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मंगलवार, 30 नवंबर 2021
नई स्वदेशी स्मार्ट प्रौद्योगिकी प्रणाली स्वचालित रूप से शॉर्ट-सर्किट से पावर ग्रिड की रक्षा कर सकती है
नई दिल्ली:एक भारतीय शोधकर्ता ने एक स्मार्ट सिस्टम के प्रोटोटाइप का एक अनूठा नवाचार विकसित किया है, जो शॉर्ट-सर्किट से पावर ग्रिड की रक्षा कर सकता है या तो स्वचालित रूप से करंट को समानांतर शंट में बदल सकता है (अधिकतम करंट को बायपास करने के लिए बाहरी प्रतिरोध) या बढ़ते करंट को रोकने के लिए करंट के रास्ते में प्रतिरोध तैयार किया जा सका है।
शॉर्ट-सर्किट की स्थिति अक्सर पावर ग्रिड जैसे बिजली वितरण नेटवर्क में भी होती है, जिसके परिणामस्वरूप भारी करंट सर्ज होता है जो पावर ग्रिड को नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि वे बड़े सर्ज करंट को संभालने के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं। ये सर्ज (फॉल्ट करंट) बिजली ग्रिड को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे बिजली की आपूर्ति में बड़ा आर्थिक नुकसान और व्यवधान होता है।
हाल के वर्षों में सुपरकंडक्टर्स का उपयोग करते हुए, एक नई फॉल्ट करंट लिमिटर तकनीक विकसित की गई है। इन्हें सुपरकंडक्टिंग फॉल्ट करंट लिमिटर्स (एससीएफएल) कहा जाता है। विकसित की गई यह तकनीक सुपरकंडक्टर्स की संपत्ति पर आधारित है जो थ्रेशोल्ड करंट वैल्यू तक की धाराओं के लिए शून्य प्रतिरोध की पेश करती है। क्रिटिकल करंट से परे धाराओं पर, सुपरकंडक्टर का प्रतिरोध अधिक हो जाता है। इस प्रकार, एससीएफएल का ऑपरेटिंग सिद्धांत यह है कि जब फॉल्ट करंट सुपरकंडक्टर के क्रिटिकल करंट से अधिक हो जाता है, तो इसका प्रतिरोध अधिक हो जाता है। यह फॉल्ट करंट को कम करता है, और जब फॉल्ट करंट थ्रेशोल्ड क्रिटिकल करंट से कम हो जाता है, तो सामान्य जीरो रेजिस्टेंस मोड ऑपरेशन रिटर्न देता है। एससीएफएल अपने प्रचालन में ऊर्जा दक्ष है। पश्चिम में कंपनियां पहले से ही सुपरकंडक्टिंग फॉल्ट करंट लिमिटर्स (एससीएफएल) तकनीक में निवेश कर रही हैं। हालांकि, वे महंगे हैं, प्रत्येक सुपरकंडक्टिंग फॉल्ट करंट लिमिटर की अनुमानित लागत 1 मिलियन यूरो यानी 8,00,00,000 (आठ करोड़) रुपए की सीमा में है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटी कानपुर) के प्रो. सत्यजीत बनर्जी और उनके समूह (मो. आरिफ अली) ने स्वदेशी रूप से एक स्मार्ट सुपरकंडक्टिंग फॉल्ट करंट लिमिटर (एससीएफएलएसएम) के एक प्रोटोटाइप का एक अनूठा नवाचार विकसित किया है, जिसमें एक सर्किट है जिसमें एक सुपरकंडक्टिंग तत्व में सुपरकंडक्टर के चारों ओर वितरित हॉल सेंसर की एक लाइन होती है।
यह सर्किट एक स्विच के माध्यम से कम प्रतिरोध वाले शंट के समानांतर जुड़ा हुआ है। हॉल सेंसर की लाइन एससीएफएल में प्रयुक्त सुपरकंडक्टर के विभिन्न क्षेत्रों के माध्यम से प्रवाह की निरंतर निगरानी की अनुमति देती है। सुपरकंडक्टिंग तत्व को सीमित करने वाले दोष के माध्यम से करंट की सटीक और निरंतर मोटरिंग स्वचालित क्रिया को ट्रिगर कर सकती है, जैसे, करंट को समानांतर शंट में बदलना और ग्रिड की सुरक्षा करना। एससीएफएल का यह स्मार्ट पहलू यह है कि यह इसके के माध्यम से प्रवाहित होने वाले किसी भी उपयोगकर्ता-सेटटेबल, पूर्व निर्धारित थ्रेशोल्ड मान पर दोष सीमित करने की कार्रवाई की अनुमति देता है। यह सुविधा एक पारंपरिक एससीएफएल के विपरीत है जहां दोष सीमित करने वाली क्रिया केवल महत्वपूर्ण वर्तमान मान में सेट होती है, जो सुपरकंडक्टर की सामग्री और सुपरकंडक्टर के संश्लेषण के दौरान इसे संसाधित करने से तय होती है।
एक अन्य लाभ यह है कि एससीएफएलएसएम इसके अंदर उपयोग किए गए सुपरकंडक्टर में वर्तमान वितरण की निरंतर निगरानी और मानचित्रण की अनुमति देता है। यह अपने संचालन के दौरान एससीएफएलएसएम में किसी भी अस्थिरता सेटिंग के प्रत्यक्ष दृश्य को सक्षम बनाता है। यदि यह उच्च धाराओं पर काम कर रहा है, तो सुपरकंडक्टर में कोई अस्थिरता सेट हो जाती है, तो मैपिंग तकनीक इसके विकास का पता लगा लेगी। इसके बाद, सुपरकंडक्टर से करंट को डायवर्ट करने और एससीएफएल की सुरक्षा के लिए सुधारात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है। इस प्रकार पारंपरिक एससीएफएल में अनुभव किए गए सुपरकंडक्टर्स की विफलताओं की सामान्य समस्या को कम किया जा सकता है। इस एससीएफएलएसएम का संचालन पूरी तरह से स्वचालित है और एक गलती के बाद सिस्टम को रीसेट करने के लिए किसी भी मैनुअल हस्तक्षेप से स्वतंत्र है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी कार्यक्रम के समर्थन से विकसित प्रौद्योगिकी तैयारी स्तर के चौथे चरण में है, और इसके लिए एक राष्ट्रीय पेटेंट भी दायर किया गया है। प्रोटोटाइप को किसी भी बड़े बिजली क्षेत्र की कंपनियों में शामिल किया जा सकता है जो अपने मानक सुपरकंडक्टिंग फॉल्ट करंट लिमिटर्स के साथ काम कर रहे हैं।
प्रो. बैनर्जी ने आगे सुपरकंडक्टर्स के बीच करंट को शंट में बदलने के लिए अधिक कुशल, बड़े वर्तमान स्वचालित कॉम्पैक्ट स्विच विकसित करने की योजना बनाई है। यह उनके एससीएफएलएसएम प्रोटोटाइप में निर्मित स्मार्ट सेंसर द्वारा पता लगते ही दोषपूर्ण को डायवर्ट करने में मदद करेगा।
वीएसएम, एडीसी ने नौसेना स्टाफ के 25वें प्रमुख के रूप में भारतीय नौसेना की कमान संभाली
एडमिरल आर. हरि कुमार, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी ने आज (30 नवंबर 2021) नौसेना स्टाफ के 25वें प्रमुख के रूप में भारतीय नौसेना की कमान संभाली। उन्होंने एडमिरल करमबीर सिंह, पीवीएसएम, एवीएसएम, एडीसी का स्थान ग्रहण किया है, जो भारतीय नौसेना में 41 साल से अधिक के अपने शानदार करियर के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं।
एडमिरल आर. हरि कुमार प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्हें 01 जनवरी, 1983 को भारतीय नौसेना में कमीशन मिला था। अपने 38 वर्ष से अधिक के शानदार करियर के दौरान उन्होंने तटरक्षक जहाज सी-01, भारतीय नौसेना जहाज के निशंक, कोरा, रणवीर तथा विमान वाहक आईएनएस विराट की कमान संभाली है। एडमिरल आर. हरि कुमार तोपखाना विशेषज्ञ रहे हैं। उन्होंने पश्चिमी बेडे के फ्लीट ऑपरेशंस ऑफिसर और फ्लीट गनरी ऑफिसर, आईएनएस विपुल के कार्यकारी अधिकारी (ईएक्सओ), आईएनएस रंजीत के गनरी ऑफिसर (जीओ), आईएनएस कुठार के कमीशनिंग जीओ और आईएनएस रणवीर के कमीशनिंग क्रू सहित अनेक महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया है। उनकी तटवर्ती नियुक्तियों में मुख्यालय डब्ल्यूएनसी में कमांड गनरी ऑफिसर, सेशेल्स में सरकार के नौसेना सलाहकार, मोगादिशु सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनओएसओएम- II), आईएनएस द्रोणाचार्य के प्रशिक्षण कमांडर शामिल हैं। फ्लैग ऑफिसर के रूप में, उन्होंने नेवल वॉर कॉलेज, गोवा में कमांडेंट, फ्लैग ऑफिसर सी-ट्रोनिंग (एफओएसटी), फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग वेस्टर्न फ्लीट (एफसोसीडब्ल्यूएफ), चीफ ऑफ स्टाफ, पश्चिमी नौसेना कमान, कंट्रोलर पर्सनेल सर्विसेज और नौसेना मुख्यालय में कार्मिक प्रमुख (सीओपी) के रूप में काम किया है। उन्होंने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) संस्थान के निर्माण के दौरान महत्वपूर्ण संयोजन में चेयरमैन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) के चीफ ऑफ इंटीग्रेटिट डिफेंस स्टाफ प्रमुख के रूप में तथा सैन्य मामलों के विभाग में भी काम किया है।
एडमिरल आर. हरि कुमार 30 नवंबर, 2021 को नौसेना स्टाफ के प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण करने से पहले मुंबई में पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ थे।
इरेडा और बीवीएफसीएल ने हरित ऊर्जा सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
नई दिल्ली:भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड (इरेडा) ने आज ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीवीएफसीएल) के साथ अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को विकसित करने और धन जुटाने में अपनी तकनीकी-वित्तीय विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। ये दोनों कंपनियां क्रमशः नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैं।
समझौता ज्ञापन पर इरेडा के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) श्री प्रदीप कुमार दास और बीवीएफसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. सिबा प्रसाद मोहंती ने इरेडा के निदेशक (तकनीकी) श्री चिंतन शाह तथा इरेडा के सीएफओ डॉ आरसी शर्मा व अन्य वरिष्ठ अधिकरियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।
समझौते के तहत, इरेडा बीवीएफसीएल के लिए अक्षय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया, ऊर्जा दक्षता और संरक्षण परियोजनाओं का तकनीकी-वित्तीय उचित क्रियान्वयन करेगा। इरेडा अगले 5 वर्षों तक अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को बनाने और निर्धारित लक्ष्य हासिल करने के लिए एक कार्य योजना विकसित करने में बीवीएफसीएल की सहायता करेगा।
