14 प्रमुख क्षेत्रों में पीएलआई योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए स्वामित्व की भावना पैदा करना

नई दिल्ली केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सरकार उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) क्षेत्रों में अनुकूल व्यावसायिक माहौल बनाने और विकास में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री गोयल वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा पीएलआई योजनाओं पर आधारित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मंत्री महोदय ने पीएलआई योजना की नीतियों, प्रक्रियाओं तथा प्रभावशीलता को आकार देने के लिए उद्योग की प्रतिक्रिया और सहयोगी कार्य को प्रोत्साहित किया।

श्री गोयल ने उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के उत्पादन पर उद्योग की एकाग्रता के महत्व पर बल दिया, जो उद्योग और उपभोक्ताओं दोनों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। उन्होंने पीएलआई लाभार्थियों से किसी भी प्रक्रिया संबंधी चुनौतियों/विषयों को लागू करने वाले संबंधित मंत्रालय/विभाग के समक्ष उठाने का आग्रह किया ताकि सकारात्मक सुधार लाया जा सके और पीएलआई योजना को अधिक कुशल व प्रभावी बनाया जा सके। मंत्री महोदय ने कहा कि कार्यान्वयन मंत्रालय/विभाग के सरकारी अधिकारियों को अपने संबंधित पीएलआई लाभार्थियों के साथ नियमित परामर्श और गोलमेज बैठक करनी चाहिए, ताकि मुद्दों को तुरंत हल किया जा सके।

श्री पीयूष गोयल ने सभी हितधारकों से एक ऐसा माहौल बनाने के लिए मिल कर काम करने का आग्रह किया, जो हमारे उद्योगों के विकास, नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे। इस कार्यशाला का उद्देश्य सभी प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर लाना तथा उनमें स्वामित्व की भावना पैदा करना था ताकि वे 14 प्रमुख क्षेत्रों के अंतर्गत पीएलआई योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अपने ज्ञान और अनुभवों का आदान-प्रदान कर सकें। इस कार्यशाला का आयोजन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के भारत को मैन्युफैक्चरिंग का वैश्विक केंद्र (हब) बनाने के विजन के अनुरूप किया गया।

इस कार्यशाला में 14 प्रमुख क्षेत्रों के अंतर्गत 10 कार्यान्वयन केंद्रीय विभागों, कंपनियों/पीएलआई लाभार्थियों, विभिन्न परियोजना प्रबंधन एजेंसियों (पीएमए) जैसे आईएफसीआई, सिडबी, मैकॉन, आईआरईडीए और एसईसीआई, चुनिंदा उद्योग संघों (सीआईआई, फिक्की, एसोचैम और पीएचडीसीसीआई) तथा संबंधित निर्यात संवर्धन परिषदों यानी एफआईईओ, ईईपीसी और टीईपीसी ने भाग लिया।

इस बैठक में विस्ट्रॉन, फॉक्सकॉन, सैमसंग, डेल, विप्रो जीई, डॉ. रेड्डीज, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, नोकिया सॉल्युशंस, आईटीसी, डाबर, जेएसडब्ल्यू और रिलायंस जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों को समूह शामिल का समूह शामिल हुआ। उनकी उपस्थिति ने विभिन्न तरह के दृष्टिकोण सुनिश्चित किए और ज्ञान साझाकरण तथा नेटवर्किँग के वातावरण को बढ़ावा दिया। सरकारी अधिकारियों के साथ इन कंपनियों के प्रमुख अधिकारी कार्यशाला के दौरान सहयोगी खुली चर्चा, इंटरेक्टिव सत्र और प्रस्तुतियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे।

कार्यशाला ने उद्योग नेतृत्वकर्ताओं, विशेषज्ञों तथा सरकारी अधिकारियों को पीएलआई योजनाओं के प्रभाव पर व्यावहारिक चर्चा में शामिल होने और मूल्यवान जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए अनूठा मंच प्रदान किया। इस आयोजन का उद्देश्य योजनाओं, उनके उद्देश्यों तथा मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में क्रांति लाने की उनकी क्षमता की व्यापक समझ की सुविधा प्रदान करना था।

कार्यशाला के एजेंडे में पीएलआई योजनाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया, जिनमें उनके दायरे, पात्रता मानक, प्रोत्साहन और संबंधित केंद्रीय विभागों तथा पीएमए द्वारा प्रदान की गई शिकायत नियंत्रण व्यवस्था सहित सफल क्रियान्वयन के लिए रोडमैप शामिल है। प्रतिभागी उपयोगी चर्चाओ में शामिल थे जो प्रतिस्पर्धा बढ़ाने, उत्पादन को प्रोत्साहित करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए इन योजनाओं का लाभ उठाने पर केंद्रित थे। प्रमुख विषयों में योजनाओं की सफलता में योगदान करने वाले कारक/नीतिगत बारीकियों, घरेलू मूल्यवर्धन को प्रोत्साहन और उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना शामिल थे।

कार्यशाला का समापन पीएलआई योजनाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने और उपलब्ध प्रोत्साहनों का पूरी क्षमता के साथ लाभ उठाने के लिए सभी उपस्थित लोगों की सामूहिक प्रतिबद्धता के साथ हुआ।

इस कार्यशाला के दौरान पीएलआई योजनाओं की समग्र उपलब्धि पर चर्चा की गई। 62,500 करोड़ रुपये का वास्तविक निवेश (मार्च 2023 तक) प्राप्त किया गया है, जिसके परिणास्वरूप 6.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन/बिक्री हुई है और लगभग 3,25,000 रोजगार सृजन हुए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 तक निर्यात में 2.56 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। पीएलआई योजनाओं के अंतर्गत वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 2,9000 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि वितरित की गई।

पीएलआई योजनाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू मूल्यवर्धन (डीवीए) को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र और स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग में क्रमशः 23 प्रतिशत और 20 प्रतिशत का मूल्यवर्धन हुआ है, जो 2014-15 में नगण्य था। फार्मास्यूटिकल के अंतर्गत विभिन्न उत्पादों में 80 प्रतिशत डीवीए की रिपोर्ट की गई है। दूरसंचार क्षेत्र में 60 प्रतिशत आयात प्रतिस्थापन प्राप्त किया गया है और भारत अनेक नेटवर्किंग उत्पादों में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। ऑटोमोबिल तथा ऑटो घटक क्षेत्रों के अंतर्गत 50 प्रतिशत तक डीवीए की परिकल्पना की गई है।