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गुरुवार, 30 सितंबर 2021
वनवासी समाज के हित में संवेदनशील होने की जरूरत है: हर्ष चौहान
नई दिल्ली:राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग केवल शिकायत का एक मंच नहीं है बल्कि जनजातीय समाज तक जानकारी पहुंचाने का भी एक माध्यम है। आयोग का उद्देश्य जनजातीय समाज के साथ संवाद को बढ़ाना, उनके लिए बनने वाली योजनाओं को उन तक सही माध्यम से पहुंचाना और उनको आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए एक सार्थक मंच प्रदान करना भी है। वनवासी समाज के लोगों के लिए देश में संवेदनशील लोगों की जरूरत है। ये बातें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री हर्ष चौहान ने आयोग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में कहीं। आयोग की तरफ से दिल्ली के विज्ञान भवन में '' जनजाति ग्रामों में वित्तीय समावेशन व अजीविका का अभिशरण " शीर्षक से एक तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। 28 सितंबर से शुरू हुई इस सेमिनार में विभिन्न सत्रों में देशभर से आए वक्ताओं ने अपनी बातें रखीं। विभिन्न मंत्रालयों ने अपने-अपने मंत्रालयों के माध्यम से जनजातीय समाज के लिए किए जा रहे रहे कार्यों के बारे में अवगत कराया। आयोग के अध्यक्ष श्री हर्ष चौहान ने अपने वक्तव्य में और भी कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा “जनजाति के मूल अर्थ को समझे जाना बेहद आवश्यक है।
अंग्रेज़ों द्वारा थमाई गई जनजाति की अवधारणाओं की वजह से इसके मूल भाव से हम कहीं न कहीं भटक गए हैं। जनजाति समुदाय के कुछ प्रमुख मुद्दे हैं जैसे, भूमि बेदखलीकरण, पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय समावेशन, वनाधिकार इत्यादि। इन सभी मुद्दों पर नीतिगत और जमीनी स्तर पर नए दृष्टिकोण से विचार किए जाने की जरूरत है। समाज में यह आम धारणा रही है कि जनजातीय समुदाय ज़िम्मेदारी है लेकिन यहां समाज यह भूल जाता है कि जनजाति समुदाय हमारी संपत्ति है। इसलिए जनजातियों की संविधान द्वार प्राप्त अधिकारों की रक्षा करना और विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर इनकी भागीदारी सुनिश्चित करना आयोग का महत्वपूर्ण प्रयास है। नीतिगत और जमीनी स्तर पर गुणवत्तापूर्ण कार्य के साथ-साथ इनकी निरंतर निगरानी किए जाना भी बेहद जरूरी है। यहां एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जनजातीय समाज के लिए बनने वाले योजनाएं उनको साथ लेकर ही बनाई जानी चाहिए ''
कार्यक्रम में भारत सरकार के श्रम एवं वन और पर्यावरण मंत्री श्री भूपेंद्र यादव और केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी मुख्य आतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर भूपेंद्र यादव ने कहा कि जनजाति समुदाय के प्रति सरकार और आमजन को सजग रहने की जरूरत है। जनजातियों को एक समुदाय के रूप में समझने की आवश्यकता है। जनजाति समुदाय आदिकाल से ही पर्यावरण संरक्षण और परिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में सबसे आगे रहे हैं। इस भूमिका को ध्यान रखते हुए हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ मिलकर वन संसाधनों के प्रबंधन में जनजातीय समुदायों को और अधिक अधिकार देने का निर्णय लिया है। इन समुदायों के आजीविका और वित्तीय समावेशन के लिए हमें मूलभूत बातों पर तत्काल विचार कर बुनियादी सुविधाओं को विकसित करना होगा। इसके लिए
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए हिंदी और अंग्रेजी सहित 13 क्षेत्रीय भाषाओं में लिपिकीय भर्ती परीक्षाओं का आयोजन
नई दिल्ली:भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने सिफारिश की है कि 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए लिपिकीय भर्तियों और अब से विज्ञापित रिक्तियों के संदर्भ में, प्रारंभिक और मुख्य दोनों परीक्षाएं, हिंदी और अंग्रेजी सहित 13 क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जाएंगी।
यह निर्णय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में क्षेत्रीय भाषाओं में लिपिक संवर्ग के लिए परीक्षा आयोजित करने के मामले पर विचार करने के लिए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति की सिफारिश पर आधारित है। आईबीपीएस द्वारा शुरू की गई परीक्षा आयोजित करने की मौजूदा प्रक्रिया को समिति की सिफारिशें उपलब्ध कराए जाने तक रोक कर रखा गया था।
समिति ने स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसरों के लिए एक समान अवसर प्रदान करने और स्थानीय/क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से ग्राहकों के साथ अधिकाधिक जुड़ने के उद्देश्य से काम किया।
क्षेत्रीय भाषाओं में लिपिकीय परीक्षा आयोजित करने का यह निर्णय आगामी एसबीआई रिक्तियों पर भी लागू होगा, जो पहले से विज्ञापित रिक्तियों के लिए चल रही भर्ती प्रक्रिया के पूरा होने के बाद होगा।
दालों के भंडार का डिजिटलीकरण जोरों पर tap news india
नई दिल्ली:उपभोक्ता मामले विभाग के आधिकारिक पोर्टल पर 20 सितंबर, 2021 तक कम से कम 11,635 भंडार धारकों ने 3097694.42 मीट्रिक टन दालों के भंडार की घोषणा करते हुए पंजीकरण कराया है।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का उपभोक्ता मामले विभाग 22 आवश्यक खाद्य वस्तुओं के खुदरा और थोक मूल्यों की निगरानी कर रहा है। यह विभाग द्वारा विभिन्न प्रभावी नीतिगत उपायों के माध्यम से प्राप्त किया जा रहा है जैसे कालाबाजारी पर अंकुश लगाना, निर्यात को प्रतिबंधित करके उपलब्धता बढ़ाना और आयात को प्रोत्साहित करना, बफर स्टॉक बनाना एवं असामान्य मूल्य वृद्धि को कम करने के लिए समय पर भंडार जारी किया जाना सुनिश्चित करना।
इस सिलसिले में खुले बाजार में उपलब्ध दालों के आंकड़ों का दोहन करना जरूरी था। इसलिए, माननीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रीश्री पीयूष गोयल की मंजूरी के साथविभाग ने स्टॉकिस्ट, मिल मालिकों, आयातकों और डीलरों जैसे विभिन्न भंडार धारकों को किसी भी दी गयी तारीख पर अपने पास मौजूदभंडारकी जानकारी देने की खातिर प्रोत्साहित करने के लिए एक पोर्टल तैयार किया है।
व्यापारियों, मिल मालिकों, आयातकों, और सरकारी एवं निजी स्वामित्व वाले गोदामों के माध्यम से भंडार की घोषणा की मदद से एक डेटा बैंक बनाया जाएगा। इससे सरकार को यह समझने में मदद मिलेगी कि वे कौन से राज्य हैं जो कटाई-पिसाई-पेराई (मिलिंग) आदि उद्देश्यों के लिए उत्पादन और भंडारण करते हैं। भंडार संबंधी इस घोषणा और उस के रियल-टाइम सत्यापन के माध्यम से जमाखोरी और कृत्रिम कमी पैदा करने की अवांछनीय प्रथाओं पर रोक लगाने में भी मदद मिलेगी।
पोर्टल - https://fcainfoweb.nic.in/psp - को भी कोई भी नागरिक एक्सेस कर सकता है। ओटीपी के माध्यम से ईमेल और मोबाइल के सत्यापन के बाद हितधारक पोर्टल में पंजीकरण कर सकते हैं और यूजर आईडी एवं पासवर्ड बना सकते हैं। यूजर आईडी और पासवर्ड बनाने के बाद, वे अपने विवरण एवं भौगोलिक जानकारी जोड़कर अपने प्रोफाइल में जानकारी साझा करते हैं और किसी भी तारीख को अपने भंडार में मौजूद अलग-अलग दालों की जानकारी देते हैं। जब भी भंडार में कोई वृद्धि या घटाव होता है, तो डेटा को अपडेट करना हितधारकों की जिम्मेदारी है।
डेटा की गोपनीयता बनाए रखी जाती है। राज्य और केंद्र सरकार के अलावा किसी भी भंडार धारक द्वारा घोषित डेटा उन्हें दिखाई देगा। डेटा उन्हें किसी भी तारीख को भंडारों की आवाजाही और उनके साथ भंडार की मात्रा जानने में मदद करता है। राज्य सरकारें अपने स्वयं के राज्यों से संबंधित विभिन्न हितधारकों द्वारा किए गए पंजीकरण और घोषित भंडार की निगरानी कर सकती हैं। यह उनके राज्य में उपलब्ध विभिन्न दालों के भंडार की मात्रा का डेटा देता है। यह किसी विशेष दाल की उपलब्धता में किसी भी अपेक्षित कमी के बारे में भी जानकारी देता है ताकि राज्य सरकार स्थिति के आधार पर आयात के माध्यम से या केंद्रीय बफर के माध्यम से सुचारू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर सके।
