ड्रोन का उपयोग अंतिम भूभाग तक आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाने के लिए किया जा सकता है tap news

नई दिल्ली: एक ऐसी ऐतिहासिक घटना जो स्वास्थ्य में 'अंत्योदय' के प्रति सरकार की वचनबद्धता का प्रतीक है, देश के अंतिम नागरिक के लिए स्वास्थ्य सेवा को सुलभ बनाने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मांडविया ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनसुंधान परिषद (आईसीएमआर) की पहल आईसीएमआर्स ड्रोन रेस्पांस एंड आउटरीच इन नॉर्थ ईस्ट (आई-ड्रोन) का शुभारंभ किया। यह एक डिलीवरी मॉडल है जिसका काम यह सुनिश्चित करना है कि जीवन-रक्षक टीके सभी तक पहुंचें।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, “उनके नेतृत्व में राष्ट्र बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज एक ऐतिहासिक दिन है, जिसने हमें दिखाया कि कैसे प्रौद्योगिकी जीवन को आसान बना रही है और सामाजिक परिवर्तन ला रही है।”

इस अभिनव कदम पर देश के लोगों को बधाई देते हुए, श्री मनसुख मांडविया ने कहा, "यह पहली बार है कि दक्षिण एशिया में 15 किलोमीटर की हवाई दूरी पर कोविड टीके के परिवहन के लिए "मेक इन इंडिया 'ड्रोन का उपयोग किया गया है। ये टीके प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में दिए जाने के लिए मणिपुर के बिष्णुपुर जिला अस्पताल से लोकतक झील, करंग द्वीप तक 12 से 15 मिनट में पहुंचाए गए। इन स्थानों के बीच वास्तविक सड़क दूरी 26 किमी है। आज, पीएचसी में 10 लाभार्थियों को पहली खुराक मिलेगी और आठ को दूसरी खुराक दी जाएगी।"

 

उन्होंने कहा, “भारत भौगोलिक विविधताओं का देश है और ड्रोन का उपयोग अंतिम भूभाग तक आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। हम महत्वपूर्ण जीवन-रक्षक दवाएं पहुंचाने, रक्त के नमूने एकत्र करने में ड्रोन का उपयोग कर सकते हैं। इस तकनीक का उपयोग विकट परिस्थितियों में भी किया जा सकता है। यह प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य सेवा वितरण, विशेष रूप से कठिन क्षेत्रों में स्वास्थ्य आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने में एक गेम चेंजर साबित हो सकती है।"

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भारत के कठिन और दुर्गम इलाकों में टीका वितरण की सुविधा देने वाली पहल की शुरुआत करते हुए कहा, “कोविड-19 के लिए हमारा टीकाकरण कार्यक्रम पहले ही सभी अपेक्षाओं को पार कर चुका है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह पहल हमें कोविड-19 के लिए उच्चतम संभव टीकाकरण कवरेज प्राप्त करने में मदद करेगी। इस तरह की ड्रोन तकनीकों को राष्ट्रीय कार्यक्रमों में शामिल करने से अन्य टीकों और चिकित्सा आपूर्तियों को जल्द से जल्द पहुंचाने में मदद मिलेगी।”