पितृ पक्ष|| पितरों के प्रति आपका समर्पण खोल देगा आपकी किस्मत का बंद दरवाजा


नई दिल्ली 29 सितंबर 2023 भारतीय संस्कृति में पितृ पक्ष एक महत्वपूर्ण और पावन अवसर है जिसका उद्देश्य अपने पितरों के प्रति आपका समर्पण और आभार व्यक्त करना है। इस पक्ष के दौरान हम अपने पूर्वजों के प्रति आपके आभार का प्रकटीकरण करते हैं और उनकी आत्मा को शांति देने का प्रयास करते हैं।

पितृ पक्ष भगवान गणेश जी के श्राप के परिणामस्वरूप आता है और यह हमे शिक्षा देता है कि हमें अपने पितरों के प्रति समर्पण और आभार व्यक्त करने के महत्व को समझना चाहिए। इसे आपके पितरों के पुण्यकाल की याद में मनाने का एक विशेष मौका माना जाता है।

पितृ पक्ष के दौरान, कई परंपरागत तर्पण व आयोजन होते हैं। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण तरीके बता रहे हैं जिनका आप अपने पितरों के प्रति अपने समर्पण को व्यक्त करने के लिए अनुसरण कर सकते हैं:

1. श्राद्ध का आयोजन: श्राद्ध हमारे पितरों के आत्मा की शांति के लिए अहम होता है। इसमें विशेष प्रकार के अन्न, धूप, दीप, और फूलों का अर्पण करने की परंपरा होती है।

2. प्राथना और मेधावी दान: आप पितृ पक्ष के दौरान प्रार्थना कर सकते हैं और उनके नाम पर दान कर सकते हैं, जैसे कि वस्त्र, आहार, और धन।

3. पितृ तीर्थ यात्रा: कुछ लोग पितृ पक्ष के दौरान पितृ तीर्थ यात्रा पर जाते हैं, जिसमें गंगा, यमुना, और अन्य तीर्थ स्थलों पर यात्रा करने का आयोजन होता है।

4. पितृगण का समर्पण: आप अपने पितरों के प्रति अपना समर्पण और आभार व्यक्त कर सकते हैं, उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना कर सकते हैं और उनकी यादों को महसूस कर सकते हैं।

5. पितरों के यादगारों का संरक्षण: आप अपने पितरों के यादगारों को संरक्षित रख सकते हैं, जैसे कि उनके फ़ोटो, पुराने पत्र, और विशेष वस्त्र।
6-पितरों को तर्पण:इन दिनों पितरों की याद में हमे नियमित जल तर्पण करना चाहिए जिसमे तिल, फूल,जल,दूध आदि मिलाकर सूर्य के सामने जल दे मान्यता है की पितृ पक्ष के  दौरान दिए गए जल से पितृ प्रसन्न होते है यह जल 

पितृ पक्ष में अपने पितरों के प्रति आपका तर्पण,समर्पण और आभार व्यक्त करना महत्वपूर्ण है। यह समय है जब हम अपने पूर्वजों के साथ वक्त बिताते हैं और उनकी यादों को सजीव रखते हैं। इस पितृ पक्ष पर, हम अपने पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम का इज़हार करते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिल सकती है।

इस पितृ पक्ष के मौके पर, हम सभी को अपने पितरों के प्रति हमें तर्पण, समर्पण  और आभार व्यक्त करने का समय मिलता है, और इससे हमारे परिवार के बीच एक मजबूत बंधन का निर्माण होता है। यह एक मानवीय और आध्यात्मिक प्रक्रिया होती है, जिससे हम अपने पितरों के प्रति अपना आभार और प्यार व्यक्त करते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।