इरेडा के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री प्रदीप कुमार दास ने एमओयू पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि इरेडा का मानना है कि यह सहयोग बीवीएफसीएल जैसी रासायनिक और उर्वरक क्षेत्र की अन्य कंपनियों को कार्बन उत्सर्जन में कटौती तथा पर्यावरण के अनुकूल होने के लिए प्रेरित करेगा। यह इरेडा के लिए हरित ऊर्जा के जरिये पूर्वोत्तर भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का एक माध्यम है।
श्री दास ने यह भी कहा कि समझौता ज्ञापन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कॉप-26 में की गई प्रतिबद्धता के अनुरूप वर्ष 2030 तक भारत के कार्बन उत्सर्जन को 45% तक कम करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देने में सहायता करेगा। हाल ही में, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने घोषणा की है कि हाइड्रो सहित देश की कुल स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता 150 गीगावाट को पार कर गई है और इस 150 गीगावाट क्षमता में से, इरेडा ने देश में 19 गीगावाट से अधिक अक्षय ऊर्जा स्थापित करने में सहयता प्रदान की है।
बीवीएफसीएल के साथ यह समझौता ज्ञापन एक वर्ष के भीतर इरेडा द्वारा हस्ताक्षरित पांचवां समझौता है। इससे पहले, इरेडा ने हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अपनी तकनीकी-वित्तीय विशेषज्ञता का विस्तार करने हेतु एसजेवीएन, एनएचपीसी, तमिलनाडु उत्पादन एवं वितरण निगम लिमिटेड और नीपको के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह ने पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में पदभार ग्रहण किया
रामजी पांडे
नई दिल्ली:वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह, एवीएसएम, वीएसएम ने वाइस एडमिरल आर. हरि कुमार, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी से आईएनएस शिकरा में आयोजित शानदार औपचारिक परेड में पश्चिमी नौसेना कमान (डब्ल्यूएनसी) के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (एफओसी-इन-सी), के रूप में पदभार ग्रहण किया।
पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में कार्यभार संभालने से पूर्व, वाइस एडमिरल ए.बी. सिंह ने पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में कार्य किया है। वह उन कुछ कमांडर-इन-चीफ में से एक हैं, जिन्हें भारतीय नौसेना के दोनों परिचालन कमान का नेतृत्व करने के लिए विशिष्ट सम्मान और अद्वितीय गौरव से सम्मानित किया गया है।
वाइस एडमिरल ए.बी. सिंह ने मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में गौरव स्तंभ – विक्ट्री एट सी मेमोरियल पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन सभी कर्मियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया है।
वाइस एडमिरल ए.बी. सिंह को 01 जुलाई, 1983 में नौसेना में कमीशन प्रदान किया गया था। श्री सिंह नेविगेशन और डायरेक्शन के विशेषज्ञ है। वे उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के पूर्व छात्र है। इन्होंने रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में स्टाफ कोर्स के दौरान मद्रास विश्वविद्यालय से अपनी पहली मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। जिसमें उन्हें स्कडर मेडल से भी सम्मानित किया गया था। इन्होंने क्रैनफील्ड यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड से वर्ष 2005 में ग्लोबल सिक्योरिटी में मास्टर डिग्री भी हासिल की है।
अति विशिष्ट सेवा पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित वाइस एडमिरल ए.बी. सिंह ने अपने नौसैनिक करियर के दौरान अनेक प्रमुख परिचालन, स्टाफ एवं प्रशिक्षण नियुक्तियां भी की हैं। वे ऑपरेशन पराक्रम के दौरान पश्चिमी बेड़े के फ्लीट नेविगेटिंग ऑफिसर के अलावा आईएनएस कमोर्ता (ऑपरेशन पवन के दौरान) और विध्वंसक आईएनएस रंजीत के नेविगेटिंग ऑफिसर भी रहे थे। उन्हें पश्चिमी नौसेना कमान में अनेक नियुक्तियां करने का भी व्यापक अनुभव है। उनकी सभी चार ऑपरेशनल कमांड मुंबई में स्थित जहाजों - भारतीय नौसेना के जहाज वीर (मिसाइल पोत), विंध्यगिरी (फ्रिगेट), त्रिशूल (गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट) और विराट (विमान वाहक) की हैं। वह पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और कोच्चि में नेविगेशन और डायरेक्शन स्कूल में प्रशिक्षक और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन में डायरेक्टिंग स्टाफ भी रह चुके हैं।
इन्हें वर्ष 2012 में रियर एडमिरल के पद पर पदोन्नत किया गया था। इन्होंने नौसेना मुख्यालय में असिस्टेंट चीफ ऑफ नेवल स्टाफ (नीति और योजना) की महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्ति में सेवा प्रदान की है। इसके बाद इन्होंने प्रतिष्ठित पूर्वी बेड़े की कमान संभाली। वर्ष 2015 में वाइस एडमिरल के रूप में पदोन्नत होने पर, इन्होंने डिप्टी कमांडर-इन-चीफ, स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड, पश्चिमी नौसेना कमान, मुंबई में चीफ ऑफ स्टाफ और बाद में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ, नई दिल्ली में डिप्टी चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (संचालन और प्रशिक्षण) के रूप में कार्य किया।
सोमवार, 29 नवंबर 2021
UP :क्या बोले यूपी - डीडी न्यूज़ की नई पेशकश
नईदिल्लीआगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सबकी निगाहें इस वक्त उत्तर प्रदेश पर टिकी हैं, क्यूंकि राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो देश के इस सूबे से दिल्ली की राजनीति प्रभावित होती है। इसलिए डीडी न्यूज़ ने तय किया कि चुनाव से पहले आपको राज्य के चुनावी माहौल के साथ हीं असली तस्वीर से अवगत कराए। उत्तर प्रदेश के मतदाताओं के मन-मिजाज की जानकारी उनकी हीं ज़ुबानी जानने के लिए डीडी न्यूज़ लेकर आया है खास कार्यक्रम 'क्या बोले यूपी'।
इस कार्यक्रम में डीडी न्यूज़ की टीम सीधे जनता से बात करती है। इस बातचीत के जरिए यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि जो सरकारी योजनाएं बनाई गई हैं, जिन्हें सफलतापूर्वक लागू करने के जो दावे किए जा रहे हैं, जमीनी स्तर पर उनकी क्या स्थिति है।
डीडी न्यूज़ की टीम ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की वाराणसी से, जो अब मिर्ज़ापुर, प्रयागराज, सुल्तानपुर, अयोध्या होते हुए लखनऊ पहुंच गई है और इसके बाद पूर्वांचल से बुंदेलखंड और रूहेलखंड तक जनता के बीच पहुंचेगी।
उत्तर प्रदेश के मन-मिजाज को भांपने वाला यह ख़ास कार्यक्रम हफ़्ते में तीन दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को शाम 7 बजे डीडी न्यूज़ पर और शाम 6:30 बजे डीडी उत्तर प्रदेश पर प्रसारित हो रहा है।
डिजिटल इंडिया की 75 सफलता की कहानियों पर ई-बुक, भारत की एआई यात्रा 75 वर्ष पर वीडियो जारी
रामजी पांडेय
नई दिल्ली:भारत सरकार के कौशल विकास, उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में 29 नवंबर, 2021 को एक सप्ताह तक चलने वाले आज़ादी का डिजिटल महोत्सव का उद्घाटन किया। मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में इलेक्टॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव श्री अजय साहनी और इलेक्टॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में अपर सचिव डॉ. राजेंद्र कुमार, नैस्कॉम की अध्यक्ष सुश्री देबजानी घोष और माईगोव एवं एनईजीडी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अभिषेक सिंह शामिल थे।
श्री राजीव चंद्रशेखर ने अपने संबोधन में कहा कि 2021 एक महत्वपूर्ण वर्ष है। डिजिटल इंडिया ने डिजिटल बुनियादी ढांचे तथा सेवाओं के लचीलेपन को साबित कर दिया है और भारत महामारी के बाद की दुनिया में अधिक आत्मविश्वास वाला और अधिक आशावादी राष्ट्र बनकर उभरा है। उन्होंने याद करते हुए कहा कि डिजिटल इंडिया ने लोगों के जीवन को बदलने, डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने और देश के लिए रणनीतिक लाभ पैदा करने में काफी योगदान किया है। भविष्य में प्रौद्योगिकी की बढ़ती तीव्रता और नागरिकों की आकांक्षाओं को स्वीकार करते हुए, उन्होंने छह मोर्चों, अर्थात् सभी के लिए कनेक्टिविटी, सरकारी सेवाओं और उत्पादों का स्मार्ट आर्किटेक्चर संचालित डिजिटलीकरण, भारत में ट्रिलियन-डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था, वैश्विक मानक कानून, नेतृत्व प्रौद्योगिकी विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में उन्नत प्रौद्योगिकी का नेतृत्व और 5जी एवं व्यापक-आधारित कौशल और प्रतिभा पूल पर आवश्यक कार्यों का सार प्रस्तुत किया। उन्होंने भी कहा कि इसका कार्यान्वयन सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का आह्वान करता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस तकनीक के माध्यम से केंद्र सरकार के 68 लाख और ईपीएफओ और राज्य सरकारों के करोड़ों पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे
