भारत ने कॉप-26 में अपनी तीसरी द्विवार्षिक अपडेट


नई दिल्ली:कॉप-26 की जारी बैठक में दृष्टिकोण के 11वें संक्षिप्त प्रस्तुतिकरण (एफएसवी) के दौरान भारत ने अपनी तीसरी द्विवार्षिक अपडेट रिपोर्ट (बीयूआर) के बारे में प्रस्तुतिकरण दिया। यह रिपोर्ट फरवरी 2021 में यूएनएफसीसी को सौंप दी गयी थी।

भारत की तरफ से वक्तव्य देते हुये पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वैज्ञानिक ‘जी’ (सलाहकार) डॉ. जेआर भट्ट ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि विश्व आबादी में भारत का हिस्सा 17 प्रतिशत है और उसका समग्र उत्सर्जन चार प्रतिशत है, जबकि वार्षिक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन लगभग पांच प्रतिशत ही है।

सभी पक्षों के साथ बातचीत करने के अवसर के रूप में एफएसवी का स्वागत करते हुये तथा बहुस्तरीय प्रयासों की सराहना करते हुये पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वैज्ञानिक ‘जी’ (सलाहकार) डॉ. जेआर भट्ट ने भारत की तरफ से वक्तव्य देते हुये इस तथ्य को रेखांकित किया कि विश्व आबादी में भारत का हिस्सा 17 प्रतिशत है और उसका समग्र उत्सर्जन चार प्रतिशत है, जबकि वार्षिक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन लगभग पांच प्रतिशत ही है।

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डॉ. भट्ट ने कहा, “इस तथ्य को इस बात से बल मिलता है कि जलवायु परिवर्तन के मामले में भारत खासतौर से जोखिमपूर्ण स्थिति में है। बहरहाल, भारत इसके बावजूद इसे कम करने के लिये तमाम कार्रवाई कर रहा है, जिसके दायरे में पूरी अर्थव्यस्था और समाज को शामिल किया गया है। भारत अपनी आर्थिक वृद्धि को ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन से अलग-थलग करने का लगातार प्रयास तथा प्रगति कर रहा है।”

इंग्लैंड, यूरोपीय संघ, चीन, कोरिया गणराज्य, लक्समबर्ग, चेक गणराज्य, स्विट्जरलैंड, सउदी अरब और इंडोनेशिया ने कार्यशाला के दौरान सवाल पूछे। उल्लेखनीय है कि सवाल-जवाब कार्यशाला का हिस्सा था। सभी पक्षों ने बीयूआर पर भारत के प्रयासों की सराहना की। सभी पक्षों ने जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के नये उपायों के बारे में भारत द्वारा हाल में की गई घोषणाओं सहित इस असर को कम करने की भारत की कार्रवाई की भी प्रशंसा की।

भारत के तीसरे बीयूआर पर होने वाली चर्चा में यह बात सामने आई कि 2005-2014 के अवधि के दौरान भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद के हवाले से उत्सर्जन सघनता में 24 प्रतिशत कटौती की उपलब्धि हासिल की है तथा भारत ने अपने सौर कार्यक्रम में उल्लेखनीय वृद्धि अर्जित की है। भारत में स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता में पिछले सात वर्षों में 17 गुना इज़ाफा हुआ है।