उत्तर पूर्व भारत का फार्मप्रेन्योर आइकन- एनईआरसीआरएमएस, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के अंतर्गत एक पंजीकृत सोसायटी की पहल से प्राप्त सफलता की कहानी


नई दिल्ली मणिपुर के उखरूल जिले में जलवायु की स्थिति सेब की खेती के लिए अनुकूल हैं। वर्ष 2019 में, इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के सहयोग से उत्तर पूर्वी क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन सोसायटी (एनईआरसीआरएमएस), एनईसी, भारत सरकार ने उखरूल जिले में सेब की कम शीतलन वाली प्रजाति पेश की। इस पहल को कृषक समुदाय सहित विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001QUF6.jpg इस पहल के अंतर्गत, मणिपुर के उखरूल जिले के पोई गांव में रहने वाली श्रीमती ऑगस्टिना औंग्शी शिमरे का चयन सेब की खेती करने वाले लाभार्थी के रूप में किया गया। उन्होंने अन्य किसानों के साथ हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में प्रशिक्षण प्राप्त की। क्षमता-निर्माण समर्थन प्राप्त होने बाद, श्रीमती शिमरे ने अपने बाग में सेब की खेती सफलतापूर्वक की। अपनी पहली उपज के रूप में उन्होंने लगभग 160 किलो सेब उगाया, जिसे उन्होंने 200 रुपये प्रति किलो की अच्छी कीमत पर बेचा। उनकी सफलता से प्रेरित होकर, कुछ अन्य किसानों ने भी सेब की खेती शुरू की। उनके अनुकरणीय कोशिशों के लिए, मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री एन. बीरेन सिंह ने उन्हें सम्मानित किया। बाद में, उन्हें सेब की खेती और फसल के बाद उसका प्रबंधन में प्रशिक्षण देने के लिए राज्य सरकार से वित्तीय सहायता भी प्राप्त हुई।

श्रीमती शिमरे ने उनके जीवन को रूपांतरित करने और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए एनईआरसीआरएमएस, एनईसी, भारत सरकार के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। आज, उन्होंने आत्मनिर्भरता के एक नए अर्थ को महसूस किया है और उनकी कहानी उत्तर पूर्व भारत के कृषक समुदाय के लिए प्रेरणादायक