नई दिल्ली केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज पेंशनभोगियों के लिए यूनिक फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का शुभारंभ किया और कहा कि इससे सेवानिवृत्त और बुजुर्ग नागरिकों के लिए ईज ऑफ लिविंग प्राप्त करने में आसानी होगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अपने जीवन का प्रमाणपत्र देने के लिए फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी एक ऐतिहासिक और दूरगामी सुधार है, क्योंकि यह न केवल 68 लाख केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों को बल्कि उन करोड़ों पेंशनभोगियों को भी सुविधा प्रदान करेगा जो इस विभाग के अधिकार क्षेत्र से बाहर आते हैं जैसे ईपीएफओ, राज्य सरकार के पेंशनभोगी आदि। उन्होंने पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के लिए इस प्रकार की तकनीक का निर्माण करने और इसे संभव बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) को भी धन्यवाद दिया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने हमेशा से ही सेवानिवृत्त और पेंशनभोगियों सहित समाज के सभी वर्गों के लिए 'ईज ऑफ लिविंग' की वकालत की है, जो अपने सभी प्रकार के अनुभवों और अपने द्वारा प्रदान की गई लंबे वर्षों की सेवा के साथ राष्ट्र की संपत्ति हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पेंशन विभाग द्वारा कोरोना महामारी के दौरान भी तत्कालिक पेंशन/पारिवारिक पेंशन जारी करने की दिशा में कई प्रकार का सुधार किया गया है।
मंत्री ने कहा कि पेंशन विभाग द्वारा इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, चाहे वह डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की शुरुआत हो या भारत सरकार के सभी मंत्रालयों में पेंशन मामलों को आगे बढ़ाने के लिए एक कुशल और सामान्य सॉफ्टवेयर “भविष्य" की शुरुआत हो। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक पीपीओ को जारी करने और डिजी लॉकर में इसे आगे बढ़ाने की कोशिश ईज ऑफ लिविंग और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि यह विभाग पेंशनभोगी जागरूकता के लिए ई-बुकलेट भी जारी कर रहा है और ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान भी चला रहा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर सूचनाप्रद फिल्में रिकॉर्ड संख्या में हिट दिखाते हुए बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हो चुकी है।
फाफामऊ कांड में 'आप' ने मांगा इंसाफ, राज्यपाल को भेजा ज्ञापन
रविवार, 28 नवंबर 2021
आईएफएफआई 52 में भारतीय पैनोरमा फिल्म 'अभियान' बंगाली सिनेमा के स्वर्णिम युग के दिग्गज सौमित्र चटर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित करती है
रामजी पांडेय
नई दिल्ली:52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई 52) में भारतीय पैनोरमा फीचर फिल्म अभियान, महान बंगाली अभिनेता और बंगाली सिनेमा के स्वर्ण युग के दिग्गजों में से एक सौमित्र चटर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित करती है।
फिल्म के अभिनेता पाओली डैम ने आज 52वें आईएफएफआई से इतर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "अभियान सौमित्र चटर्जी की सच्ची जीवन यात्रा पर आधारित है, जो अपने आप में एक संस्था थे।"
प्रसिद्ध बंगाली अभिनेत्री ने कहा कि उनके साथ बातचीत करना हमेशा ज्ञानवर्धक रहा। "वह एक ऐसे अभिनेता हैं, जिनकी विरासत, बंगाल के कलाकारों की वर्तमान पीढ़ी विरासत में पाने की कोशिश कर रही है। उनकी कार्यशैली आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। मुझे उनके साथ कुछ फिल्मों में काम करने का सौभाग्य मिला है।"
उन्होंने आगे कहा कि महत्वाकांक्षी अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं को उनकी अदम्य भावना, अद्वितीय रचनात्मक दिमाग और संवेदनशीलता का अनुकरण करना चाहिए।
लाभार्थियों को ईएसआईसी कोविड-19 राहत योजना, ई-श्रम कार्ड और राज्य आपदा राहत कोष से संबंधित स्वीकृति पत्र भी वितरित किए गए
नई दिल्ली:केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जूबिन इरानी ने आज उत्तर प्रदेश के रायबरेली में नवनिर्मित ईएसआई डिस्पेंसरी एवं शाखा कार्यालय का उद्घाटन किया। इससे रायबरेली क्षेत्र के 60,000 ईएसआई लाभार्थियों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा, करीब 15,000 श्रमिकों को ईएसआईसी शाखा कार्यालय से नकद लाभ भी मिलेगा। इस अवसर पर केन्द्रीय श्रम और रोजगार तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री श्री रामेश्वर तेली, रायबरेली नगर पालिका की अध्यक्ष श्रीमती पूर्णिमा श्रीवास्तव और उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य श्री दिनेश प्रताप सिंह भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्रीमती स्मृति जूबिन इरानी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि रायबरेली स्थित ईएसआई डिस्पेंसरी 1978 से किराए के भवन में संचालित हो रही थी, जिसके परिसर का निर्माण अब सीपीडब्ल्यूडी के माध्यम से करवाकर सरकार ने रायबरेली के लोगों को समर्पित किया है। श्रीमती इरानी ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित परिवारों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की दिशा में ईएसआईसी द्वारा किए गए एक उपाय -‘कोविड-19 राहत योजना’- के तहत लाभार्थियों को मासिक पेंशन से संबंधित स्वीकृति पत्र सौंपे।
मुख्यधारा या स्वतंत्र सिनेमा नहीं होगा, बल्कि सिर्फ सिनेमा होगा: निर्देशक गणेश हेगड़े
नई दिल्ली:“करूं या ना करूं।” अस्तित्व से जुड़ा यह वही सवाल है जिसने शेक्सपियर के कालातीत नाटक ‘हेमलेट’ में शीर्षक किरदार हेमलेट को परेशान किया था, यह सवाल 10 वर्षीय सिद्दा को एक अलग रूप में परेशान करता है। अपने गांव की प्राकृतिक सुंदरता और शांति को अलविदा कहने के लिए मजबूर होने के बाद, सिद्दा को उस शहर की शोरगुल से भरी एवं अलग-थलग करने वाली हलचल और गांव के शांत आलिंगन के बीच चुनाव करना पड़ता है, जहां उसके परिवार वाले गांव से जाकर बस गए हैं। सिद्दा के संघर्षपूर्ण प्रतिबिंब न केवल उसके सामने जीवन की कुछ कठोर वास्तविकताओं को पेश करते हैं बल्कि वे स्थिरता और शहरीकरण के महत्वपूर्ण सवाल भी उठाते हैं।
हां, नवोदित निर्देशक गणेश हेगड़े की कन्नड़ फिल्म ‘नीली हक्की’ ने सिद्दा के मन की उथल-पुथल साझा करने और हमारे साझा वर्तमान एवं भविष्य के इन महत्वपूर्ण सवालों से रचनात्मक रूप से परेशान होने के लिए भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के 52 वें संस्करण में भाग लेने वाले फिल्म प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया। फिल्म को आईएफएफआई में भारतीय पैनोरमा फीचर फिल्म खंड में प्रदर्शित किया गया है।
कल, 26 नवंबर, 2021 को फिल्म महोत्सव से इतर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, निर्देशक ने कहा, "मुझे 52वें आईएफएफआई में इस फिल्म को भारतीय दर्शकों के लिए पेश करते हुए बहुत खुशी हो रही है। फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर इस साल प्रतिष्ठित न्यूयॉर्क फिल्म महोत्सव में हुआ था। इसे आधिकारिक तौर पर मेलबर्न फिल्म फेस्टिवल के लिए भी चुना गया था। भारत के सुदूर दक्षिणी हिस्से की एक स्वतंत्र फिल्म को दर्शकों द्वारा सराहे जाने से हमें और बेहतर काम करने का विश्वास मिलता है।”
इंटरनेट को सभी के लिए खुला, सुरक्षित एवं विश्वसनीय और जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है: आईआईजीएफ में श्री राजीव चंद्रशेखर
नई दिल्ली:नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए विश्वास के एक विषय के रूप में इंटरनेट पर बहु-हितधारकवाद पर प्रकाश डालते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने आज कहा कि डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत इंटरनेट को सभी के लिए खुला, सुरक्षित एवं विश्वसनीय और जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है। वह पहले भारतीय इंटरनेट शासन प्रणाली फोरम (आईआईजीएफ) - इंटरनेट शासन प्रणाली पर तीनदिवसीय ऑनलाइन कार्यक्रम के अंतिम दिन एक उच्च-स्तरीय सत्र के दौरान बोल रहे थे। इस कार्यक्रम को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) और भारतीय राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज (एनआईएक्सआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। आईसीएएनएन बोर्ड के अध्यक्ष, मार्टेन बॉटरमैन, अजय साहनी (सचिव, एमईआईटीवाई, भारत सरकार), अनिल जैन (सीईओ, एनआईएक्सआई), बीके सिंघल, एनरिएट एस्टरह्युसेन (अध्यक्ष, एमएजी आईजीएफ) और नविका कुमार (ग्रुप एडिटर, टाइम्स नेटवर्क और एडिटर-इन-चीफ, टाइम्स नेटवर्क नवभारत) जैसे प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति और दिग्गज भी इस कार्यक्रम में उपस्थिति रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संदेश के साथ इंटरनेट शासन प्रणाली पर कार्य योजना को परिभाषित करने के लिए किए गए प्रयासों के लिए आईआईजीएफ को भी बधाई दी। कार्यक्रम के दौरान आईसीआरआईईआर/बीआईएफ द्वारा "ग्रामीण भारत के लिए एक समावेशी डिजिटल सोसाइटी का निर्माण"शीर्षक से एक रिपोर्ट भी जारी की गई।
सरलतम तरीके से कही गई ये एक सरल सी कहानी दर्शकों को छू जाती है: इफ्फी-52 के दौरान विनोदराज पी. एस.
