कीटनाशक के दुष्प्रभाव को काम करने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए

नई दिल्ली प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 3,68,676.7 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ किसानों के लिए नवीन योजनाओं के एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी है। यह पैकेज टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देकर किसानों के समग्र कल्याण और उनकी आर्थिक बेहतरी पर केंद्रित है। ये पहल किसानों की आय को बढ़ायेंगी, प्राकृतिक एवं जैविक खेती को मजबूती देंगी, मिट्टी की उत्पादकता को पुनर्जीवित करेंगी और साथ ही खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करेंगी” यह बात केंद्रीय रसायन और उर्वरक एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. मनसुख मांडविया ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि मंत्रियों को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहीI

इस वर्चुअल बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं 20 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि मंत्री शामिल हुए I बैठक में मौजूद राज्यों के कृषि मंत्रियों ने केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री एवं केंद्र सरकार से समय समय पर मिलने वाले सहयोग के लिए एवं  इस पैकेज के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया I

 

डॉ. मांडविया ने कहा कि सीसीईए ने किसानों को करों और नीम कोटिंग शुल्कों को छोड़कर 266.70 रुपये प्रति 45 किलोग्राम की बोरी की समान कीमत पर यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने की मंजूरी दे दी है। पैकेज में तीन वर्षों के लिए (2022-23 से 2024-25) यूरिया सब्सिडी को लेकर 3,68,676.7 करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। यह पैकेज हाल ही में अनुमोदित 2023-24 के खरीफ मौसम के लिए 38,000 करोड़ रुपये की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के अतिरिक्त है। किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी और इससे उनकी इनपुट लागत को कम करने में मदद मिलेगी।

वर्तमान में, यूरिया की एमआरपी 266.70 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी है (नीम कोटिंग शुल्क और लागू करों को छोड़कर) जबकि बैग की वास्तविक कीमत लगभग 2200 रुपये है। यह योजना पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा बजटीय सहायता के माध्यम से वित्तपोषित है। यूरिया सब्सिडी योजना के जारी रहने से जारी रहने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा।