद कोरोना पॉजिटिव हो गईं। उन्हें बेंगलूरु के विक्टोरिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। 31 जनवरी को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। यहां से वे 8 फरवरी को चेन्नई लौंटी। उनके बाहर आने के बाद यह चर्चा थी कि वे विधानसभा चुनाव में उतरेंगी।
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा भी था कि वे जल्द चुनावी मैदान में उतरेंगी। शशिकला और उनके भतीजे AMMK सचिव टीटीवी दिनाकरन ने मीडिया और समर्थकों से चेन्नई में मुलाकात की थी। फिलहाल वे अपनी भतीजी जे कृष्णप्रिया के साथ रह रही हैं।