जितेंद्र सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी उपायों के माध्यम से क्षेत्र और राष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग का आह्वान किया

रामजी पांडेय

नई दिल्ली:केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार) पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र को भारत के जैव-आर्थिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पूर्वी हिमालयी क्षेत्र एक बड़ा जैव विविधता वाला समृद्ध क्षेत्र है और यह दुनिया के 34 जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट में शामिल है। उन्होंने कहा कि इन अमूल्य आनुवंशिक संसाधनों का जैव प्रौद्योगिकी उपायों के माध्यम से विशेष रूप से इस क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए और आमतौर पर राष्ट्र के लिए उपयोग करने की आवश्यकता है। वे जैव-संसाधन और सतत विकास संस्थान (आईबीएसडी), इंफाल के दौरे के बाद संबोधित कर रहे थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के लगातार और नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के कारण भारत को 2025 तक वैश्विक जैव-मैन्युफैक्चरिंग केंद्र के रूप में मान्यता दी जाएगी और यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2025 तक मौजूदा 70 बिलियन डॉलर से बढ़कर 150 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को हासिल करने के मार्ग पर अग्रसर है और यह 2024-25 तक प्रधानमंत्री के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के विजन में प्रभावी ढंग से योगदान देगी।

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