विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले दशक में 34.3 मिलियन डॉलर के निवेश के साथ अनुसंधान विकास और प्रौद्योगिकी की तैनाती को समर्थन दिया है


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं विद्युत, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के उच्च स्तरीय संयुक्त मंत्रिस्तरीय शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के लिए शहरों और भवनों को डिकार्बोनाइज करने के काम को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए और व्यवस्थित दक्षता लाने के लिए इसे बड़े पैमाने पर, गति और एकीकृत तथा डिजिटलीकृत दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए किए जाने की आवश्यकता है।

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अमरीका के पीट्सबर्ग में ग्लोबल क्लिन एनर्जी एक्सनफोरम-2022 में “नेट जीरो बिल्ट एनवायरनमेंट विथ कनेक्टेड कम्युनिटीज” विषय पर गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम अपने शहरों और इमारतों को बदले बिना जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं और इसके लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को व्यापक स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है और यह आज की  प्रौद्योगिकियों के साथ ही सम्भव है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि कूलिंग को तेजी से विकास की आवश्यकता के रूप में माना जा रहा है जो अनेक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने से जुड़ा है। उन्होंने कहा वैश्विक स्तर पर नेट जीरो कनेक्टेड कम्युनिटीज के लक्ष्य को हासिल करने में प्रदर्शन और तैनाती, निवेश, टेक्नोलॉजी महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि मजबूत अनुसंधान विकास तथा नवाचार इको-सिस्टम के विकास में अन्य बातों के साथ-साथ क्षेत्र में वैज्ञानिक मानव शक्ति का और अधिक विकास, अपेक्षित शैक्षिक और अनुसंधान तथा विकास की संस्थागत क्षमताओं, कुलिंग के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान और विकास गतिविधियों के लिए मदद शामिल हैं जिसमें रेफरिजरेंट, कूलिंग उपकरण, ठोस भवन डिजाइन कार्यक्रम, वैकल्पिक टेक्नोलॉजी तथा नई उभरती टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए उद्योग की तैयारी शामिल हैं।