नई दिल्ली में होम्योपैथी संगोष्ठी ने बढ़ाई होम्योपैथी की स्वीकार्यता||रामजी पांडे


नई दिल्ली: वैश्विक सहयोग के साथ होम्योपैथी की प्रभावकारिता और स्वीकार्यता को बढ़ाने के लिए आज नई दिल्ली में होम्योपैथी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दो दिवसीय कार्यक्रम में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की उपस्थिति में होम्योपैथी और आयुष के क्षेत्र में सात पद्म पुरस्कार विजेताओं ने हिस्सा लिया।

संगोष्ठी में 6,000 से अधिक प्रतिभागियों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं, शिक्षाविदों, छात्रों और शिक्षकों ने होम्योपैथी के लिए सार्थक बातचीत की। इस कार्यक्रम की थीम, "अनुसंधान को सशक्त बनाना, दक्षता बढ़ाना" के अनुरूप कार्यक्रम में होम्योपैथिक अनुसंधान, नैदानिक तौर-तरीके और बाजार संबंधी अंतर्दृष्टि पर विचार-विमर्श किया गया।

दूसरे दिन राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के अध्यक्ष डॉ. अनिल खुराना ने कहा, “भारत में विश्व होम्योपैथी दिवस मनाना नैदानिक अनुभवों को साझा करने और होम्योपैथी के विकास के लिए नीतिगत मुद्दों पर चर्चा करने का एक अवसर रहा है। हमारा मानना है कि सार्वजनिक लाभ में इसे परिवर्तित करने के लिए साक्ष्य-आधारित अनुसंधान होम्योपैथी की उपस्थिति को और बढ़ाएगा।”

विभिन्न सत्रों के दौरान, प्रसिद्ध होम्योपैथी के चिकित्सकों ने होम्योपैथी के साथ असाध्य रोगों के प्रबंधन को लेकर अपने अनुभव साझा किए। पशुओं के मामलों में होम्योपैथी के सकारात्मक परिणाम भी पशु चिकित्सकों द्वारा प्रदर्शित किए गए। अनुसंधानकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने उनके द्वारा की गई अनुसंधान संबंधी प्रमुख गतिविधियों के निष्कर्षों को साझा किया।