उपभोक्ता मामले विभाग राष्ट्रीय स्तर पर स्थिति पर नजर रखता है। यह देश भर में किसी विशेष दाल की उपलब्धता में किसी भी अपेक्षित कमी के बारे में भी जानकारी देता है ताकि सरकार तत्काल आयात या निर्यात को प्रतिबंधित करने या स्थिति के आधार पर केंद्रीय बफर में भंडार जारी करने के माध्यम से सुचारू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर सके। पोर्टल से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर सरकार द्वारा उठाए जाने वाले विभिन्न उपायों से उपभोक्ताओं के लिए सस्ती कीमतों पर दालों की सुगम उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
उपराष्ट्रपति राजस्थान के चार दिनों के दौरे के बाद वापस लौटे tap news
नई दिल्ली:उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू अपने चार दिवसीय राजस्थान के दौरे के बाद आज नई दिल्ली लौट आए। श्री नायडू ने राजस्थान के विभिन्न सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सीमांत स्थानों का दौरा किया। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों के साथ भी बातचीत की और उन्हें शुष्क भूमि पर खेती के लिए विकसित नई किस्मों के बारे में जानकारी दी गई।
श्री नायडू ने अपनी यात्रा की शुरुआत जैसलमेर के प्रसिद्ध तनोट माता मंदिर में जाकर की, जहां उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती उषा नायडू के साथ पूजा-अर्चना की। इस मौके पर उन्होंने तनोट के विजय स्तंभ पर माल्यार्पण कर शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी।
जैसलमेर में सीमा के पास प्रसिद्ध लौंगेवाला युद्ध स्थल का दौरा करते हुए, श्री नायडू ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान एक निर्णायक लड़ाई में भारतीय सैनिकों द्वारा प्रदर्शित अनुकरणीय साहस और दृढ़ संकल्प की प्रशंसा की।
दूसरे दिन, उपराष्ट्रपति ने 'जैसलमेर युद्ध संग्रहालय' का दौरा किया और भारतीय सेना के बैटल एक्स डिवीजन (12 रैपिड) के सैनिकों के साथ बातचीत की। उन्होंने कठोर जलवायु परिस्थितियों में राष्ट्र की रक्षा और सीमाओं की रक्षा करने में उनके सर्वोच्च प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सुरक्षा बलों से पारंपरिक युद्ध में अपना प्रभुत्व बनाए रखते हुए सूचना और साइबर युद्ध जैसे संघर्ष के नए और उभरते क्षेत्रों में अपना वर्चस्व स्थापित करने का आग्रह किया।
श्री नायडू ने बाद में 191 बीएन मुख्यालय में एक सैनिक सम्मेलन को संबोधित किया और क्षेत्र में तैनात सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ बातचीत की। उन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा करने तथा सीमा पर दुश्मन के ड्रोन से उभरते खतरों का मुकाबला करने के उपाय के लिए बीएसएफ सैनिकों की प्रशंसा की और बल को नवीनतम तकनीकों के साथ खुद को अपडेट करने के लिए कहा। उपराष्ट्रपति ने हमारे सुरक्षा बलों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया।
जैसलमेर में अपने दो दिवसीय प्रवास के बाद, उपराष्ट्रपति जोधपुर पहुंचे और विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक मेहरानगढ़ किले का दौरा किया और इसकी भव्य सुंदरता से प्रभावित हुए। बाद में एक फेसबुक पोस्ट में, श्री नायडू ने किले को राजस्थान की भव्यता का एक चमकता हुआ प्रतीक बताया। उन्होंने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विरासत स्थलों के आसपास बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं में सुधार करने का भी आह्वान किया।
तीसरे दिन, उपराष्ट्रपति ने आईआईटी जोधपुर के परिसर का दौरा किया, जहां उन्होंने जोधपुर सिटी नॉलेज एंड इनोवेशन क्लस्टर का उद्घाटन किया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऑफ थिंग्स (एआईओटी) सिस्टम के लिए फैब लैब की आधारशिला रखी। छात्रों को संबोधित करते हुए, श्री नायडू ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी क्रांतिकारी तकनीकों की क्षमता का दोहन करने का आह्वान किया और उन्हें कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में समस्याओं के व्यावहारिक समाधान खोजने की सलाह दी।
अंतिम दिन, श्री नायडू ने सीमा सुरक्षा बल के जोधपुर फ्रंटियर मुख्यालय का दौरा किया और बीएसएफ के कार्मिकों के साथ बातचीत की। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि बीएसएफ शांति के दुश्मनों के नापाक मंसूबों को नाकाम करना जारी रखेगा।
इसी दिन बाद में, उपराष्ट्रपति ने जोधपुर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) -केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) का दौरा किया और वैज्ञानिकों तथा कर्मचारियों के साथ बातचीत की। संस्थान में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने किसानों को अधिक से अधिक पहुंच प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकियां प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहनी चाहिए और वैज्ञानिक जानकारी किसानों को हस्तांतरित की जानी चाहिए।"
जयपुर से नई दिल्ली के लिए प्रस्थान के समय, श्री नायडू और उनकी पत्नी श्रीमती उषा नायडू को राजस्थान के राज्यपाल श्री कलराज मिश्र, राजस्थान सरकार के मंत्री डॉ बुलाकी दास कल्ला, राज्यसभा के सदस्य श्री राजेंद्र गहलोत और अन्य ने विदाई दी।
एटा में आज बीसवें दिन भी अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन जारी रहा
सड़क सुरक्षा कार्यशाला में एनएसएस स्वयंसेवी हुए प्रशिक्षित
बुधवार, 29 सितंबर 2021
उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ‘वयोश्रेष्ठ सम्मान’ पुरस्कार प्रदान करेंगे TNI
नई दिल्ली:सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय 1 अक्टूबर, 2021 को प्रातः 11:55 से 1 बजकर 5 मिनट तक प्लेनरी हॉल, विज्ञान भवन, नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान में ‘वयो नमन’ कार्यक्रम का आयोजन करेगा। मंत्रालय वृद्धजनों के लिए हर वर्ष 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाता है।
उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे और ‘वयोश्रेष्ठ सम्मान’ पुरस्कार प्रदान करेंगे। श्री नायडू इस अवसर पर एल्डरली लाइन 14567 को राष्ट्र को समर्पित करेंगे और सीनियर एबल सिटिजन रिएम्प्लॉयमेंट इन डिग्निटी (एसएसीआरईडी) और सीनियर केयर एजिंग ग्रोथ इंजन (सीएजीई) पोर्टल्स का शुभारंभ करेंगे।
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्रीमती प्रतिमा भौमिक, श्री रामदास अठावले, श्री ए नारायणस्वामी और श्री आर. सुब्रह्मण्यम और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नीमच-रतलाम रेल लाइन के दोहरीकरण की मंजूरी दी
नई दिल्ली प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय़ समिति ने नीमच-रतलाम रेल लाइन के दोहरीकरण की मंजूरी दी है। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 1,095.88 करोड़ रुपये और बढ़ी हुई/कार्य समापन लागत 1,184.67 करोड़ रुपये होगी। इस लाइन के दोहरीकरण की कुल लंबाई 132.92 किमी है। यह परियोजना चार साल में पूरी होगी।
नीमच-रतलाम खंड की लाइन क्षमता उपयोग रख-रखाव ब्लॉकों के साथ 145.6 प्रतिशत तक है। इस परियोजना मार्ग खंड पर बिना रख-रखाव ब्लॉक के भी अधिकतम क्षमता से भी कहीं अधिक माल ढुलाई यातायात हो गया है। सीमेंट कंपनियों के कैप्टिव पॉवर प्लांट के लिए मुख्य आवक माल यातायात के रूप में कोयले की ढुलाई की जाती है। नीमच-चित्तौड़गढ़ क्षेत्र में सीमेंट ग्रेड, चूना पत्थर के विशाल भंडारों की उपलब्धता होने से नए सीमेंट उद्योगों की स्थापना के कारण इस खंड पर यातायात में और बढ़ोतरी होगी।
नीमच-रतलाम खंड के दोहरीकरण से इस खंड की क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इस प्रकार सिस्टम में अधिक माल और यात्री ट्रेन शामिल की जा सकेंगी। सीमेंट उद्योगों की निकटता के कारण पहले वर्ष से 5.67 मिलियन टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त माल ढुलाई की उम्मीद है, जो 11वें वर्ष में बढ़कर 9.45 मिलियन टन प्रति वर्ष हो जाएगी। इससे आसान कनेक्टिवटी उपलब्ध होने के साथ-साथ इस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना से इस क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि ऊंचागढ़ के किले सहित कई ऐतिहासिक स्थल इस परियोजना क्षेत्र में स्थित हैं।
कामयाबी को आदत बनाने वाली लड़की tap news