ऑस्कर के लिए भारत के आधिकारिक नामांकन वाली फ़िल्म "कूड़ांगल" एक बच्चे और एक मां के दर्द और पीड़ा को चित्रित करती है, दोनों ही वैवाहिक जीवन के शोषण के शिकार हैं।
इस तमिल फिल्म के निर्देशक विनोदराज पी. एस. ने आज गोवा में 52वें इफ्फी महोत्सव के दौरान हुई मीडिया वार्ता के दौरान कहा, "ये एक सरल सी कहानी है, जिसे एक सरलतम तरीके से कहा गया है और इस कहानी को मेरे ही जीवन से उधार लिया गया है। ये फिल्म उन कष्टों पर आधारित है जो एक शराबी पति के कारण मेरी बहन और उसके छोटे बच्चे को झेलने पड़े।"
अपनी पहली फीचर फ़िल्म के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए निर्देशक विनोदराज ने कहा कि कूड़ांगल एक शराबी पिता और उसके बेटे के रिश्ते पर आधारित है और उस यात्रा को प्रस्तुत करती है जो अपने पिता के घर चली गई पत्नी को वापस लाने के लिए वो पति करता है।
विनोदराज से जब इस फ़िल्म में परिदृश्य के महत्व पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब में कहा, “मैंने अपने गांव में ही इस फ़िल्म की शूटिंग की क्योंकि ये कहानी और इसका परिदृश्य दोनों ही मेरे दिल के करीब थे। फ़िल्म में दर्शाया गया लैंडस्केप इसमें तीसरा किरदार बनता है क्योंकि इंसान जिस जलवायु और भूगोल में रहते हैं, उससे उनका व्यवहार भी प्रभावित होता है। जिस शुष्क परिदृश्य और तेज धूप में पूरी कहानी स्थित है, वो किरदारों के आचरण को ढालने वाले महत्वपूर्ण तत्व हैं।"
शनिवार, 27 नवंबर 2021
जीएफआर और सार्वजनिक खरीद क्षमता निर्माण कार्यक्रम लद्दाख के लिए पूरी तरह से नई प्रबंधन संरचना के निर्माण में एक लंबा सफर तय करेगा: डॉ. जितेंद्र सिंह
रामजी पांडे
नईदिल्ली:केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 5 अगस्त 2019 को लिए गए ऐतिहासिक निर्णय से लद्दाख में सभी प्राकर की नई संभावनाएं आएंगी क्योंकि प्रधानमंत्री इसके विकास के एजेंडे और प्रगति की निरंतर निगरानी कर रहे हैं।
लेह और कारगिल में लद्दाख के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रशिक्षण से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को भारत की मुख्यधारा में एकीकृत करने में कामयाबी मिलेगी जोकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है। नई दिल्ली स्थित भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए), ने 22-26 नवंबर 2021 के दौरान लेह और कारगिल में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए फिजिकल ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि लद्दाख के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए सामान्य वित्तीय नियमों यानी जीएफआर व सरकारी खरीद पर आधारित क्षमता निर्माण कार्यक्रम नए केंद्र शासित प्रदेश को पूरी तरह से नया प्रशासनिक ढांचा बनाने में मदद करेगा, क्योंकि लद्दाख के एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद, प्रशासन केंद्र सरकार नियमों के अनुसार बदल गया है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में पहले के जम्मू-कश्मीर राज्य के नियमों के बदले अब केंद्र सरकार के नियमों जैसे- सामान्य वित्तीय नियम, केंद्र सरकार की खरीद नियमावली, आचरण के नियम आदि का पालन हो रहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी लद्दाख के लिए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और उन्होंने आईआईपीए की ओर से सभी प्रकार की मदद का आश्वासन दिया।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 'स्वच्छ कार्यालय' अभियान सफलतापूर्वक आयोजित किया
रामजी पांडे
नई दिल्ली:स्वच्छ कार्यालय" स्वस्थ और स्वच्छ कार्य वातावरण को बढ़ावा देता है। स्वच्छता की भावना को अतिरिक्त प्रोत्साहन देते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने एक विशेष कार्यालय स्वच्छता अभियान चलाया जिसमें पुरानी फाइलों और अनुपयोगी वस्तुओं के संग्रह का नीलामी द्वारा निपटान शामिल था।
स्वच्छता अभियान के तहत केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री, श्री राजीव चंद्रशेखर ने एमईआईटीवाई कार्यालय परिसर का निरीक्षण किया। एमईआईटीवाई के सचिव श्री अजय साहनी ने भी बाद में दिन में एक निरीक्षण किया, जिसके बाद भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) द्वारा अंतिम निरीक्षण किया गया।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआर एंड पीजी) द्वारा "लंबित मामलों के निपटान के लिए स्वच्छता आकलन विशेष अभियान"शीर्षक वाली मूल्यांकन रिपोर्ट में, एमईआईटीवाई द्वारा चार पहलों को "सर्वोत्तम अभ्यास - उल्लेखनीय पहल"सूची में शामिल किया गया था। इनमें शामिल है
इस अभियान के पीछे के आदर्शों तथा सिद्धांतों के अनुरूप और स्वच्छ भारत मिशन के बड़े लक्ष्यों के साथ, एमईआईटीवाई के सभी कर्मचारियों ने कार्यालय में स्वच्छता और साफ-सफाई के आदर्शों का पालन करने और बेहतर कार्य संस्कृति के लिए स्वच्छ कार्यालय तथा स्वच्छ कार्य वातावरण बनाए रखने का संकल्प लिया। इस "संकल्प"का संचालन श्री अजय साहनी, सचिव, एमईआईटीवाई द्वारा किया गया था।
जलवायु न्याय के माध्यम से ही जलवायु परिवर्तन से लड़ा जा सकता है- उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज दो दिवसीय एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन (एएसईएम) के रिट्रीट सत्र को संबोधित किया, जो 25 नवंबर को वर्चुअल प्रारूप में शुरू हुआ, जिसका विषय "साझा विकास के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना" था। उपराष्ट्रपति ने कल शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में भी अपनी बात रखी थी।
रिट्रीट सत्र में, श्री नायडु ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने वर्तमान वैश्विक प्रणाली, विशेष रूप से स्वास्थ्य प्रणाली और आपूर्ति श्रृंखला में कई कमियों को सामने लाया है और इन अंतरालों को दूर करने के लिए एक बहुपक्षीय और सहयोगात्मक दृष्टिकोण का आह्वान किया है। कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया की आबादी के छठे हिस्से में संक्रमण के फैलाव को नियंत्रित करके, भारत ने दुनिया को सुरक्षित बनाने में योगदान दिया है। एक अरब से अधिक टीकाकरण के मील के पत्थर का उल्लेख करते हुए, श्री नायडु ने कहा कि भारत जरूरतमंद देशों को टीकों के वैश्विक निर्यात को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया में है।
भारत और जर्मनी के बीच संयुक्त अनुसंधान और विकास परियोजनाओं में महिला शोधकर्ताओं कीलेटरल एंट्रीकेलिए अपनी तरह का पहला कार्यक्रम शुरू किया गया
रामजी पांडेय
नई दिल्ली25 नवंबर, 2021 को लेटरल एंट्री के जरिए अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरह का पहला कार्यक्रम शुरू किया गया। इस कार्यक्रम को विज्ञान व अभियांत्रिकी अनुसंधान में महिलाओं की भागीदारी (डब्ल्यूआईएसईआर- वाइजर) नाम दिया गया है। इसे भारतीय-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र (आईजीएसटीसी) नेसंयुक्त अनुसंधान व विकास परियोजनाओं में महिला शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रभाग के भारतीय सह-अध्यक्ष और प्रमुख श्री एसके वार्ष्णेय ने इस बात को रेखांकित किया कि आईजीएसटीसी के कार्यक्रम के जरिए डब्ल्यूआईएसईआर लैंगिक समानता और विज्ञान व प्रौद्योगिकी में महिलाओं की भागीदारी को सक्षम बनाएगा।
वहीं, आईजीएसटीसी/बीएमबीएफ के सदस्य सचिवडॉ. उल्रिक वोल्टर्स ने जर्मन सह-अध्यक्ष और जर्मन शिक्षा व अनुसंधान मंत्रालय की ओर से बताया कि यह कार्यक्रम केंद्र में चल रहे फ्लैगशिप 2+2 कार्यक्रम के अतिरिक्त होगा।
