ड्रोन तकनीक कृषि के लिए उपयोगी है और किसानों को लाभान्वित करेगी: श्री नरेंद्र सिंह तोमर


 

नई दिल्ली:ड्रोन तकनीक को अपनाना समय की मांग है और इससे किसानों को फायदा होगा। कृषि में ड्रोनके इस्तेमाल के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करते हुएकृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में 2014 से सभी नीतियों का उद्देश्य 2022 तक किसान की आय को दोगुना करना है। उन्होंने कहा कि किसान उत्पादकसंगठन (एफपीओ) और कृषि बुनियादी कोष (एआईएफ) के सृजन से छोटे किसानों के जीवन में बदलाव आएगा। श्री तोमर ने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में टिड्डियों के हमलों को रोकने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को शामिल करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है ताकि कृषि क्षेत्र की उत्पादकता के साथ-साथ दक्षता बढ़ाने के संदर्भ में स्थायी समाधान किया जा सके।

कीटनाशक के इस्तेमाल के लिए ड्रोन विनियमन के लिए एसओपी में वैधानिक प्रावधान, उड़ान की अनुमति, क्षेत्र दूरी संबंधी प्रतिबंध, वजन का वर्गीकरण, भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों पर प्रतिबंध, ड्रोन का पंजीकरण, सुरक्षा बीमा, पायलट प्रमाणन, संचालन योजना, हवाई उड़ान क्षेत्र, मौसम की स्थिति, संचालन पूर्व, पश्चात एवं संचालन के दौरान, आपातकालीन हैंडलिंग योजना के लिए एसओपी जैसे महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं।

कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकियों के अनूठे लाभों को ध्यान में रखते हुए, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, (कृषि एवं किसान कल्याण विभाग) ने इस क्षेत्र के सभी हितधारकों के परामर्श से ड्रोन के उपयोग के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है। इसमें कीटनाशक तथा पोषक तत्व के इस्तेमाल में ड्रोन के प्रभावी एवं सुरक्षित संचालन के लिए संक्षिप्त निर्देश शामिलहैं।

आमतौर पर ड्रोन के रूप में जाने जाने वाले मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी) के इस्तेमाल से भारतीय कृषि में क्रांति लाने तथा देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की काफी संभावनाएं दिखाई पड़ती हैं। राष्ट्रीय ड्रोन नीति को अधिसूचित कर दिया गया है और ड्रोन नियम 2021 को देश में लोगों तथा कंपनियों के लिए अब ड्रोन के स्वामित्व एवं संचालन को काफी आसान बना दिया गया है। अनुमतियों के लिए अपेक्षित शुल्क को भी नाममात्र के स्तर तक घटा दिया गया है।

ड्रोन मल्टी-स्पेक्ट्रल तथा फोटो कैमरों जैसी कई विशेषताओं से सुसज्जित हैं और इसकाइस्तेमाल कृषि के कई क्षेत्रों में किया जा सकता है, जैसे फसल के दबाव की निगरानी, पौधों की वृद्धि, पैदावार की भविष्यवाणी, खरपतवार नाशक, उर्वरक तथा पानी जैसी सामग्रियों का वितरण करना। किसी भी वनस्पति या फसल के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है, खरपतवार, संक्रमण तथा कीटों से प्रभावित क्षेत्र और इस आकलन के आधार पर, इन संक्रमणों से लड़ने के लिए आवश्यक रसायनों का सटीक मात्रा में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे किसान की कुल लागतमें काफी कमी की जा सकती है। कई स्टार्ट-अप्स द्वारा ड्रोन प्लांटिंग सिस्टम भी विकसित किए गए हैं, जो ड्रोन को पॉड्स, उनके बीजों को शूट करने तथा मिट्टी में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को स्प्रे करने की सुविधा देते हैं। इस प्रकार, यह तकनीक लागत को कम करने के अलावा फसल प्रबंधन की निरंतरता और दक्षता को बढ़ाती है।