नई दिल्ली:टोक्यो ओलंपिक-2020 में भारतीय स्टार शटलर पीवी सिंधु ने इतिहास रच दिया। वह न केवल बैडमिंटन इतिहास में भारत के लिए दो मेडल जीतने वाली पहली शटलर बनीं, बल्कि इंडिविजुअल गेम में ऐसा करने वाली पहली महिला एथलीट भी बन गई हैं। इससे पहले उन्होंने रियो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। टोक्यो ओलंपिक में सेमीफाइनल में हार के बावजूद अपनी प्रतिभा की चमक को बनाए रखते हुए उन्होंने कांस्य पदक जीत लिया।
पीवी सिंधु विश्व चैंपियन शिप से लेकर ओलंपिक तक लगातार भारत को गर्व करने के अवसर प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कामयाबी को अपनी आदत बना लिया है और अभी उनका सफर जारी है। सोचिये कि वह बैडमिंटन रैकेट कितना कीमती होगा जिससे पीवी सिंधु ने इतिहास बनाया। बिल्कुल सही सोचा आपने वाकई वह रैकेट बेशकीमती है लेकिन राष्ट्र के हित मे एक बड़े उद्देश्य के लिये अब पीवी सिंधु का वह ऐतिहासिक रैकेट को कोई भी अपना बना सकता है।
पीवी सिंधु ने ओलंपिक में विजय पताका फहराने के बाद भारत लौट कर प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को अपना रैकेट उपहार स्वरूप भएट कर दिया। अब जबकी प्रधानमंत्री को मिले उपहारों का ई-ऑक्शन शुरू हो चुका है। सिंधु का बैडमिंटन भी उन वस्तुओं की सूची में शामिल है जिनका ऑक्शन किया जा रहा है। यह ई-आक्शन 17 सितम्बर से 7 अक्टूबर तक चलेगा। सिंधु की उपलब्धि की निशानी को आप हासिल कर गौरवान्वित हो सकते हैं। बस www.pmmementos.gov.in पर लॉग ऑन कर ई-ऑक्शन में हिस्सा लें। इस ऑक्शन में पीवी सिंधु के रैकेट का बेस प्राइज 80 लाख रखा गया है।
इससे पहले भी प्रधानमंत्री को मिलने वाले उपहारों की नीलामी होती रही है। आखिरी बार साल 2019 में ऐसा ऑक्शन हुआ था। पिछली बार नीलामी में सरकार ने 15 करोड़ 13 लाख रुपये हासिल किए थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में वह पूरी राशि गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने हेतु 'नमामि गंगे कोष' में जमा की गयी थी। इस बार भी ऑक्शन से मिलने वाली राशि 'नमामि गंगे कोष' को प्रदान की जाएगी।
नयी रोशनी के रखवाले tap news india
नई दिल्ली:41 साल से हाकी में ओलंपिक मेडेल के अकाल को खत्म करके उन्होंने दम लिया। यह थी भारतीय हाकी की पुरूष टीम जिसने टोक्यो ओलंपिक 2020 में ऐतिहासिक विजय हासिल कर भारत को उसके हाकी के पुराने गौरव की चमक से रोशन कर दिया। टोक्यो ओलिंपक मे जीता गया वह ब्रांज मेडल महज एक पदक नहीं था बल्कि करोड़ों देश वासियों की आशा और सपने का पूरा होना है।
एक समय था जब भारत विश्व में हाकी का सिरमौर था। धीरे धीरे एस्टोटर्फ के आगमन और खेल के नियमों में अभुतपूर्व बदलाव के चलते भातीय हाकी समय के साथ ताल मेल बिठाने मे नाकाम होने लगी और विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं में वह बुरी तरह पिछड़ गयी। लेकिन धूल से उठ कर फिर शिखर की ओर का सफर शुरू हुआ और आखिरकार मनप्रीत सिंह की कैप्टनशिप में हाकी ओलंपिक में भारत के नाम एक और मेडल दर्ज हो गया।
प्रधानमंत्री राजस्थान में चार नए मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला रखेंगे
नई दिल्ली:प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 30 सितम्बर, 2021 को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सिपेट (सीआईपीईटी): पेट्रोरसायन प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर का उद्घाटन करेंगे और राजस्थान के बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा जिलों में चार नए मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला भी रखेंगे।
इन मेडिकल कॉलेजों को ‘‘जिला / रेफरल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना’’ के लिए केन्द्र-प्रायोजित योजना के तहत स्वीकृत किया गया है। चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना में पिछड़े एवं वांछित जिलों को प्राथमिकता दी जाती है। योजना के तीन चरणों के तहत, देश भर में 157 नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है।
सिपेट के बारे में
राजस्थान सरकार के साथ, भारत सरकार ने सिपेट : पेट्रोरसायन प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर की स्थापना की है। यह आत्मनिर्भर है और पेट्रोरसायन तथा संबद्ध उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए समर्पित है। यह युवाओं को कुशल तकनीकी पेशेवर बनने के लिए शिक्षा प्रदान करेगा।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री मनसुख मंडाविया और राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत भी मौजूद रहेंगे।
समाजसेवा के लिए मिला प्रमाणपत्र
मंगलवार, 28 सितंबर 2021
noidaहिमांशु अग्रवाल बने आम आदमी पार्टी व्यापार प्रकोष्ठ गौतम बुध नगर के सचिव एवं जिला प्रवक्ता
भगतसिंह के सपनों का भारत बनाना SVS का लक्ष्य
ब्राह्मण महापंचायत में विप्र एकजुटता पर दिया गया जोर
सोमवार, 27 सितंबर 2021
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय स्तर पर आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का शुभारंभ किया
नई दिल्ली:एक ऐतिहासिक पहल के रूप में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मांडविया और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार भी उपस्थित थीं।
इस ऐतिहासिक अवसर पर देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने का पिछले सात साल से जारी अभियान, आज एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, "आज हम एक मिशन शुरू कर रहे हैं, जिसमें भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आरोग्य सेतु ऐप से कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में बहुत मदद मिली है। उन्होंने को-विन की सराहना करते हुए कहा कि सबको वैक्सीन-मुफ्त वैक्सीन अभियान के तहत भारत में आज तक वैक्सीन की लगभग 90 करोड़ रिकॉर्ड डोज दिए जाने में को-विन की बहुत बड़ी भूमिका है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग के विषय पर आगे बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में टेली-मेडिसिन का भी अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। उन्होंने कहा कि अब तक ई-संजीवनी के जरिये दूर बैठकर लगभग 125 करोड़ परामर्श लिये गये हैं। यह सुविधा हर रोज देश के दूर-सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले हजारों देशवासियों को घर बैठे ही शहरों के बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों से जोड़ रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ समाधानों को एक-दूसरे से जोड़ेगा। इस मिशन से न केवल अस्पतालों की प्रक्रियाएं सरल होंगी, बल्कि इससे जीवन की सुगमता भी बढ़ेगी। इसके तहत अब देशवासियों को एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी और हर नागरिक का स्वास्थ्य रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रखा जायेगा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत एक ऐसे स्वास्थ्य मॉडल पर काम कर रहा है, जो समग्र भी है और समावेशी भी है। यह ऐसा मॉडल है, जिसमें बीमारियों को रोकने पर जोर दिया जायेगा यानी वह रोकथाम वाली स्वास्थ्य सुविधा हो। इसके अलावा बीमारी की स्थिति में इलाज सुलभ हो, सस्ता हो और सबकी पहुंच में हो। उन्होंने स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार की भी चर्चा की और कहा कि पिछले सात-आठ वर्षों की तुलना में आज डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि देश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों तथा अन्य आधुनिक स्वास्थ्य संस्थानों का एक बड़ा नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है। इसके अलावा हर तीन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज बनाने पर काम चल रहा है। उन्होंने गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने का उल्लेख करते हुए बताया कि गावों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के नेटवर्क तथा आरोग्य केंद्रों को दुरुस्त किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 80 हजार से अधिक ऐसे केंद्रों को चालू किया जा चुका है।
साक्ष्य आधारित नीति निर्माण और सांख्यिकी आधारित क्रियान्वयन पर सरकार का मुख्य फोकस है: भूपेंद्र यादव