आईजीएसटीसी का यह कार्यक्रम भारत सरकार केविज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और जर्मनी सरकार के संघीय शिक्षा व अनुसंधान मंत्रालय (बीएमबीएफ) की एक संयुक्त पहल है। यह कार्यक्रम अकादमिक या अनुसंधान संस्थानों/उद्योग में नियमित/दीर्घकालिक शोध पदों पर कार्यरत महिला वैज्ञानिकों की सहायता करेगी।इस कार्यक्रम में लेटरल एंट्री के जरिए शामिल होना संभव होगा। इसके लिए न तो ब्रेक-इन-करियर (करियर के दौरान विराम) की जरूरत है और न ही कोई आयु सीमाऔर यह सहज भागीदारी को भी सक्षम बनाएगा।
ट्राइब्स इंडिया के आदि महोत्सव ने दिल्लीवासियों का दिल जीता
रामजी पांडेय
नईदिल्ली:भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और आदि महोत्सव ने दिल्लीवासियों के अनेक दिल जीते हैं, यह उस भीड़ से स्पष्ट था जो 16 नवंबर 2021 से राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव में उमड़ रही है। प्रतिदिन आगंतुकों की संख्या 10,000 से अधिक और 20,000 तक पहुंचने का रिकॉर्ड दर्ज किया गया है। मौसम में थोड़ी ठंडक आने के साथ ही,दिल्लीवासी बड़ी संख्या में इस ओपन-एयर फेस्टिवल में पहुंच रहे हैं और यहां प्रदर्शित किये गए अद्भुत उत्पादों को देख रहे हैं तथा आदिवासी खाद्य उत्पादों का स्वाद चख रहे हैं।
रविवार 21 नवंबर 2021 को आदि महोत्सव में 60 लाख रुपये से अधिक की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की गई, जो आदि महोत्सव के किसी भी संस्करण में हुई सबसे अधिक बिक्री है।
देश भर के 200 से अधिक स्टालों और लगभग 1000 कारीगरों तथा कलाकारों ने अपनी अनूठे अनुभवों के साथ इसमें भाग लिया है और यह जनजातीय महोत्सव आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने का एक तरीका है। देश की पारंपरिक कला और हस्तशिल्प तथा सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हुए, यह महोत्सव आदिवासी कारीगरों को बड़े बाजारों से जोड़ता है और भारतीय जनजातियों की विविधता एवं समृद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है।
बलूचिस्तान में महिलाओं के अधिकारों और आज़ादी पर केंद्रित फ़िल्म द सन ऑफ दैट मून का आईएफएफआई-52 में प्रीमियर
रामजी पांडे
नई दिल्ली:एक विधवा महिला किसी पीड़ा की वजह से मौन सी हो जाती है और आगे न बोलने का फैसला लेती है। फिर जब उसके जीवन में बचपन के दोस्त का प्रवेश होता है तो उससे उसके घायल दिल में प्यार की लौ फिर जल उठती है। ईरानी निर्देशक सेतारेह एस्कंदरी की बलूची फिल्म द सन ऑफ दैट मून, सिने प्रेमियों के लिए एक डूब जाने वाला अनुभव है जिसमें बीबन के किरदार की कोलाहल भरी भीतरी दुनिया और वो रूढ़िवादी समाज नज़र आता है जिस समाज के लिए अपने बचपन के प्यार की चाह वर्जित है।
बलूची भाषा में 'खुर्शीद-ए आन माह' के नाम से मशहूर इस फिल्म का 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव (इफ्फी) में वर्ल्ड प्रीमियर हुआ है। सिस्तान और बलूचिस्तान के दक्षिण-पूर्वी ईरानी प्रांतों पर आधारित इस फ़िल्म को इफ्फी महोत्सव के विश्व पैनोरमा खंड में सिनेमा प्रेमियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
बीबन के किरदार के जरिए फ़िल्म की निर्देशक बाहरी दुनिया के लोगों को ईरान की महिलाओं के आम जीवन और यहां के लोगों की कम-ज्ञात संस्कृति को दिखाना चाहती हैं। कल 25 नवंबर, 2021 को इस महोत्सव में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए फ़िल्म की निर्देशक ने अपनी वो प्रेरणा बताई जिसने उन्हें फ़िल्म बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “मौजूदा सामाजिक-सांस्कृतिक लोकाचार और परंपरा के डर से बीबन का प्यार मौन में ही परवान चढ़ता और गिरता है।
शुक्रवार, 26 नवंबर 2021
2022 में अन्नदाता की बदौलत बनेगी फिर सरकार - पूरनलाल लोधी
AAP आप आदमी पार्टी गौतमबुद्ध नगर ने धूम-धाम से मनाया पार्टी का नौंवा स्थापना दिवस
भारत सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा स्कीम के समुचित कार्यान्वयन के लिए मजदूरी तथा सामग्री भुगतान के लिए फंड जारी करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई
नई दिल्ली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (महात्मा गांधी नरेगा) एक ग्रामीण क्षेत्र में एक परिवार द्वारा की गई मांग के विरुद्ध कम से कम 100 दिनों के मजदूरी रोजगार की गारंटी प्रदान करता है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम एक मांग प्रेरित स्कीम है।
अभी तक चालू वित्त वर्ष के दौरान लाभार्थियों द्वारा की गई मांग के अनुसार 240 करोड़ से अधिक व्यक्ति-दिवसों का सृजन किया जा चुका है।
मजदूरी और सामग्री के लिए फंड जारी करना एक सतत प्रक्रिया है। बजट आकलन के अनुसार पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष के दौरान फंड आवंटन में 18 प्रतिशत से अधिक की बढोतरी हुई है। अभी तक चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्कीम के कार्यान्वयन के लिए 68,568 करोड़ रुपये से अधिक के फंड जारी किए जा चुके हैं।
जब भी, अतिरिक्त फंड की आवश्यकता होती है, वित्त मंत्रालय से फंड जारी किए जाने का अनुरोध किया जाता है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान, वित्त मंत्रालय ने बजट अनुमान के अतिरिक्त, इस योजना के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड आवंटित किया। हाल ही में, वित्त मंत्रालय ने एक अंतरिम उपाय के रूप में महात्मा गांधी नरेगा के लिए 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड आवंटित किया। इसके अतिरिक्त, संशोधित अनुमान चरण के दौरान मांग के आकलन पर आवंटन किया जा सकता है।
भारत सरकार केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के लिए लागू अधिनियम तथा दिशानिर्दशों के प्रावधानों के अनुरूप, स्कीम के समुचित कार्यान्वयन के लिए मजदूरी तथा सामग्री भुगतान के लिए फंड जारी करने के लिए प्रतिबद्ध है।
PM ने उत्तर प्रदेश के जेवर में नोएडा अंतर्राष्ट्रीय ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे की आधारशिला रखी
गौतमबुद्ध नगर:प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के जेवर में नोएडा अंतर्राष्ट्रीय ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे की आधारशिला रखी।
नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में यमुना एक्सप्रेसवे अंतर्राष्ट्रीय विकास प्राधिकरण (येइडा) के अधिसूचित क्षेत्र में जेवर में 1,334 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया जाएगा। हवाई अड्डा रणनीतिक रूप से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगभग 72 किमी, नोएडा से लगभग 52 किलोमीटर, आगरा से लगभग 130 किलोमीटर और दादरी स्थित मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स हब से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा।
यह परियोजना नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) द्वारा कार्यान्वित की जाएगी, जो एक संयुक्त उद्यम कंपनी है। कंपनी में उत्तर प्रदेश सरकार की 37.5 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। अन्य हिस्सेदारों में नोएडा - 37.5 प्रतिशत, ग्रेटर नोएडा - 12.5 प्रतिशत और येइडा - 12.5 प्रतिशत शामिल हैं।
परियोजना को चार चरणों में पूरा किया जाएगा। रियायत समझौते के अनुसार, प्रति वर्ष 1.2 करोड़ यात्रियों के लिए पहला चरण पूरा किया जाएगा और निर्धारित तिथि से 29.9.2024 तक 1,095 दिनों के भीतर चालू करना होगा।
हवाई अड्डा रणनीतिक रूप से सभी दिशाओं में उत्कृष्ट पहुंच वाली सड़कों के साथ स्थित है। यहां ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ने वाला 100 मीटर चौड़ा यमुना एक्सप्रेसवे है। 100 मीटर चौड़ा वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, फॉर्मूला-1 ट्रैक पर यमुना एक्सप्रेसवे से होकर गुजरता है और पलवल, मानेसर, गाजियाबाद, बागपत एवं मेरठ को जोड़ता है।
