खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में सर्वश्रेष्ठों में मुकाबला है: बॉक्सर अक्षय कुमार सिवाच

रामजी पांडे

नई दिल्ली हरियाणा की भूमि 21वीं सदी की शुरुआत से ही भारतीय मुक्केबाजी में श्रेष्‍ठ प्रतिभाओं को जन्‍म देने वाली बड़ी भूमि रही है। राज्‍य के विजेंदर सिंह, विकास कृष्ण यादव, पूजा रानी, अमित पंघाल और कई अन्य सितारों के नाम आज घर-घर में प्रसिद्ध नाम बन गए हैं। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2021 में बनने वाला ऐसा ही एक सितारा युवा अक्षय ‘कुमार’ सिवाच है, जो भिवानी (हरियाणा) का रहने वाला है।

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इस 20 वर्षीय मुक्‍केबाज अक्षय का नाम बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार के नाम पर रखा गया था। अपने नाम के बारे में एक किस्सा साझा करते हुए, अक्षय ने कहा कि मेरे परिवार का नाम वास्तव में सिवाच है, लेकिन मुझे आमतौर पर मेरे दोस्तों और परिवार में अक्षय कुमार के रूप में जाना जाता है। जब मैं पैदा हुआ तो मेरी मां ने मेरा नाम अक्षय रखा था और मेरे पिताजी ने उसमें ‘कुमार’ नाम जोड़ा दिया था क्योंकि वह इसी नाम के सिनेमा अभिनेता के बहुत बड़े प्रशंसक थे। इस प्रकार मुझे यह नाम मिला है।

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अक्षय कुमार खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2021 में 63.5 किलोग्राम के भार वर्ग में मुकाबला कर रहे हैं, जहां वह ओपीजेएस विश्वविद्यालय, राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वे पहले ही इस प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में प्रवेश कर चुके हैं, जहां उनका मुकाबला बुधवार को हर्षदीप के साथ होगा।

खेलो इंडिया मंच के बारे में अक्षय ने कहा कि यह मंच युवा एथलीटों को पूरे देश के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों के खिलाफ प्रतियोगिता की पेशकश करने में मदद करेगा। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स देश के सर्वश्रेष्ठ युवा एथलीटों के बीच एक तरह की परीक्षा है, क्योंकि इस चरण के लिए क्‍वालिफाई करने के लिए एथलीटों को पहले ही राज्य और विश्वविद्यालय स्तर की क्‍वालिफाइंग प्रतियोगिताओं के माध्यम से आगे आना पड़ता है।

 इन खेलों का आयोजन भारत सरकार की एक अच्छी पहल है। सरकार युवा एथलीटों की जरूरतों को समझती है और उन्हें अपनी-अपनी संबंधित विधा में आगे बढ़ने का मौका देती है। मैं यहां आने वाले एथलीटों को जो खुराक दी जा रही है उससे बहुत खुश हूं। हमें ठीक मात्रा में सही खुराक दी जा रही है। प्रशिक्षण के अलावा, एथलीटों के सुधार के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू भी है। आवास सुविधाएं भी बहुत अच्छी हैं, इसलिए हम खेलों में अपने प्रदर्शन पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं। हमें इस बात की चिंता नहीं कि संसाधन कहां से आएंगे।

युवा अक्षय सिवाच के लिए मुक्केबाजी स्वाभाविक रूप से आई है, क्योंकि वह उस परिवार से ताल्‍लुक रखते हैं जिसकी खेल में समृद्ध विरासत है। उनके दो चाचा और एक बड़े भाई ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा की है। अक्षय का मानना ​​​​है कि उसे भाग्‍य से कम उम्र में ही खेलों को अपनाने का मौका मिला। हालांकि, उनकी प्रेरणा का स्रोत एक अन्य जाना-माना नाम था। अक्षय ने कहा कि मैं विकास कृष्ण यादव को अपना आदर्श मानता हूं और उनका अनुसरण करने की कोशिश करता हूं, मैं भी उनकी तरह बाएं हाथ से काम करने वाला (साउथपॉ) हूं और हम दोनों भिवानी से हैं। वह एक महान मुक्केबाज हैं और उनका सबसे बड़ा गुण यह है कि वह प्रत्येक मुकाबले में अपना दिमाग इस्‍तेमाल करते हैं। उन्होंने यह दिखाया है कि मुक्केबाजी केवल शारीरिक खेल नहीं है, बल्कि मानसिक लड़ाई भी है।