नई दिल्ली:श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज श्रम ब्यूरो द्वारा तैयार अखिल भारतीय तिमाही प्रतिष्ठान आधारित रोजगार सर्वेक्षण (एक्यूईईएस) के तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (क्यूईएस) की अप्रैल से जून 2021 तक की पहली तिमाही की रिपोर्ट जारी की।
श्रम ब्यूरो द्वारा जारी इस अखिल भारतीय त्रैमासिक स्थापना आधारित रोजगार सर्वेक्षण (एक्यूईईएस) को नौ चयनित क्षेत्रों के संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में रोजगार और प्रतिष्ठानों के संबंधित चर के बारे में लगातार (तिमाही) अद्यतन सूचना प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है। ये क्षेत्र गैर-कृषि प्रतिष्ठानों में कुल रोजगार के अधिकांश भाग के लिए जिम्मेदार हैं। ये नौ चयनित क्षेत्र विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रेस्तरां, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी)/बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) और वित्तीय सेवाएं हैं।
इस कार्यक्रम में श्रम और रोजगार (एल एंड ई ) राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली, श्रम और रोजगार सचिव श्री सुनील बर्थवाल, प्रधान श्रम एवं रोजगार सलाहकार श्री डी.पी. एस. नेगी और महानिदेशक, श्रम ब्यूरो श्री आई. एस. नेगी तथा अखिल भारतीय सर्वेक्षण पर विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष प्रो. एस.पी. मुखर्जी भी उपस्थित थे।
परिणामों की घोषणा करते हुए श्री यादव ने कहा कि छठे आर्थिक जनगणना सर्वेक्षण (2013- 14) उल्लिखित इन नौ चयनित क्षेत्रों में अनुमानित कुल 2 करोड़ 37 लाख रोजगारों की तुलना में इस तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (क्यूईएस) के पहले दौर से नौ चयनित क्षेत्रों में अनुमानित कुल रोजगार 3 करोड़ 8 लाख है और यह 29 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।
वित्तीय स्वतंत्रता, महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है: एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष
नई दिल्ली ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करने और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के एक प्रयास के तहत, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने डेयरी फार्मिंग में महिलाओं के लिए एक देशव्यापी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया है। आयोग डेयरी फार्मिंग और संबद्ध गतिविधियों से जुड़ी महिलाओं की पहचान और प्रशिक्षण के लिए पूरे भारत में कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग कर रहा है। इन गतिविधियों में मूल्यवर्धन, गुणवत्ता वृद्धि, पैकेजिंग और डेयरी उत्पादों का विपणन अन्य शामिल हैं।
परियोजना के तहत पहला कार्यक्रम हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से राज्य के हिसार जिले में स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए 'मूल्य वर्धित डेयरी उत्पाद' के विषय पर आयोजित किया गया था। परियोजना का शुभारंभ करते हुए, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा ने कहा कि वित्तीय स्वतंत्रता महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत की महिलाएं डेयरी फार्मिंग के हर हिस्से में शामिल हैं, फिर भी वे वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में असमर्थ हैं। एनसीडब्ल्यू का लक्ष्य अपनी परियोजना के माध्यम से महिलाओं को डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, उनके मूल्यवर्धन, पैकेजिंग और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने तथा उनके उत्पादों के विपणन से जुड़ा प्रशिक्षण देकर सशक्त करना और वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में उनकी मदद करना है।
राष्ट्रीय महिला आयोग महिलाओं की उनकी पूरी क्षमता हासिल करने और एक स्थायी अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान देने में मदद करने के लिए काम कर रहा है। आयोग हमेशा महिलाओं की समानता के लिए खड़ा रहा है क्योंकि यह दृढ़ता से मानता है कि अर्थव्यवस्था सफल नहीं हो सकती अगर हम अपनी आधी आबादी को उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने से रोकेंगे।
एनसीडब्ल्यू का उद्देश्य डेयरी फार्मिंग क्षेत्र में विस्तार संबंधी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण और व्यावहारिक विचारों की एक श्रृंखला के माध्यम से महिला किसानों और स्वयं सहायता समूहों की मदद करना है। आयोग महिलाओं को उनके व्यवसाय को बढ़ाने और उन्हें उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करने की खातिर प्रशिक्षण प्रदान करेगा। एनसीडब्ल्यू ऐसे प्रशिक्षकों का भी चयन करेगा जो महिला उद्यमियों, महिलाओं द्वारा संचालित दूध सहकारी समितियों, महिला स्वयं सहायता समूहों आदि को प्रशिक्षित करेंगे। एनसीडब्ल्यू का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र में एक स्थायी और अनुकरणीय जिला स्तरीय मॉडल बनाना है जिसे आगे देश के डेयरी फार्मिंग क्षेत्रों में अपनाया जा सके। परियोजना का उद्देश्य डेयरी उत्पादों के निर्माण एवं विपणन के लिहाज से गांवों में उपलब्ध अपार क्षमता का दोहन करना और इस प्रक्रिया के साथ-साथमहिलाओं को सशक्त बनाना है ताकि वे वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें।
लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह ने एनसीसी के महानिदेशक का पदभार संभाला
लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह ने दिनांक 27 सितंबर, 2021 को राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के 34वें महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह को 1987 में पैराशूट रेजिमेंट में कमीशन प्रदान किया गया था। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला, भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून और एनसीसी के पूर्व छात्र होने के साथ-साथ उन्होंने वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, महू में हायर कमांड कोर्स और नई दिल्ली में नेशनल डिफेंस कॉलेज कोर्स में भाग लिया।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह नगालैंड और सियाचिन ग्लेशियर में आतंकवाद विरोधी वातावरण में कंपनी कमांडर रह चुके हैं। उन्होंने कश्मीर में वैली सेक्टर के गहन आतंकवाद विरोधी माहौल में और लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल में एक स्पेशल फोर्सेज़ बटालियन की कमान संभाली है। उन्होंने नियंत्रण रेखा पर माउंटेन ब्रिगेड और इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली है।
जनरल ऑफिसर सेक्टर मुख्यालय राष्ट्रीय राइफल्स में जनरल स्टाफ ऑफिसर (ऑपरेशन्स) के पद पर भी रहे हैं। उनका सैन्य अभियान निदेशालय और मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ दोनों में रहे हैं। इसके अलावा वह कमांडो स्कूल और भारतीय सैन्य प्रशिक्षण टीम में प्रशिक्षक रहे हैं।
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रविवार, 26 सितंबर 2021
समाजवादी पार्टी ने 139 विधानसभा गोला में बैठक का आयोजन
आईआईटी रुड़की एल्यूमिनी एसोसिएशन ने काव्योत्सव के जरिए मनाया आजादी का जश्न TNI
काँग्रेस के राष्ट्रीय चैयरमेन इमरान प्रतापगढ़ी का फुलमालाओ से ज़ोरदार स्वागत किया गया
शनिवार, 25 सितंबर 2021
महापंचायत में तय होगा ब्राह्मण समाज के युवाओ का राजनीतिक भविष्य
नोएडा विधानसभा के लिए कांग्रेस पार्टी कार्यालय में तीन आवेदन आए -शहाबुदीन
माकपा दिल्ली एनसीआर राज्य कमेटी का त्रिवार्षिक सम्मेलन विशाल जनसभा के साथ हुआ शुरू- गंगेश्वर दत शर्मा
शुक्रवार, 24 सितंबर 2021
चिकित्सा उपकरणों को समर्थन प्रदान करने के एक प्रमुख पहल के रूप में "मेडिकल डिवाइस पार्कों
- प्रतिस्पर्धाओं में हुई बढ़ोत्तरीसे निपटने के लिए, वैश्वित स्तर वाली सामान्य बुनियादी सुविधाओं के निर्माण के माध्यम से मानक परीक्षण और बुनियादी सुविधाओं तक आसान पहुंच के कारण, चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन की लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी, जिससे घरेलू बाजार में चिकित्सा उपकरणों की बेहतर उपलब्धता और सामर्थ्य प्राप्त होगा।
