डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस तकनीक के माध्यम से केंद्र सरकार के 68 लाख और ईपीएफओ और राज्य सरकारों के करोड़ों पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे


 

नई दिल्ली केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज पेंशनभोगियों के लिए यूनिक फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का शुभारंभ किया और कहा कि इससे सेवानिवृत्त और बुजुर्ग नागरिकों के लिए ईज ऑफ लिविंग प्राप्त करने में आसानी होगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अपने जीवन का प्रमाणपत्र देने के लिए फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी एक ऐतिहासिक और दूरगामी सुधार है, क्योंकि यह न केवल 68 लाख केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों को बल्कि उन करोड़ों पेंशनभोगियों को भी सुविधा प्रदान करेगा जो इस विभाग के अधिकार क्षेत्र से बाहर आते हैं जैसे ईपीएफओ, राज्य सरकार के पेंशनभोगी आदि। उन्होंने पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के लिए इस प्रकार की तकनीक का निर्माण करने और इसे संभव बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) को भी धन्यवाद दिया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0016Z11.jpg

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने हमेशा से ही सेवानिवृत्त और पेंशनभोगियों सहित समाज के सभी वर्गों के लिए 'ईज ऑफ लिविंग' की वकालत की है, जो अपने सभी प्रकार के अनुभवों और अपने द्वारा प्रदान की गई लंबे वर्षों की सेवा के साथ राष्ट्र की संपत्ति हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पेंशन विभाग द्वारा कोरोना महामारी के दौरान भी तत्कालिक पेंशन/पारिवारिक पेंशन जारी करने की दिशा में कई प्रकार का सुधार किया गया है।

मंत्री ने कहा कि पेंशन विभाग द्वारा इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, चाहे वह डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की शुरुआत हो या भारत सरकार के सभी मंत्रालयों में पेंशन मामलों को आगे बढ़ाने के लिए एक कुशल और सामान्य सॉफ्टवेयर “भविष्य" की शुरुआत हो। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक पीपीओ को जारी करने और डिजी लॉकर में इसे आगे बढ़ाने की कोशिश ईज ऑफ लिविंग और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि यह विभाग पेंशनभोगी जागरूकता के लिए ई-बुकलेट भी जारी कर रहा है और ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान भी चला रहा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर सूचनाप्रद फिल्में रिकॉर्ड संख्या में हिट दिखाते हुए बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हो चुकी है।