एक मिशन और सामाजिक आंदोलन की तरह तंबाकू नियंत्रण को आगे बढ़ाने की जरूरत: डॉ. हर्षवर्धन

शंकर झा की रिपोर्ट
नई दिल्ली :केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज वैश्विक तंबाकू नियंत्रण प्रगति के 25 वर्षों को उजागर करने के लिए आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित किया। यह कार्यक्रम तंबाकू मुक्त बच्चों के अभियान की 25वें वार्षिक समारोह का हिस्सा था। तंबाकू मुक्त बच्चों के अभियान ने एक घंटे तक चलने वाले इस वर्चुअल कार्यक्रम की मेजबानी की जिसमें बताया गया कि तंबाकू नियंत्रण आंदोलनों ने किस प्रकार दुनिया भर के देशों में तंबाकू के उपयोग में उल्लेखनीय गिरावट लाने में कामयाबी हासिल की है। इस कार्यक्रम में पांच देशों के निर्वाचित अधिकारियों और सिविल सोसाइटी के नेताओं ने भी भाग लिया। उनका मानना है कि तंबाकू के उपयोग में दो अंकों की गिरावट आई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 75 वर्षों में संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने में देश ने पर्याप्त प्रगति की है। उन्होंने कहा कि तंबाकू का उपयोग समय से पहले, एनसीडी से संबंधित मृत्यु दर और रुग्णता का एक प्रमुख कारण है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ती हुई चुनौती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के भाषण का मूल पाठ इस प्रकार है:
 
'देवियों और सज्जनों,
मैं हृदय से आभारी हूं कि आज तंबाकू मुक्त बच्चों के अभियान की 25वीं वर्षगांठ के गौरवपूर्ण अवसर पर मुझे आपके साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित किया गया है। इस संगठन के तत्वावधान में पिछले कई वर्षों के दौरान हासिल की गई तमाम उपलब्धियों के लिए मैं उसकी हार्दिक प्रशंसा करता हूं। हालांकि, तंबाकू का सेवन हमारे समाज में इस कदर फैला हुआ है कि इस महामारी को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के लिए अथक प्रयास करने की आवश्यकता है।
मित्रों,
मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि भारत के आजादी के 75वें वर्ष की ओर बढ़ने के साथ ही इसकी आबादी के स्वास्थ्य स्थिति में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान संचारी रोगों को नियंत्रित करने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। संचारी रोगों से रुग्णता एवं मृत्यु दर में गिरावट के साथ ही हृदय रोग, मधुमेह, क्रॉनिक ऑब्‍सट्रक्‍टिव पुल्‍मोनैरी डिजीज, कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य विकार और आघात जैसी गंभीर गैर-संचारी रोगों में भी उल्लेखनीय बदलाव हुए हैं। हम सब जानते हैं कि तंबाकू का उपयोग समय से पहले वृद्धावस्था, एनसीडी से संबंधित मृत्यु दर एवं रुग्णता का एक प्रमुख कारण है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ती हुई चुनौती है।
भारत में तंबाकू के उपयोग को कम करने के हमारे प्रयासों का उद्देश्य 1.3 अरब की हमारी पूरी आबादी तक पहुंचाना है ताकि हरेक वर्ग को इसके दुष्प्रभाव और जोखिम से अवगत कराया जा सके। अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मैंने दिल्ली धूम्रपान निषेध एवं धूम्रपान न करने वालों के स्वास्थ्य संरक्षण अधिनियम को तैयार किया था जिसे 1997 में दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित किया गया था। यही कानून 2002 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाने वाले केंद्रीय कानून का मॉडल बन गया। तब से हमने तंबाकू के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में एक लंबा सफर तय किया है। हमने तंबाकू के उपयोग, इसके प्रचार और विज्ञापन पर अंकुश लगाने के लिए कई कानून बनाए हैं। हम तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन का अनुपालन करने वाले पहले कुछ देशों में शामिल हैं। भारत में एक समर्पित राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम है।
पिछले सात वर्षों के दौरान मेरी सरकार ने अपनी मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और ठोस लक्षित कार्रवाई के बल पर तंबाकू नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान किया है। हम लोगों में जागरूकता पैदा करने और तंबाकू नियंत्रण को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न कदम उठा रहे हैं जिनमें तंबाकू उत्पादों के पैकेट के 85 प्रतिशत क्षेत्र को क