गैर-फीचर फिल्मों को सिनेमाघरों में और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अधिक जगह देने की जरूरत

रामजी पांडे

नई दिल्ली:वेद- द विजनरी ऐसी पहली फिल्म है जिसे देखने के बाद सभी जूरी सदस्य खड़े हो गए और उन्‍होंने ताली बजाई। यह एक उमदा फिल्म है। इस पर कोई बहस ही नहीं हुई, 20 से 28 नवंबर 2021 के दौरान गोवा में आयोजित 52वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में जूरी ने भारतीय पैनोरमा- गैर फीचर फिल्म श्रेणी की उद्घाटन फिल्म के तौर इसके लिए सर्वसम्मति से मतदान किया। निर्देशक एवं सिनेमैटोग्राफर और भारतीय पैनोरमा- गैर फीचर फिल्म के चेयरपर्सन श्री सुब्बैया नल्लामुथु ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात कही जहां जूरी सदस्यों ने आज गोवा में मीडिया से बातचीत की।

श्री नल्लामुथु ने कहा, 'इस फिल्म के क्‍लाइमेक्‍स (जो 1939-1975 के दौरान वेद प्रकाश की समाचार कवरेज यात्रा के बारे में है, जिसमें जनवरी 1948 में महात्मा गांधी के अंतिम संस्कार का कवरेज भी शामिल है) में यह देखकर कि उन्होंने सभी प्रेस कार्ड, पहचान पत्र और पासपोर्ट एक साथ रखे हैं, मेरे रोंगटे खड़े हो गए क्योंकि मुझे पता है कि इन सब को हासिल करना कितना मुश्किल है।'

उन्‍होंने कहा, 'मैं वास्तव में चाहता हूं कि दुनिया भर में जो युवा वास्तव में कुछ हासिल करना चाहते हैं उन्‍हें यह फिल्म अवश्‍य देखनी चाहिए। यह फिल्म छात्रों को दिखाई जानी चाहिए।'

प्रशंसित डॉक्‍यूमेंटरी फिल्म निर्माता ने बताया कि जूरी सदस्यों ने सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म को चुनने के लिए किस प्रकार अंकन प्रणाली का उपयोग किया। उन्होंने विस्तार से बताया कि फिल्‍म के चयन के दौरान किस प्रकार फिल्म के हरेक पहलू, सामग्री, कहानी, भाषा एवं सामाजिक मुद्दों और फिल्म के प्रभाव को ध्यान में रखा जाता है।

मराठी भाषा में बड़ी तादाद में प्राप्त गैर-फीचर फिल्म प्राप्‍त होने के बारे में बताते हुए उन्होंने राज्य सरकार द्वारा इस क्षेत्र में की गई पहल की सराहना की जहां सिनेमाघरों में मराठी फिल्मों के लिए स्लॉट उपलब्ध कराना अनिवार्य कर दिया गया है। उन्‍होंने कहा, 'मुझे लगता है कि यही कारण है कि कई लोग मराठी भाषा में लघु कथा वाली फिल्‍में बना रहे हैं। इसी तरह हर राज्य को कुछ पहल करनी चाहिए।