जेवर हवाई अड्डे के लिए सभी मंजूरी और एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) प्राप्त कर ली गई है। भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा कर लिया गया है। परियोजना के लिए रियायत समझौते पर 7 अक्टूबर, 2020 को हस्ताक्षर किए गए थे और 10 अगस्त, 2021 को वित्तीय समझौते से जुड़ी शर्तें पूरी कर ली गयी थीं। हवाई अड्डे के विकास के लिए मास्टर प्लान को मंजूरी दे दी गई है और पुनर्वास एवं पुन: स्थापन का काम पूरा हो गया है।
इस परियोजना के क्रियान्वयन से क्षेत्र में औद्योगिक अवसंरचना का सर्वांगीण विकास होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा विनिर्माण एवं निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। हवाई अड्डा, पर्यटन में तेजी से वृद्धि के साथ-साथ हवाई यातायात को भी सुगम बनाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार की अधीनस्थ इकाई येइडा परियोजना के विकास के लिए नोडल विभाग है।
गुरुवार, 25 नवंबर 2021
एक्सपो 2020 में इंडिया पवेलियन में वस्त्र सप्ताह का शुक्रवार से शुभारंभ होगा
रामजी पांडेय
नई दिल्ली भारत 26 नवंबर, 2021, शुक्रवार से दुबई में प्रारंभ होने वाले एक्सो 2020 में इंडिया पवेलियन में वस्त्र सप्ताह के दौरान वैश्विक वस्त्र उद्योग को अपना पसंदीदा सोर्सिग साझेदार बनने पर बल देगा। कपड़ा और रेल राज्य मंत्री श्रीमती दर्शन वी जरदोश वर्चुअल रूप से 'वस्त्र सप्ताह' का उद्घाटन करेंगी और वैश्विक निवेशकों को भारतीय वस्त्र मूल्य श्रृंखला में निवेश करने और उन्हें एक पसंदीदा सोर्सिंग साझेदार बनने के लिए आमंत्रित करेंगी। आगामी वस्त्र सप्ताह (26 नवंबर-2 दिसंबर) के संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए, श्रीमती जरदोश ने कहा, "भारतीय कपड़ा विश्व प्रसिद्ध है क्योंकि यह न केवल देश के शानदार अतीत का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि आधुनिक समय की मांगों से मेल भी खाता है। भारत वस्त्रों और कपड़ों का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के लिए गुणवत्ता और उत्पादन के पैमाने दोनों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ वैश्विक निवेशकों और खरीदारों के लिए अपार अवसरों का प्रतिनिधित्व भी करता है।"
इंडिया पवेलियन में 'टेक्सटाइल वीक' में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के साथ-साथ टेक्सटाइल के लिए सोर्सिंग और निवेश गंतव्य के रूप में भारत पर गोलमेज चर्चा सहित कई गतिविधियां शामिल होंगी।
दिलचस्प बात यह है कि भारत को कपड़ों, टेक्सटाइल और इससे संबंधित माल के लिए सबसे अच्छे सोर्सिंग गंतव्य में से एक माना जाता है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कपड़े की हिस्सेदारी लगभग 2.3 प्रतिशत है और यह लगभग 45 मिलियन श्रमिकों को रोजगार देने वाला सबसे बड़ा नियोक्ता है। भारत की एफडीआई नीति को उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे उदार के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो संपूर्ण कपड़ा मूल्य श्रृंखला में स्वत: मार्ग के तहत 100 प्रतिशत निवेश की अनुमति देती है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, कपड़ा, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कपड़ा उद्योग से 'गति, कौशल और पैमाने’ पर ध्यान केंद्रित करने और नवीन साझेदारी में शामिल होने' का आग्रह किया है।
सरकार ने हाल ही में घरेलू तकनीकी कपड़ा फर्मों और मानव निर्मित फाइबर खंड में कपड़े और परिधान के निर्माताओं के लिए 10,683 रूपए की एक पीएलआई योजना को भी मंजूरी दी है।
वस्त्र मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री विजय कुमार सिंह के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल 'टेक्सटाइल वीक' के दौरान निवेशक संपर्क कार्यक्रमों के माध्यम से संभावित व्यवसायिक संबंधों को बढ़ाने और इनका पता लगाने के लिए विभिन्न उद्योग मंडलों के साथ-साथ वैश्विक व्यापार संघों से भी भेंट करेगा।
इन बैठकों में वस्त्र मंत्रालय के व्यापार सलाहकार श्री जय कर्ण सिंह, परिधान निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष डॉ. ए शक्तिवेल, हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष श्री चंद्रशेखरन थुवरपालयम विश्वनाथन, सिंथेटिक और रेयान कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष श्री धीरज राय चंद शाह, हतकरघा विकास और निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष श्री एम.ए. रामासामी, कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष श्री उमर हमीद, ऊन और ऊनी निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष श्री संजीव धीर, भारतीय रेशम निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष श्री नरेश कुमार साध, कपास कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद और सीआईटीआई के पूर्व अध्यक्ष और एनएसएल टेक्सटाइल्स लिमिटेड के उपाध्यक्ष श्री प्रेम मलिक, सीआईटीआई के अध्यक्ष श्री टी. राज कुमार, जूट उत्पाद विकास और निर्यात संवर्धन परिषद के उपाध्यक्ष श्री सिद्धार्थ लोहारीवाल, हस्तशिल्प और अन्य उद्योग के दिग्गजों के लिए निर्यात संवर्धन परिषद के कार्यकारी निदेशक श्री राकेश कुमार वर्मा के अलावा वस्त्र उद्योग के अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य भी शामिल होंगे।
अल्फा बीटा गामा पारिवारिक संबंधों के महत्व को प्रकट करता है
आज गोवा में 52वें आईएफएफआई से इतर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीकुमार ने कहा कि यह फिल्म एक ऐसी शादी के बारे में है जो टूट रही है और एक ऐसी शादी जो करीब आ रही है। अल्फा, बीटा और गामा नाम के लगभग तीन लोग हैं, जो कोविड-19 लॉकडाउन के कारण एक फ्लैट में फंस गए हैं और उनके बीच क्या चल रहा है। आखिर में उनमें से तीन ने महसूस किया कि उन्हें आगे बढ़ना चाहिए और बाहर हल खोजने का प्रयास करना चाहिए लेकिन असली जवाब भीतर था। निर्देशक ने कहा, "यह एक बहुत ही व्यक्तिगत कहानी है। फिल्म में मुझमें बहुत कुछ है। चूंकि यह मेरी पहली फिल्म है, मुझे लगता है कि यह मेरे अपने अनुभवों का विस्तार है।
उन्होंने कहा कि, फिल्म उनके अपने जीवन से प्रभावित है। "मैंने शादी के 7 साल बाद दूर जाने का फैसला किया, लेकिन फिर मैंने अपने पिता की सलाह के अनुसार फैसला बदल दिया। उन्होंने आगे कहा, मैंने कई चीजों को अपनाया और स्वीकार किया और बाद के चरण में स्थिति बदल गई और सब कुछ सही हो गया”।
फिल्म में पटकथा के महत्व पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "अद्वितीय और आकर्षक कहानियां सितारों का निर्माण करती हैं। हमारे फिल्म उद्योग को केवल बड़े सितारों के लिए लालायित रहने के बजाय कहानियों के महत्व को समझना चाहिए इस मौके पर मुख्य अभिनेता अमित कुमार वशिष्ठ, प्रोड्यूसर मेनका शर्मा, मोना शंकर और जितिन राज भी मौजूद थे।
लघु फिल्में फिल्म निर्देशकों की पेशेवर यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं
नई दिल्ली:गोबेलिंस स्कूल ऑफ इमेज,पेरिस में कला इतिहास की प्रोफेसर सेसिल ब्लोंडेल ने कहा, "गोबेलिंस पिछले 45 वर्षों से अपने छात्रों से पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में लघु फिल्म बनाने के लिए कहता है और ये फिल्में हमारे लिए एक संपत्ति की तरह हैं।" प्रोफेसर ब्लोंडेल आज गोवा में आईएफएफआई 52 के दौरान लघु फिल्म क्यों बनाएं विषय पर वर्चुअल तरीके से एक मास्टरक्लास का आयोजन कर रही थी।
लघु फिल्मों के महत्व को बताते हुए प्रोफसर सेसिल ब्लोंडेल ने बताया कि “अमेरिका में 59 मिनट से कम और यूके में 50 मिनट से कम समय की फिल्मों को लघु फिल्म माना जाता है। बढ़ती मांग के कारण पिछले कुछ वर्षों में लघु फिल्मों के निर्माण में बढ़ोतरी हुई है।”
