सावरकर की 138 वीं जयंती पर बच्चे हुए सम्मानित


बदायंू: अखिल विश्व गायत्री परिवार के मार्गदर्शन में प्रखर बाल संस्कारशाला की ओर से गांव दबिहारी में क्रांतिकारी वीर विनायक दामोदर सावरकर की 138वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। बच्चों को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया।
गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि वीर विनायक सावरकर ने बुलंद भारत का निर्माण किया। क्रांतिकारियों के अग्रणी रहे। सावकर ने अपने उज्ज्वल भविष्य, सुख-समृद्धि, सफल जीवन और सुनहरी आशाओं को त्याग कर भारत माता के लिए स्वयं बलिदान कर दिया। उन्होंने भारत भूमि की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजी ताकतों से लड़ना अपना गौरव समझा। विदेशियों ने सावकर को ‘हुतात्मा‘, यूरोपीय राजनीतिज्ञों ने मेजिनी, गैरीवाल्डी और वुल्फटोन आदि कहकर प्रशंसा की। अखिल भारतवर्ष ने ‘‘स्वतंत्र वीर‘‘ की उपाधि से विभूषित किया।
नशा मुक्ति अभियान के रघुनाथ सिंह ने कहा कि भारतवासियों पर हो रहे अंग्रेजों के अत्याचार वीर सावरकर को सहन न हुए। उन्होंने घर में प्रतिष्ठित मां दुर्गा के सम्मुख मनन-चिंतन कर प्रतिज्ञा कि ‘‘ मैं भारत माता की दास्य-श्रंखलाएं तोड़ने के लिए अपना जीवन अर्पण करता हूं। मैं गुप्त संस्थाएं खोलूंगा, शस्त्र बनाऊंगा और समय आने पर हाथ में लेकर भारत माता की स्वतंत्रता के लिए लड़ता-लड़ता मरूंगा।‘‘ भारत माता के सच्चे सपूत वीर सावरकर ने युवाओं में देशभक्ति का अनोखा जोश भरा।
निर्मल गंगा जन अभियान के सुखपाल शर्मा ने कहा कि वीर सावरकर में अभूतपूर्व नेतृत्व क्षमता थी। सावरकर ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया और 1905 में विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर स्वदेशी आंदोलन की नींव रखी। अभिनव भारत राजनीतिक दल का निर्माण कर देश को नई ऊर्जा दी। 
देशभक्त श्रीमती कामा ने वीर सावरकर द्वारा स्वीकृत भारत का स्वतंत्र राष्ट्रीय ध्वज विदेश में फहराकर साहसपूर्ण का कार्य किया। भारतीय देशभक्तों के रक्त से पवित्र राष्ट्रध्वज को सभी ने खड़े होकर नमन, वंदन किया। बच्चों ने देशभक्ति गीतों की शानदान प्रस्तुति दी। इस मौके पर रीना शर्मा, आरती शर्मा, कशिश, दीप्ति, नेहा, कल्पना, भूमि, अंशुमन, खुशबू, हेमंत आदि मौजूद रहे। संचालन मृत्युंजय शर्मा ने किया।