जनता कब खेलती है किसी भी नेता पर दांव?

रामजी पांडे
जनता द्वारा राजनीति में किसी नेता पर दांव खेला जाना एक रुचिकर और उत्साहवर्धक विषय है। यह विषय राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक भारतीय राजनीति में अलग अलग  प्राथमिकता रखता है। राजनीतिक में दांव खेलने का कारण नेताओं के नैतिक और राजनीतिक चरित्र, उनकी पॉपुलरिटी, देशवासियों की समस्याओं के प्रति उनके संवेदनशीलता, तथा राजनीतिक पार्टियों की नीतियों का प्रभाव होता है। इसलिए, राजनीतिक दांव खेलने के पीछे अनेक कारण होते हैं जो निम्नलिखित हैं:

नेता के नैतिक और राजनीतिक चरित्र: जनता एक नेता की नैतिकता और चरित्र को बड़े ध्यान से देखती है। यदि नेता का व्यवहार और नैतिकता न्याय संगत नहीं है तो जनता उस पर भरोसा नहीं करती और दांव खेलने के लिए तैयार नहीं होती है।

नेता की पॉपुलरिटी: जनता एक नेता की पॉपुलरिटी को महत्वपूर्ण मानती है। अगर किसी नेता की पॉपुलरिटी जनता में अधिक है, तो उसके लिए दांव खेलने का मौका ज्यादा होता है।

समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता: जनता उन नेताओं को पसंद करती है जो उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशील हों और उन्हें सही समय पर सही समाधान दें।

पार्टी की नीतियों का प्रभाव: जनता किसी भी पार्टी की नीतियों के प्रति भी बहुत सतर्क रहती है। यदि किसी पार्टी की नीतियां जनता को संतुष्ट नहीं करती हैं तो जनता ऐसे नेताओं पर कभी भी दांव नहीं खेलती।

राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी: विपक्षी पार्टियों द्वारा भी कई बार दांव खेला जाता है। वे अपने प्रतिद्वंदी को हराने और उन्हें गिराने के लिए उचित प्रत्याशी पर दांव खेलती है।

दांव खेलने का सबसे बड़ा कारण यह है कि जनता चाहती है कि उनके नेता न केवल उनकी समस्याओं को समझें, बल्कि उन्हें समाधान भी प्रदान करें। जनता अपने नेता से उम्मीद करती है कि वह देश और समाज के विकास के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे और उनकी समस्याओं के समाधान में मदद करेंगे। अगर किसी नेता के इन मापदंडों में खाली जगह होती है, तो जनता दांव खेलने के लिए तैयार नहीं होती है।

कृपया ध्यान दे
एक जागरूक, संवेदनशील, और सक्रिय नागरिक होने के नाते जनता को भी अपने  समाज ओर देश के उत्थान में सहायक बनना चाहिए , और चुनाव में हमेशा अच्छे नेता का चुनाव करना चाहिए ताकि  अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए बेहतर और समृद्ध भारत का निर्माण कर सकें।