प्रोफेसर ब्लोंडेल ने कहा, "सच्चाई यह है कि यात्रा करते समय या फिर अपनी सुविधा से लोग अपने फोन पर भी लघु फिल्में देख सकते हैं, यह सुविधा भी लघु फिल्मों के आकर्षण को बढ़ाता है।"
उन्होंने इस बात पर जोर देने के लिए कि फिल्म उद्योग के दिग्गजों द्वारा लघु फिल्म खंड को कितनी गंभीरता से लिया जाता है, बताया कि "पिक्सर ने लघु फिल्म प्रभाग खोला है और इसे एक महत्वपूर्ण व्यवसाय प्रभाग मानता है।"
लघु फिल्मों के आकर्षक होने की वजह पर विचार करते हुए उन्होंने कहा, "लघु फिल्में बनाने में कम लागत आती है जिसका अर्थ है कम जोखिम। इसके अलावा वे आपको स्वायत्तता देती हैं क्योंकि लघु फिल्में अकेले भी बनाई जा सकती हैं।"
प्रोफेसर ब्लोंडेल ने चुटकी लेते हुए कहा कि इसके अलावा लघु वीडियो के मामले में आप आसानी से स्टूडियो को अपना काम दिखा सकते हैं और इसमें किसी तरह की बाधा से बच सकते हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा खिलौनों के मानकीकरण और खिलौना सेक्टर के नियमन के महत्त्व पर भी चर्चा की गई
रामजी पांडेय
नई दिल्ली:आजादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील भारत तथा भारतवासियों के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियों के 75 वर्ष होने की याद में उत्सव मनाने के लिये भारत सरकार की एक पहल है।
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) भी आजादी के अमृत महोत्सव @75 में हिस्सा ले रहा है तथा इस क्रम में वह विभिन्न विषयों पर संगोष्ठियों/वेबिनारों का आयोजन कर रहा है।
संगोष्ठियों/वेबिनारों की श्रृंखला के सिलसिले में भारतीय मानक ब्यूरो ने 23 नवंबर, 2021 को ‘मेक इन इंडिया – प्लेइंग सेफ विद टॉयज’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया।
वेबिनार में खिलौना निर्माताओं; फिक्की, ऑल इंडिया टॉय मैनूफैक्चरर्स, टॉयज एसोसियेशन ऑफ इंडिया आदि जैसे उद्योग संघों; राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, विटी इंटरनेशनल स्कूल, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद - भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान जैसी संस्थाओं; टीयूवी, इंडियन रबर मैनूफैक्चरिंग रिसर्च एसोसियेशन, एसजीएस जैसी परीक्षण प्रयोगशालाओं तथा अन्य ने हिस्सा लिया।
वक्ताओं ने विभिन्न आयुवर्ग के बच्चों में खेल-खेल में खिलौनों से सीखने की क्षमता के विकास के बारे में उनकी डिजाइन की भूमिका, खिलौनों के सुरक्षा पक्षों तथा खिलौनों के परीक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया है
रामजी पांडेय
नई दिल्ली:केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप एस. पुरी ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री श्री कैलाश गहलोत के साथ आज वर्चुअल तरीके से दिल्ली मेट्रो की पिंक लाइन पर चालक रहित ट्रेन संचालन (यूटीओ) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर आवास और शहरी मामले के मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा और दिल्ली मेट्रो रेल निगम के एमडी डॉ. मंगू सिंह भी मौजूद थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री पुरी ने कहा कि हम सब आज एक और ऐतिहासिक अवसर पर मौजूद हैं जहां हम सब दिल्ली मेट्रो को दुनिया के सबसे बड़े चालक रहित मेट्रो नेटवर्क में से एक बनता देखेंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिसंबर 2020 में दिल्ली मेट्रो के पहले चालक रहित ट्रेन संचालन का शुभारंभ किया। तब उन्होंने मैजेंटा लाइन के चालक रहित संचालन को हरी झंडी दिखाई थी, और अब अगले 11 महीनों में, 59 किमी. के विस्तार को हम चालक रहित संचालन से जोड़ रहे हैं। दिल्ली मेट्रो और एनसीआर के लोगों को बधाई देते हुए केंद्रीय मंत्री श्री पुरी ने कहा कि दिल्ली मेट्रो ने हमें सस्ती, समावेशी और टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन की दिशा में देश की यात्रा में एक और गर्व का पल दिया है। यह हमारे देश के पास मौजूद तकनीकी कौशल के प्रतीक के रूप में उभरा है। यह इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक जुड़ाव का मजबूत आधार है, और यह दिल्लीवासियों और अन्य यात्रियों के रोजमर्रा के शहरी जीवन में एक अमूल्य भूमिका निभाता है।
PMनरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए तैयार जेवर आज एशिया के सबसे बड़े नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा शिलान्यास
बुधवार, 24 नवंबर 2021
25 नवंबर की हड़ताल को सफल बनाने के लिए सीटू कार्यकर्ताओं ने किया धुआंधार प्रचार सड़कों पर दिखाई देगा मजदूरों का गुस्सा- गंगेश्वर दत्त शर्मा
कोविड-19 पर पीआईबी का बुलेटिन जारी
नई दिल्ली: देश मे पिछले 24 घंटों में 71,92,154 वैक्सीन की खुराक देने के साथ ही भारत का कोविड-19 टीकाकरण कवरेज आज सुबह 7 बजे तक अनंतिम रिपोर्ट के अनुसार 117.63 करोड़ (1,17,63,73,499) के अहम पड़ाव से अधिक हो गया। इस उपलब्धि को 1,21,69,135 टीकाकरण सत्रों के जरिये प्राप्त किया गया है।
आज सुबह सात बजे तक प्राप्त अनंतिम रिपोर्ट के अनुसार कुल टीकाकरण का विवरण इस प्रकार हैः
स्वास्थ्यकर्मी (एचसीडब्ल्यू) | पहली खुराक | 1,03,82,453 |
दूसरी खुराक | 94,16,703 | |
अग्रिम मोर्चे के कार्यकर्ता (एफएलडब्ल्यू) | पहली खुराक | 1,83,76,475 |
दूसरी खुराक | 1,63,40,031 | |
18-44 वर्ष का आयु वर्ग | पहली खुराक | 44,47,84,652 |
दूसरी खुराक | 19,51,54,643 | |
45-59 वर्ष का आयु वर्ग | पहली खुराक | 18,13,05,008 |
दूसरी खुराक | 11,22,23,224 | |
60 वर्ष से अधिक | पहली खुराक | 11,35,48,772 |
दूसरी खुराक | 7,48,41,538 | |
कुल |
| 1,17,63,73,499 |
पिछले 24 घंटों में 12,202 रोगियों के ठीक होने के साथ ही स्वस्थ होने वाले मरीजों (महामारी की शुरुआत के बाद से) की कुल संख्या बढ़कर 3,39,46,749 हो गई है।
परिणामस्वरूप, भारत में रोगियों के स्वस्थ होने की दर 98.32 प्रतिशत है।केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा निरंतर और सहयोगात्मक रूप से किए जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप पिछले 149 दिनों से लगातार 50,000 से कम दैनिक नए कोविड मामले दर्ज किए जा रहे हैं पिछले 24 घंटों में 7,579 नये मामले सामने आए हैं।वर्तमान में सक्रिय मामलों की संख्या 1,13,584 है। सक्रिय मामले इस समय देश के कुल पॉजिटिव मामलों का 0.33 प्रतिशत हैं जो मार्च 2020 के बाद से सबसे कम है।
देश भर में जांच क्षमता का विस्तार लगातार जारी है। पिछले 24 घंटों में कुल 9,64,980 जांच की गई हैं। भारत ने अब तक कुल 63.34 करोड़ (63,34,89,239) जांच की गई हैं।
देश भर में जांच क्षमता को बढ़ाया गया है, साप्ताहिक पॉजिटिविटी दर इस समय 0.93 प्रतिशत है जोकि पिछले 60 दिनों से लगातार दो प्रतिशत से कम पर बनी हुई है। दैनिक पॉजिटिविटी दर 0.79 प्रतिशत दर्ज की गई है। दैनिक पॉजिटिविटी दर पिछले 50 दिनों से दो प्रतिशत से कम और 85 दिनों से लगातार तीन प्रतिशत से नीचे बनी हुई है।
अधिक जानकारी के लिए पढ़ें- https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1774162
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोविड-19 टीकों की उपलब्धता पर अपडेट
राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को अब तक 131 करोड़ से अधिक टीके की खुराकें उपलब्ध कराई गई हैं
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पास अभी भी 21.92 करोड़ से अधिक बची हुई और अप्रयुक्त वैक्सीन की खुराकें उपलब्ध हैं
