ये दिशा-निर्देश सुनिश्चित करेंगे कि डिस्कॉम्स द्वारा लोड शेडिंग करने की आदत और बिजली आपूर्ति संकट की घटनाओं से भविष्य में बचा जा सके

नई दिल्ली केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के साथ परामर्श करके भारतीय संसाधन पर्याप्तता योजना फ्रेमवर्क के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी ये दिशा-निर्देश विद्युत (संशोधन) नियम, 2022 के नियम 16 के तहत तैयार किए गए हैं जिन्हें 29 दिसंबर, 2022 को अधिसूचित किया गया था।

ये दिशा-निर्देश सुनिश्चित करेंगे कि लागत प्रभावी तरीके से बिजली की मांग को पूरा करने हेतु  डिस्कॉम्स द्वारा संसाधनों की अग्रिम खरीद के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार किया जाए ताकि देश के विकास को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराई जा सके। ये दिशा-निर्देश राष्ट्रीय स्तर से लेकर डिस्कॉम स्तर तक संसाधन पर्याप्तता के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करते हैं ताकि मांग को पूरा करने के लिए संसाधनों की उपलब्धता प्रत्येक स्तर पर सुनिश्चित हो सके। कम से कम लागत पर भविष्य में बिजली की मांग वृद्धि को भरोसेमंद ढंग से पूरा करने के लिए जरूरी नई उत्पादन क्षमताओं, ऊर्जा भंडारण और अन्य लचीले संसाधनों का आकलन पहले से ही किया जाएगा।

दीर्घकालिक राष्ट्रीय संसाधन पर्याप्तता योजना (एलटी-एनआरएपी) के मुताबिक या संबंधित एसईआरसी द्वारा निर्दिष्ट डिस्कॉम्स को जितनी कुल क्षमता चाहिए, ये दिशा-निर्देश सुझाते हैं कि उनमें से दीर्घकालिक अनुबंधों का हिस्सा कम से कम 75 प्रतिशत होगा। मध्यम अवधि के अनुबंधों को 10-20 प्रतिशत की सीमा में रखने का सुझाव दिया गया है, वहीं शेष बिजली की मांग को अल्पकालिक अनुबंधों के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। डिस्कॉम्स की व्यक्तिगत योजनाओं को इकट्ठा करने के बाद, अल्पकालिक वितरण संसाधन पर्याप्तता योजनाओं (एसटी-डीआरएपी) को पूरा करने के लिए जरूरी क्षमता में किसी भी कमी को पूरा करने के लिए नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) बोलियां भी बुलाएगा।

इन दिशा-निर्देशों में यह भी बताया गया है कि हर तरह के बिजली उत्पादन के लिए डिस्कॉम्स द्वारा खरीद प्रक्रिया को कितने वर्षों से पहले पूरा कर लिया जाना चाहिए, ताकि अनुमानित भार को पूरा करने के लिए जरूरी होने पर खरीदी गई क्षमता उपलब्ध हो सके।

इन दिशा-निर्देशों पर टिप्पणी करते हुए, केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा (एनआरई) मंत्री ने कहा कि ये दिशा-निर्देश उपभोक्ताओं को अनुकूलित दरों पर 24x7 भरोसेमंद बिजली आपूर्ति प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा सुधार हैं। श्री आर. के. सिंह ने कहा, "भविष्य के लिए बिजली की मांग का आकलन करने हेतु इस समयबद्ध और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, और इस मांग को पूरा करने के लिए संसाधनों की अग्रिम खरीद के लिए आवश्यक कार्रवाई करने से ये सुनिश्चित होगा कि भविष्य में डिस्कॉम द्वारा लोड शेडिंग की आदत और बिजली आपूर्ति की कमी की सूरत से बचा जा सकेगा।"

केंद्रीय विद्युत और एनआरई मंत्री ने कहा कि ये मजबूत संसाधन पर्याप्तता ढांचा, देश की ऊर्जा सुरक्षा को कम से कम लागत पर सुनिश्चित करने और स्वच्छ व सस्टैनेबल भविष्य की ओर बढ़ने के दोहरे उद्देश्य पूरे करेगा।

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण इस मांग को भरोसेमंद ढंग से पूरा करने हेतु, राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक प्लानिंग रिजर्व मार्जिन (पीआरएम) मुहैया करने के लिए एलटी-एनआरएपी प्रकाशित करेगा। मौजूदा बिजली उत्पादन स्टेशनों के तय मेंटेनंस कार्यक्रम पर विचार करते हुए नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) एक विस्तृत वार्षिक परिचालन योजना तैयार करेगा। इसे अल्पकालिक राष्ट्रीय संसाधन पर्याप्तता योजना (एसटी-एनआरएपी) कहा जाएगा।

एलटी-एनआरएपी के आधार पर, प्रत्येक डिस्कॉम राष्ट्रीय स्तर पर पीआरएम को पूरा करने के लिए आवश्यक क्षमता को अनुबंधित करने हेतु अपनी योजना तैयार करेगा। दीर्घकालिक वितरण लाइसेंसी संसाधन पर्याप्तता योजना (एलटी-डीआरएपी) नाम की ये योजना 10 वर्षों के लिए तैयार की जाएगी और संसाधनों के राष्ट्रीय स्तर के अनुकूलन का लाभ उठाते हुए सीईए द्वारा इसकी जांच की जाएगी। एनएलडीसी की ही तरह तमाम एसएलडीसी भी बिजली उत्पादन स्टेशनों की वास्तविक उपलब्धता के आधार पर अपने राज्यों के लिए अल्पकालिक वितरण संसाधन पर्याप्तता योजना (एसटी-डीआरएपी) नामक विस्तृत वार्षिक परिचालन योजनाएं तैयार करेंगे। इन योजनाओं में आरई क्षमता वृद्धि को बढ़ावा देने हेतु तय संस्थाओं के लिए मैंडेट किए गए आरपीओ (नवीकरणीय खरीद दायित्व) भी शामिल होंगे