गौ संवर्धन का विशिष्ट वैश्विक केंद्र बने डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय : परषोत्तम रूपाला

रामजी पांडे

नई दिल्ली डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में कामधेनु अध्ययन एवं शोध पीठ की स्थापना कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर पारंपरिक बुंदेली वाद्ययन्त्रों और लोकाचार से अतिथियों का स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार श्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि यह गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय  में कामधेनु अध्ययन और अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है। भारतीय गायों की क्षमता अपार है, जरूरत इसे समझने और समझाने की है। दुग्ध उत्पादन, खाद उत्पादन और विभिन्न औषधीय उपयोगों सहित गायों के महत्व को कई पहलुओं को हम बचपन से जानते हैं। दुर्भाग्य से, समय के साथ हम देशी गोवंश का महत्व भूल गए हैं।

 

भारतीय परम्परा में समृद्धि की गणना गोधन से ही की जाती थी। यह एक पारंपरिक धन है जो हमें स्वाभाविक ढंग से चतुर्दिक समृद्धि की ओर ले जा सकता है। विश्वविद्यालय को चाहिए कि छात्रों के हॉस्टल की ही तर्ज़ पर गायों के आश्रय के लिए भी एक बड़े केंद्र की स्थापना करे। हमारा मंत्रालय और मैं भी व्यक्तिगत तौर पर इसमें सहयोग करने को तैयार हूँ।

उन्होंने कहा कि गाय ब्रह्माण्ड का मूल आधार है जिससे संबंधित सभी उत्पाद मनुष्य के मन, तन और धन को प्रखर कर देते हैं। इसलिए हमारा यह सौभाग्य है कि हमारे जीवन और समाज के सभी अनुष्ठानों में गाय की भूमिका और आशीर्वाद स्वाभाविक रूप से उपलब्ध है। यहाँ से यह संदेश जाना चाहिए कि हम अपने जीवन और कर्म में गौ-स्नेह को नये रूप में पुनर्स्थापित कर सकें।