- उपयुक्त संसाधनों और बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं से उत्पन्न होने वाले लाभों को प्राप्त करना।
इस योजना के अंतर्गत विकसित किए जाने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क एक ही स्थान पर सामान्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिससे देश में चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा और विनिर्माणलागत में भी बहुतकमी आएगी।इस योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 400 करोड़ रुपये है और इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2020-2021 से लेकर वित्त वर्ष 2024-2025 तक है। चयनित किए गए मेडिकल डिवाइस पार्क को सामान्य बुनियादी सुविधाओं की परियोजना लागत का 70 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों के मामले में वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 90 प्रतिशत होगी। योजना के अंतर्गत एक मेडिकल डिवाइस पार्क को अधिकतम 100 करोड़ रुपये तक की वित्तिय सहायता प्रदान की जाएगी।
इस योजना के अंतर्गतकुल मिलाकर 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का चयन चुनौती पद्धति पर आधारित है, जो योजना के मूल्यांकन मानदंडों में प्रतिबिंबित होता है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए रैंकिंग पद्धति योजना दिशा-निर्देशों में निर्धारित मापदंडों जैसे उपयोगिता शुल्क, राज्य नीति प्रोत्साहन, पार्क का कुल क्षेत्रफल, भूमि का पट्टा दर, पार्क की कनेक्टिविटी, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग, तकनीकी जनशक्ति की उपलब्धता आदि पर आधारित है।इस योजना के अंतर्गत मूल्यांकन के आधार पर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के प्रस्तावों को "सैद्धांतिक" मंजूरी प्रदान की गई है।उक्त राज्यों की राजकोषीय क्षमता, पारिस्थितिकी तंत्र आकर्षण और औद्योगिक उपस्थिति के संदर्भ में किए गए गुणात्मक मूल्यांकन के आधार पर भी इन राज्यों के चयनको मान्यता प्रदान की गई है।
यह योजना को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म (सहकारी संघवाद) की भावना को दर्शाती है, जहां पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें इस क्षेत्र के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए मध्यस्थ डिवाइस पार्क विकसित करने में साझेदारी करेंगी।
सिक्किम में एनएचपीसी के 510 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाले तीस्ता-V पावर स्टेशन को
नई दिल्ली:हिमालयी राज्य सिक्किम में स्थित एनएचपीसी के 510 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाले तीस्ता-V (पांच) पावर स्टेशन को अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोपावर एसोसिएशन (आईएचए) द्वारा प्रतिष्ठित ब्लू प्लेनेट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। आईएचए लंदन स्थित और 120 देशों में कार्यरत गैर-लाभकारी सदस्यता संघ है। तीस्ता-V पावर स्टेशन का निर्माण, स्वामित्व और संचालन एनएचपीसी द्वारा किया जा रहा है। तीस्ता-V पावर स्टेशन के लिए इस पुरस्कार की घोषणा कल वर्ल्ड हाइड्रोपावर कांग्रेस-2021 के दौरान की गई। आईएचए के हाइड्रोपावर सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट प्रोटोकॉल (एचएसएपी) के ऑपरेशन स्टेज टूल का उपयोग करके 2019 में आईएचए के मान्यता प्राप्त प्रमुख मूल्यांकनकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए स्थिरता मूल्यांकन के आधार पर तीस्ता-V पावर स्टेशन को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।
आईएचए सदस्यता में प्रमुख रूप से हाइड्रोपावर नियंत्रक और संचालक, डेवलपर्स, डिजाइनर, आपूर्तिकर्ता तथा सलाहकार शामिल होते हैं। आईएचए ब्लू प्लैनेट पुरस्कार उन हाइड्रोपावर परियोजनाओं को प्रदान किया जाता है, जो सतत विकास की दिशा में उत्कृष्टता को प्रदर्शित करती हैं। हाइड्रोपावर सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट प्रोटोकॉल (एचएसएपी) ऐसी ही परियोजनाओं की स्थिरता को मापने के लिए अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय उपकरण है। यह पर्यावरणीय, सामाजिक, तकनीकी एवं शासकीय मानदंडों की एक विस्तृत श्रृंखला के समक्ष जल विद्युत परियोजना के प्रदर्शन को बेंचमार्क करने का एक तरीका उपलब्ध कराता है। मूल्यांकन वस्तुनिष्ठ साक्ष्य पर आधारित होते हैं और परिणाम एक मानकीकृत रिपोर्ट में प्रस्तुत किए जाते हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री सुगा योशीहिदे के बीच बैठक
नई दिल्ली:प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने क्वाड लीडर्स समिट के मौके पर 23 सितंबर 2021 को वाशिंगटन डीसी में जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री सुगा योशीहिदे से मुलाकात की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपनी पहली व्यक्तिगत मुलाकात पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने सितंबर 2020, जब श्री सुगा ने जापान के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला था,के बाद से अपनी तीन टेलीफोन वार्ताओं को गर्मजोशी से याद किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्रधानमंत्री और मुख्य कैबिनेट सचिव, दोनों, के तौर पर पिछले कुछ वर्षों में भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के मामले में महत्वपूर्ण प्रगति को संभव बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री सुगा की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता और नेतृत्व के लिए उनका धन्यवाद किया। उन्होंने वैश्विक महामारी के बीच टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की सफलतापूर्वक मेजबानी करने के लिए प्रधानमंत्री सुगा को बधाई दी।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों की समीक्षा की और अफगानिस्तान सहित हाल के वैश्विक और क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी वचनबद्धता को दोहराया। वे रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच बढ़ती आर्थिक भागीदारी का स्वागत किया। उन्होंने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच इस साल की शुरुआत में लचीला, विविध और भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला को संभव बनाने के उद्देश्य से एक सहयोगी तंत्र के रूप में आपूर्ति श्रृंखला संबंधी लचीली पहल (एससीआरआई) के शुभारंभ का स्वागत किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने विनिर्माण, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और कौशल विकास के क्षेत्र में द्विपक्षीय भागीदारी विकसित करने की जरूरत पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री श्री सुगा ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को सूचित किया कि निर्दिष्ट कुशल श्रमिक (एसएसडब्ल्यू) समझौते, जिस पर इस साल की शुरुआत में हस्ताक्षर किए गए थे, को लागू करने के उद्देश्य से जापानी पक्ष 2022 की शुरुआत से भारत में कौशल और भाषा संबंधी जांच परीक्षाओं का आयोजन करेगा।
बिशेश्वर टुडू ने जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान सम्मेलन' का उद्घाटन किया
नई दिल्ली:जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री श्री बिशेश्वर टुडू ने राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान, (एनटीआरआई), भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए), नई दिल्ली, केआईएसएस, (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), ओडिशा और एससीएससीआरटीआई, ओडिशा के सहयोग से 23-24 सितंबर 2021 तक आयोजित दो दिवसीय वर्चुअल “राष्ट्रीय जनजातीय प्रतिभा पूल सम्मेलन” का उद्घाटन किया।
इस कार्यशाला के दौरान, उन्होंने ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 250 से अधिक जनजातीय शोधार्थियों के साथ बातचीत की। शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र भी प्रस्तुत किए। शोधार्थियों और उनके मार्गदर्शकों का मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक संवादात्मक सत्र का भी आयोजन किया।
जनजातीय प्रतिभा पूल पहल (एमओटीए) का उद्देश्य शिक्षण, सहायता और योगदान तथा मान्यता का माहौल उपलब्ध कराकर जनजातीय शोधार्थियों का विकास करना है, ताकि उन्हें केन्द्र और राज्य स्तर पर एमओटीए द्वारा किए गए विभिन्न अनुसंधान और मूल्यांकन गतिविधियों में भाग लेने में सक्षम बनाया जा सके।
इस अवसर पर श्री बिशेश्वर टुडू ने कहा कि आदिवासी समुदाय के पास न केवल अनुसंधान के क्षेत्र में क्षमता और कई प्रतिभाएं हैं, बल्कि वे खेल, कला और शिल्प में भी निपुण हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि शोधार्थियों में प्रेरणा और प्रोत्साहन की आवश्यकता के साथ-साथ जागरूकता की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जनजातीय प्रतिभा पूल सम्मेलन विभिन्न अनुसंधान संस्थानों द्वारा उचित मार्गदर्शन के साथ जनजातीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करेगा। इस प्रकार के कार्यक्रमों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए और ये लंबी अवधि के होने चाहिए। उन्होंने कहा कि मंत्रालय, राज्य सरकार, गैर-सरकारी संगठनों, विश्वविद्यालयों को मानव विकास में महत्वपूर्ण सुधार अर्जित करने के लिए "आजादी का अमृत महोत्सव" पर मिलकर काम करना है, जिसमें शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार झा ने कहा कि मंत्रालय देश में जनजातीय विकास के लिए केंद्रीय भूमिका निभाता है। “राष्ट्रीय जनजातीय प्रतिभा पूल सम्मेलन मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य जनजातीय शोधार्थियों के लिए राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि जनजातीय प्रतिभाओं को एक मंच पर सामूहिक रूप से प्रदर्शित किए जाने की जरूरत है। जनजातीय विद्वान केंद्र और राज्य दोनों स्तरों, सार्वजनिक व निजी क्षेत्र में नीति निर्माण और समुदाय के विकास के लिए भी योगदान कर सकते हैं। इस तरह के सम्मेलन/कार्यशालाएं इन जनजातीय शोधार्थियों को अपने शोध कार्य के साथ सक्रिय होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने सभी भागीदारों कों उनके इस प्रयास के लिए बधाई देते हुए यह सुझाव दिया कि ज्ञान वृद्धि के लिए सहयोग एक बुनियादी कुंजी है और विद्वानों की नेटवर्किंग इस तरह के शोध विषय में काम करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
विस्फोटकों का तेजी से पता लगाने के लिए कम लागत वाला इलेक्ट्रॉनिक पॉलीमर आधारित सेंसर विकसित किया गया
नई दिल्ली:भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार उच्च-ऊर्जा विस्फोटकों में प्रयुक्त नाइट्रो-एरोमैटिक रसायनों का तेजी से पता लगाने के लिए तापीय रूप से स्थिर (थर्मली स्टेबल) और कम लागत लागत वाला इलेक्ट्रॉनिक पॉलीमर-आधारित सेंसर विकसित किया है। विस्फोटकों को नष्ट किए बिना उनका पता लगाना सुरक्षा के लिए आवश्यक है और ऐसे मामलों में आपराधिक जांच, बारूदी सुरंग वाले क्षेत्र में ही उपचार (माइनफील्ड रिमेडिएशन), सैन्य अनुप्रयोगों, गोला-बारूद उपचार स्थल, सुरक्षा अनुप्रयोगों और रासायनिक सेंसर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हालांकि विस्फोटक पॉली-नाइट्रोएरोमैटिक यौगिकों का विश्लेषण आमतौर पर परिष्कृत उपकरणों में प्रयुक्त तकनीकों द्वारा किया जा सकता है लेकिन अपराध विज्ञान प्रयोगशालाओं या कब्जे से मुक्त कराए गए सैन्य स्थलों में त्वरित निर्णय लेने अथवा उग्रवादियों के पास विद्यमान विस्फोटकों का पता लगाने के लिए अक्सर सरल, कम लागत वाली और ऐसी चयनात्मक क्षेत्र तकनीकों की आवश्यकता होती है जिनकी प्रकृति गैर – विनाशकारी हो। नाइट्रोएरोमैटिक रसायनों (एनएसी) की गैर-विनाशकारी पहचान करना एक कठिन कार्य है। जबकि पहले के अध्ययन ज्यादातर फोटो-ल्यूमिनसेंट गुणधर्म पर आधारित होते हैं, फिर भी अब तक इन गुणों की प्रविधि के आधार का पता नहीं लगाया गया है। गुणों के आधार पर पता लगाने से विस्फोटकों को ढूँढ़ निकालने में सक्षम सरल कहीं भी ले जाए जा सकने योग्य ऐसा उपकरण बनाने में सहायता मिलती है जिसमे एक एलईडी की मदद से परिणाम देखे जा सकते हैं।
इस तरह की कमियों को दूर करने के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (इंस्टीटयूट ऑफ़ एडवांस्ड, स्टडी इन साइंस एंड टेक्नॉलोजी), गुवाहाटी के डॉ नीलोत्पल सेन सरमा के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने परत दर परत विकसित की है (एलबीएल) पॉलीमर डिटेक्टर विकसित किया है जिसमें दो कार्बनिक पॉलिमर होते हैं – पहला, पॉली-2-विनाइल पाइरीडीन जिसमें एक्रिलोनिट्राइल (पी2वीपी –सीओ- एएन) होता है और दूसरा, हेक्सेन (पीसीएचएमएएसएच) के साथ कोलेस्ट्रॉल मेथाक्राइलेट का को-पॉलीसल्फोन होता है जो कुछ सेकंड के भीतर एनएसी वाष्प की बहुत कम सांद्रता की उपस्थिति में अवरोध (किसी एसी सर्किट में प्रतिरोध) आने से पर भारी परिवर्तन से गुजरता है। यहां पिक्रिक एसिड (पीए) को मॉडल एनएसी के रूप में चुना गया था, और पीए की दृश्य पहचान के लिए एक सरल और लागत प्रभावी इलेक्ट्रॉनिक प्रोटोटाइप विकसित किया गया था। इस टीम ने इलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) , भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित इस नई प्रौद्योगिकी के लिए एक पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है।
डॉ नीलोत्पल सेन सरमा ने कहा, "पॉलीमर गैस सेंसर से युक्त इस प्रकार निर्मित एक इलेक्ट्रॉनिक सेंसिंग उपकरण (डिवाइस) विस्फोटक का तुरंत पता लगा सकती है।"
इस सेंसर उपकरण (डिवाइस) में तीन परतें शामिल हैं - 1- हेक्सेन (पीसीएचएमएएसएच) के साथ कोलेस्ट्रॉल मेथाक्राइलेट का को-पॉलीसल्फोन , और पी2वीपी –सीओ- एएन युक्त स्टेनलेस स्टील की दो जालियों वाली बाहरी परतों के बीच में पीसीएचएमएएसएच को रखकर करके एक्रिलोनिट्राइल के साथ पॉली-2-विनाइल पाइरीडीन का कोपॉलीमर। इस प्रणाली की संवेदनशीलता विश्लेषक अर्थात पिक्रिक एसिड की वाष्प की उपस्थिति में समय (सेकंड) के साथ आए अवरोध की प्रतिक्रिया में परिवर्तन की निगरानी के द्वारा निर्धारित की जाती है।
त्रि-स्तरीय बहुलक मैट्रिक्स (ट्राई-लेयर पॉलीमर मैट्रिक्स) नाइट्रोएरोमैटिक रसायनों के लिए बहुत कुशल एवं प्रभावी आणविक सेंसर पाया गया। यह सेंसर उपकरण डिवाइस) प्रकृति में काफी सरल और प्रतिवर्ती (रिवर्सिबल) है और इसकी प्रतिक्रिया अन्य सामान्य रसायनों और आर्द्रता की उपस्थिति में अलग-अलग संचालनीय (ऑपरेटिंग) तापमान के साथ नहीं बदलती है।
इस उपकरण (डिवाइस) को कमरे के सामान्य तापमान पर संचालित किया जा सकता है, इसमें कम प्रतिक्रिया समय होता है और अन्य रसायनों से नगण्य हस्तक्षेप होता है। इसका निर्माण बहुत ही सरल है और नमी से नगण्य रूप से प्रभावित होता है तथा इसमें उपयोग किए जाने वाले कोलेस्ट्रॉल-आधारित पॉलिमर प्रकृति में स्वतः ही विनष्ट हो जाते हैं ।
पेटेंट विवरण:
भारतीय पेटेंट संख्या 3436085, आवेदन संख्या 3613/DEL/2014 दिनांक 09/12/2014 27- 04-2020 को प्रदान किया गया
गुरुवार, 23 सितंबर 2021
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू में निर्यात प्रोत्साहन केंद्र 'जम्मू हाट' का किया उद्घाटन
नई दिल्ली:केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, एमओएस पीएमओ, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज प्रदर्शनी मैदान, जम्मू में निर्यात प्रोत्साहन केंद्र 'जम्मू हाट' का उद्घाटन किया। उद्यमियों, खरीदारों, विक्रेताओं और निर्यातकों के लिए एक मंच 'वाणिज्य सप्ताह' के अवसर पर आज 'जम्मू हाट' का उद्घाटन किया गया।
उद्घाटन के दौरान प्रर्दशनी में भाग ले रहे प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जब भारत आजादी के 75 साल 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है, तो अगले 25 साल देश के विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं। प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को दोहराते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2047 तक जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 साल पर 'विश्व गुरु' के रूप में उभरेगा, यह पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से मिलकर एक पूर्ण भारत होगा, जिसमें से जम्मू और कश्मीर भी एक हिस्सा है और इस प्रकार जम्मू के लोगों को मजबूत रहना चाहिए और उस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि 26 मई, 2014 को प्रधान मंत्री के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद, प्रधान मंत्री द्वारा दिया गया एक मंत्र था "न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन" और यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पिछली सरकारों के दौर में विकास के मामले में छूटे हुए राज्य, केंद्र शासित प्रदेश आदि का ध्यान रखा जाएगा और उन्हें देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के समान बनाने के लिए हर कदम उठाया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि इसका सबसे अच्छा उदाहरण केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया 'मिशन नॉर्थईस्ट' है, जिसका 'पूर्वोत्तर विकास मॉडल' पूरे देश में एक उदाहरण बन गया है। इस सरकार द्वारा पूर्वोत्तर को भीतरी इलाकों को अब देश के केंदीय इलाके के रूप में बदल दिया गया है।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चल रहे जनसंपर्क कार्यक्रम पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पीएम श्री नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल की शपथ लेने के बाद, 'मिशन जम्मू-कश्मीर' पर जोर दिया गया, जिनमें से एक महत्वपूर्ण कदम केंद्रीय मंत्रियों को जनसंपर्क कार्यक्रम में व्यापक रूप से शामिल करना था जो इन दिनों बड़े पैमाने पर उठाया गया है।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री की जम्मू-कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा संपन्न tni
नई दिल्ली:केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर संपर्क अभियान की पहल के तहत, बडगाम की अपनी यात्रा के अंतिम दिन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोगों की शिकायतों का पता लगाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की तरफ से संपर्क अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इसमें सामने आने वाली मांगों और शिकायतों को त्वरित समाधान के लिए केंद्र के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की स्थानीय निकायों के साथ साझा किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने जम्मू-कश्मीर खेल परिषद द्वारा नई शैली में निर्मित स्पोर्ट्स स्टेडियम मगम का उद्घाटन किया। स्टेडियम में मंत्री ने एक फुटबॉल मैच देखा और स्थानीय क्लबों के खिलाड़ियों के साथ बातचीत भी की।
श्रीमती ईरानी ने मालपोरा मगम में बागवानी विभाग के उच्च घनत्व वाले बाग और फल व सब्जी संरक्षण इकाई का भी दौरा किया। इस अवसर पर किसानों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर में विश्व में उच्च गुणवत्ता वाले सेब का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनने की बहुत बड़ी क्षमता है। उन्होंने आगे कहा, “वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने के लिए फल उत्पादन में विविधता लाने की आवश्यकता है। कश्मीर सौभाग्यशाली है कि उसके पास उच्च उपज वाले बागवानी उत्पादों की खेती करने के लिए अनुकूल जलवायु और उपजाऊ जमीन है।”
मंत्री ने संबंधित बागवानी अधिकारियों को उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण से अधिक से अधिक प्रगतिशील किसानों को जोड़ने के लिए क्षेत्र में जागरूकता शिविर लगाने के निर्देश दिये। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण को अपनाने के इच्छुक किसानों और कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सभी आवश्यक मदद, तकनीकी मार्गदर्शन और बैंकों के माध्यम से आर्थिक सहायता दिलाने पर ध्यान देगी।
अपनी यात्रा की शुरुआत में, मंत्री ने सरकारी डिग्री कॉलेज मगम में एक एनीमिया शिविर का उद्घाटन किया और कनिहामा शिल्प ग्राम का भी दौरा किया। मंत्री ने एनआरएलएम से जुड़े स्थानीय कारीगरों और स्वयं सहायता समूहों के साथ भी बातचीत की।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्रीमती ईरानी ने कहा, “मैं इन अत्यधिक कुशल कारीगरों के कौशल, समर्पण और धैर्य को देखकर उत्साहित थी, जब वे अपनी उच्च लागत वाली कनी शॉल और अन्य उत्पादों को बुन रहे थे।” अपनी चर्चा के दौरान, उन्होंने संबंधित कारीगरों और अन्य उत्पादकों को आश्वासन दिया कि सरकार इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने की इच्छुक है ताकि दुनिया भर के बाजारों में इनकी उपलब्धता हो।
केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने श्रीनगर में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के डीजीपी श्री दिलबाग सिंह और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भी मुलाकात की।
मगम की अपनी यात्रा के दौरान मंत्री ने जाने-माने सांस्कृतिक कलाकारों की ओर से प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखा, जिसे समाज कल्याण विभाग और जिला सूचना केंद्र बडगाम ने आयोजित किया था।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 80.67 करोड़ से अधिक टीके प्रदान किये गए
नई दिल्ली:केंद्र सरकार देशभर में कोविड-19 टीकाकरण का दायरा विस्तृत करने और लोगों को टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। कोविड-19 के टीके को सभी के लिए उपलब्ध कराने के लिए नया चरण 21 जून 2021 से शुरू किया गया था। टीकाकरण अभियान की रफ्तार को अधिक से अधिक टीके की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया है। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को टीके की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की जाती है, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीके लगाने का बंदोबस्त कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त किया जा सके।
देशव्यापी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड टीके प्रदान करके उन्हें पूर्ण सहयोग दे रही है। टीके की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार टीका निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क प्रदान करेगी।
टीके की खुराकें | (23 सितंबर, 2021 तक) |
अब तक हुई आपूर्ति | 80,67,26,335 |
भेजे जाने के लिए तैयार टीके | 64,00,000 |
शेष टीके | 4,29,03,090 |
केंद्र सरकार द्वारा अब तक निःशुल्क और अन्य माध्यमों से टीके की 80.67 करोड़ से अधिक (80,67,26,335) खुराकें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराई गई हैं। इसके साथ ही 64 लाख (64,00,000) से अधिक टीके भेजे जाने के लिए तैयार हैं। अभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास कोविड-19 टीके की 4.29 करोड़ से अधिक (4,29,03,090) अतिरिक्त और बिना इस्तेमाल हुई खुराकें उपलब्ध है, जिन्हें लगाया जाना है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने कोविड होने के बाद की स्थिति का सीक्वल मॉड्यूल जारी किया
Delhi
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री डॉ. भारती प्रवीण पवार की उपस्थिति में कोविड के बाद की स्थिति (सीक्वल) का मॉड्यूल जारी किया। ये मॉड्यूल कोविड के दीर्घकालीन प्रभावों से निपटने में देश भर में चिकित्सकों, नर्सों, पैरामैडिक्स तथा सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की क्षमता के निर्माण में सहायता करेंगे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दिशानिर्देशों को जारी करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन्हें चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड के दीर्घकालीन प्रभावों के मुद्वे से निपटने के लिए दिशानिर्देश उपलब्ध कराने के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि कोविड के सक्रिय तथा व्यापक उपचार के लिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उपचार का न्यूनतम दुष्प्रभाव तथा कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘ हमने म्युकोर्मिकोसिस के मामलों जैसे स्टरायड की उच्च खुराकों को लेने के कारण रोगियों में कोविड होने के बाद के दुष्परिणामों को देखा है। ऐसी दवाओं को लेना महत्वपूर्ण जिनके कम या नगण्य दुष्प्रभाव हों। अगर हम समय से पहले सावधान हो जाएं तो कोविड होने के बाद भविष्य के दुष्परिणामों से निपटने में यह उपयोगी साबित होगा। कोविड होने के बाद से जुड़ी धारणाएं जो हमारे समाज में व्याप्त हैं, वे ये हैं कि कोविड के परिणामस्वरूप डर, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्वे सामने आते हैं, और हमें इन्हीं धारणाओं से निपटने की आवश्यकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि कोविड के बाद के इन मुद्वों को समझा जाए तथा उनका समाधान किया जाए। कोविड के बाद के सीक्वल मॉड्यूल तैयार करने के लिए इन कोविड-पश्चात जटिलताओं के प्रबंधन के लिए देश भर में संसाधन व्यक्तियों द्वारा प्रयास किए गए हैं। स्वास्थ्य देखभाल प्रोफेसनलों के विभिन्न क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए इन अति विशिष्ट मॉड्यूल को तैयार किया गया है। ‘
इस अवसर पर डॉ. भारती प्रवीण पवार ने मानसिक स्वास्थ्य मुद्वों से निपटने और प्रत्येक व्यक्ति तक यह सुविधा पहुंचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘ इस महामारी ने हमारी स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के सामने अभूतपूर्व चुनौती प्रस्तुत कर दी है। इतनी बड़ी आबादी वाले देश के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल एक बड़ी चुनौती है। हमें मानसिक स्वास्थ्य की इस चुनौती से निपटने के लिए अपनी क्षमता का निर्माण करने की आवश्यकता है। अगर अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को उचित ज्ञान और प्रशिक्षण प्राप्त हो जाए तो वे कोविड होने के बाद की चुनौतियों के विरुद्ध इस लड़ाई में मूल्यवान संसाधन बन सकते हैं। जब हम कोविड होने के बाद के दुष्परिणामों से लड़ने के लिए खुद को लैस करने का प्रयास कर रहे हैं तो यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इन सुविधाओं का लाभ समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे। मानसिक स्वास्थ्य और अन्य मु़द्वों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल राज्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त आवश्यकताओं के आधार पर तैयार किया गया है। ‘ उन्होंने यह भी कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ मिल कर काम करना चाहिए कि कोविड-19 अंतिम मानवीय महामारी साबित हो।
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव श्री राजेश भूषण, डीजीएचएस डॉ. सुनील कुमार तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
खनिज उत्पादन सूचकांक ने इस वर्ष जून माह के दौरान 23.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शायी
जून, 2021मेंखनन और उत्खनन क्षेत्र के खनिज उत्पादन का सूचकांक (आधार: 2011-12 = 100) 105.5 पर, जून, 2020 के स्तर की तुलना में 23.1प्रतिशतअधिक था। अप्रैल-जून, 2020-21 की अवधि के लिए संचयी वृद्धि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 27.4 प्रतिशत बढ़ी है।
जून, 2021 में महत्वपूर्ण खनिजों का उत्पादन स्तर था: -कोयला 510 लाख टन, लिग्नाइट 34 लाख टन, प्राकृतिक गैस (प्रयुक्त) 2714 मिलियन घन मीटर, पेट्रोलियम (कच्चा) 25 लाख टन, बॉक्साइट 1739 हजार टन, क्रोमाइट 322 हजार टन , मैंगनीज अयस्क 208 हजार टन, जस्ता (सांद्र) 118 हजार टन, फॉस्फोराइट 110 हजार टन, चूना पत्थर 330 लाख टन, लौह अयस्क 224 लाख टन, सीसा (सांद्र) 29 हजार टन, तांबा (सांद्र) 10 हजार टन, सोना 41 किलोग्राम और हीरा 10 कैरेट।
जून, 2020 की तुलना में जून, 2021के दौरान उत्पादन में सकारात्मक वृद्धि दिखाने वाले महत्वपूर्ण खनिजों मेंशामिल हैं: क्रोमाइट (130.3प्रतिशत), मैग्नेसाइट (121.4प्रतिशत),लौह अयस्क (82.8प्रतिशत), तांबा (सांद्र) (27.8प्रतिशत), प्राकृतिक गैस (यू) (20.6प्रतिशत), लिग्नाइट (13.2प्रतिशत))और नकारात्मक वृद्धि दिखाने वाले अन्य महत्वपूर्ण खनिजों का उत्पादन है: पेट्रोलियम (कच्चा) (-1.8 प्रतिशत), जस्ता (सांद्र) (-3.4प्रतिशत), सीसा (सांद्र) (-9.6प्रतिशत), फॉस्फोराइट (-32.6प्रतिशत), सोना (-70.7प्रतिशत) और हीरा (-99.4प्रतिशत)।
बुधवार, 22 सितंबर 2021
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मंगलवार, 21 सितंबर 2021
पर्यावरणीय शोर के लिए एकल-कण इंजन की प्रतिक्रिया में बायो मेडिकल इंजीनियरिंग में उपयोगी सूक्ष्म मशीनें बनाने में मदद कर सकती है
नई दिल्ली:एकल कोलाइडल कणों को अपने में समाहित करने वाले छोटे इंजनों के प्रदर्शन में पर्यावरणीय शोर में बदलाव के साथ अंतर आ जाता है। ऐसा उन शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा है जिन्होंने आसपास के माध्यम में शोर में उतार-चढ़ाव के लिए ऐसे सूक्ष्म इंजनों की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन किया। यह अंतर्दृष्टि उन सूक्ष्म मशीनों के भविष्य के निर्माण के लिए आवश्यक होगी जो जटिल जैविक वातावरण में काम करती हैं और बायो मेडिकल इंजीनियरिंग में तेजी से महत्वपूर्ण होती जा रही हैं।
सूक्ष्म यांत्रिक मशीनें वर्तमान समय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे आगे हैं और जिनमें अंतरिक्ष (एयरोस्पेस) से लेकर जैव चिकित्सकीय अभियांत्रिकी (बायोमेडिकल इंजीनियरिंग) तक के अनुप्रयोग हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एकल कोलाइडल कणों से प्रयोगात्मक रूप से ऐसी मशीनों का निर्माण किया है । इन प्रणालियों में यांत्रिक कार्य और बिजली उत्पादन इनके आस-पास के वातावरण में उतार-चढ़ाव से अत्यधिक प्रभावित होता है। इसलिए इस प्रकार के ऊर्जा रूपांतरण पर पर्यावरण शोर आंकड़ों की भूमिका को समझना ऐसी सूक्ष्म मशीनों के संचालन को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। ठीक वैसे ही जैसे प्राकृतिक रूप से बनने वाली आणविक मोटर जो एक जीवित कोशिका के अंदर संचरण करवाती हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च–जेएनसीएएसआर) में शोधकर्ताओं के एक दल और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी ), बेंगलुरु ने एक माइक्रोमीटर आकार के एक ऐसे स्टर्लिंग इंजन (सिलेंडरों में सीलबंद की गई कार्यशील गैस को गर्म और ठंडा करके तापीय ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले ऊष्मा इंजन) का निर्माण किया, जिसमें लेजर जाल (ट्रैप) के साथ एक एकल कोलाइडल कण को सीमित किया गया था ।
पानी के अणुओं की विचित्र/यादृच्छिक गति के कारण उत्त्पन्न तापीय (थर्मल) शोर और उतार-चढ़ाव वाले लेजर बीम जैसे तापमान के अलावा अन्य स्रोतों से उत्पन्न होने वाले गैर तापीय (नॉन-थर्मल) शोर के साथ कोलाइडल कण धारण करने वाले तरल पदार्थ युक्त जलाशयों की उपस्थिति में इस इंजन की कार्य प्रणाली के परीक्षण के दौरान शोधकर्ताओं ने यह पाया कि इंजन गैर-तापीय (थर्मल) शोर का उत्तर दे रहा है। यह अध्ययन हाल ही में 'नेचर कम्युनिकेशंस' जर्नल’ में प्रकाशित हुआ है।
जवाहरलाल नेहरू वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च–जेएनसीएएसआर) के दल ने कोलाइडल कणों को कृत्रिम शोर प्रदान करने के लिए लेजर ट्रैप का उपयोग करके जलाशय अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) की एक नई तकनीक की मदद से यह कार्य सम्पन्न किया,जिससे विविधता युक्त बड़ी मात्रा वाला ऐसा कृत्रिम शोर उत्पन्न हो पाया जिसकी इससे पहले अनुभूति करना करना संभव नहीं था। टीम ने यह भी दिखाया कि इंजन की दक्षता को प्रभावित किए बिना विभिन्न चक्र-गति (एक स्टर्लिंग चक्र को पूरा करने में लगने वाला समय) पर अधिकतम बिजली उत्पादन का तरीका प्राप्त किया जा सकता है।
कार्य, शक्ति और दक्षता, अर्थात इस इंजन का प्रदर्शन लेजर के फैलाव की दर और कण के कंपन की छूट दर पर निर्भर करता है। पर्यावरणीय शोर/उतार-चढ़ाव के आंकड़ों में परिवर्तन करके छूट की इस दर को बदला जा सकता है और इस तरह इस इंजन के प्रदर्शन में भी संशोधन किया जा सकता है। जीवित कोशिकाओं के भीतर संचरण करने वाली आणविक मोटरें गैर-तापीय शोर की उपस्थिति में केवल एक ही दिशा में संतुलन से हट कर आगे बढ़ती हैं और इस गति में ऊष्मा अथवा तापमान में परिवर्तन शामिल नहीं होता। इसलिए गैर-संतुलन ऊर्जा के रूपांतरण में गैर-तापीय (थर्मल) शोर की भूमिका को समझना किसी भी कृत्रिम सूक्ष्म (माइक्रो)-मशीन के निर्माण के लिए एक ऐसी अंतर्दृष्टि ही होगी जो जटिल जैविक वातावरण में संचालित होती है।
प्रकाशन लिंक: डीओआई: https://doi.org/10.1038/s41467-021-25230-1
लेखक: निलोयेंदु रॉय, नाथन लेरौक्स, ए के सूद, और राजेश गणपति इस बारे में अधिक जानकारी के लिए श्री निलोयेंदु (niloyendu@jncasr.ac.in) और प्रो राजेश गणपति (rajeshg@jncasr.ac.in) से संपर्क किया जा सकता है।