केंद्र सरकार पूरे देश में कोविड-19 टीकाकरण के दायरे का विस्तार करने और लोगों को टीके लगाने की गति को तेज करने के लिये प्रतिबद्ध है। देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। कोविड-19 का टीका सभी को उपलब्ध कराने के लिए नया चरण 21 जून 2021 से शुरू किया गया था। टीकाकरण अभियान की रफ्तार को अधिक से अधिक टीके की उपलब्धता के जरिये बढ़ाया गया है। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को टीके की उपलब्धता के बारे में पूर्व सूचना प्रदान की जाती है, ताकि वे बेहतर योजना के साथ टीकाकरण की व्यवस्था कर सकें और टीके की आपूर्ति श्रृंखला को अधिक बेहतर बनाया जा सके।
केंद्र सरकार देशव्यापी कोविड रोधी टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क कोविड टीके प्रदान करके उन्हें पूर्ण सहयोग दे रही है। टीके की सर्व-उपलब्धता के नये चरण में, केंद्र सरकार टीका निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदकर राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क प्रदान करेगी।
टीके की खुराकें | (23 नवंबर 2021 तक) |
अब तक की गई आपूर्ति | 1,31,45,03,460 |
टीके की शेष व अप्रयुक्त खुराकें | 21,92,56,121 |
केंद्र सरकार द्वारा अब तक निःशुल्क और सीधे राज्य सरकार खरीद माध्यमों से टीके की 131 करोड़ से अधिक (1,31,45,03,460) खुराक राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराई गई हैं।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास अभी भी कोविड-19 टीके की 21.92 करोड़ से अधिक (21,92,56,121) शेष एवं बिना इस्तेमाल हुई खुराक उपलब्ध है, जिन्हें लगाया जाना है।
अधिक जानकारी के लिए पढ़ें- https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1774150

फिल्मों को किसी के असल ‘स्व’ की ईमानदार और सहज अभिव्यक्ति होना चाहिए: निर्देशक जानो जर्गन्स tni
नई दिल्ली:रेन एस्टोनियाई निर्देशक जानो जर्गन्स की पहली फीचर फिल्म है। यह फिल्म परिवार के भीतर पिता और पुत्र के बीच के शक्ति संबंधों के आयामों की तड़ताल करती है। पीढि़यों का टकराव-बुजुर्ग बनाम नौजवान ही मोटे तौर पर वह थीम है, जिसके गिर्द पूरी फिल्म घूमती है। यह बात जर्गन्स ने 52वें इफ्फी के दौरान आज मीडिया को संबोधित करते हुए कही।
जर्गन्स ने कहा कि नॉर्डिक स्वभाव से ही अपनी भावनाओं को अपने मन के भीतर ही रखने वाले होते हैं। उनके लिए इन्हें व्यक्त करना आसान नहीं होता । उन्होंने कहा, "कुछ ऐसी भावनाएं हैं, जिन्हें मैं अपने असली जीवन में व्यक्त नहीं कर पाता, उन्हें फिल्म के माध्यम से व्यक्त करना चाहता हूं।"
फिल्म के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह आत्म-अन्वेषण और स्वयं को तलाशने की यात्रा थी। जर्गन्स ने कहा, “मेरे भीतर कई अनुत्तरित प्रश्न थे जिन्हें मैं वास्तविक जीवन में कभी व्यक्त नहीं कर सकता था। मैंने वे प्रश्न अपने भाइयों से पूछने के लिए ही यह फिल्म बनाई।"
लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल के लिए चुनी गई उनकी लघु फिल्म डिस्टेंस भी सामाजिक स्तरों के भीतर मौजूद शक्ति-संरचनाओं और उन्होंने तोड़ देने की इच्छा रखने वाले युवक के थीम पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि फिल्मों को किसी व्यक्ति के असल ‘स्व’ की ईमानदार और सहज अभिव्यक्ति होना चाहिए।
अपनी फिल्म के निर्माण के बारे में उन्होंने कहा, "यह एक लंबी प्रक्रिया थी और इसके आइडिया से लेकर इस फिल्म को पूरा करने में हमें 7 साल लग गए। यह सफल रही और हम यहां आकर खुश हैं।"
फिल्म के लेखक एंटी नौलाएनेन ने कहा कि भाषा, आदतों और तकनीक के उपयोग से लेकर कई मोर्चों पर एक परिवार के भीतर पीढ़ीगत अंतराल है।
इफ्फी में अपने अनुभव के बारे में उन्होंने कहा, "हमने इफ्फी तक पहुंचने के लिए लगभग 7000 किलोमीटर की यात्रा की है, लेकिन हर जगह के लोग एक जैसे ही होते हैं, इसलिए भावनाएं और समस्याएं भी एक जैसी ही होती हैं। यह एक अद्भुत समारोह है जो दुनिया भर के लोगों को सिनेमा के माध्यम से जोड़ता है।"
इस अवसर पर फिल्म की सहायक निर्देशक सुश्री हेनेल जर्गन्स भी उपस्थित थीं।
रेन का प्रदर्शन भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के 52वें संस्करण में किसी निर्देशक की पहली सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए प्रतिस्पर्धा श्रेणी में की जा रही है।
हम इस खूबसूरत तटीय शहर विजाग को न केवल विश्व पर्यटन स्थल के रूप में बल्कि व्यापार और वाणिज्य के केंद्र के रूप में भी विकसित करेंगे: पर्यटन मंत्री
रामजी पांडेय
मानवीय भावनाओं और रिश्तों की अंतरंग कहानी है 21st टिफिन
रामजी पांडे
नई दिल्ली:21st टिफिन – 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) की एक ऐसी फिल्म है, जिसका मुख्य पात्र बेनाम है। इसका कारण साधारण भी है और असाधारण भी। निराले चरित्र-चित्रण के बारे में फिल्म निर्देशक विजयगिरि बावा कहते हैं, “यह मानवीय भावना और रिश्तों की अंतरंग कहानी है। हमने उन सभी महिलाओं के जीवन को पेश करने की कोशिश की है, जिन्होंने दूसरों की सेवा में अपनी पहचान तक खो दी है। यही कारण है कि हमने मुख्य पात्र को कोई नाम नहीं दिया है।” बावा आज 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव से अलग गोवा में एक प्रेस-वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि महोत्सव का आयोजन 20 नवंबर से 28 नवंबर, 2021 तक गोवा में हो रहा है। यह फिल्म गुजराती लेखक श्री राम मोरी की साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत पुस्तक पर आधारित है। श्री मोरी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
बेटी, बहन, पत्नी और मां के दर्जे तक पहुंचते-पहुंचते, महिलायें त्याग और बलिदान का प्रतीक होती हैं। हम कितनी बार यह समझकर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं? फिल्म निर्देशक ने बताया कि 21st टिफिन उन सभी महिलाओं को नमन है, जो दूसरों को खुश रखने के लिये अथक सेवा के दौरान अपनी पहचान तक खो देती हैं।
फिल्म निर्देशक ने कहा कि उनकी फिल्म में एक प्रौढ़ महिला की कहानी दर्शायी गई है, जो अपने परिवार के लोगों की सेवा करने के साथ-साथ बाहरी लोगों को टिफिन बॉक्स भेजकर उनकी सेवा में व्यस्त रहती है। यह महिला खुद टिफिन सर्विस चलाती है, तथा साथ ही एक पत्नी, मां, बेटी, बहन और मित्र के विभिन्न कर्तव्यों को भी पूरा करती रहती है।
आगे चलकर यह बात सामने आती है, कि इस दौरान वह अपना जरा भी खयाल नहीं करती। उसकी बेटी नीतू को एहसास होता है कि उसकी मां अपनी सभी भूमिकायें कितनी खूबी से निभा रही हैं, लेकिन उनके व्यवहार में कुछ तो गड़बड़ है। हालात उस समय बदलते हैं, जब ध्रुव नाम का एक लड़का उस महिला के पास उसकी टिफिन सर्विस का 21वां ग्राहक बनकर आता है। वह लड़का उसका प्रशंसक बन जाता है। अपने काम की इस अचानक होने वाली सराहना से महिला की वेदना दूर हो जाती है। बावा कहते हैं कि गुजरात को प्रायः व्यापार और कारोबार के लिये जाना जाता है, लेकिन राज्य में बहुत अच्छे कलाकार भी हैं। वे कहते हैं, “हमारी कला और कलाकारों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बहुत कम प्रतिनिधित्व मिला है।”
जन योजना अभियान के माध्यम से पेसा राज्यों के आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के लिए दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला
रामजी पांडे
नई दिल्ली:एनआईआरडी एवं पीआर, हैदराबाद और आईजीपीआरएस जयपुर के सहयोग से पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 22 और 23 नवंबर, 2021 को जयपुर, राजस्थान में जन योजना अभियान के माध्यम से पेसा राज्यों के 'आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन' के लिए दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। श्री रविशंकर श्रीवास्तव, डीजी आईजीपीआरजीवीएस, श्रीमती रेखा यादव, संयुक्त सचिव, पंचायती राज मंत्रालय, श्री. पी. सी. किशन, सचिव, पंचायती राज, राजस्थान सरकार और श्री राजेंद्र सिंह कैन, अपर निदेशक, आईजीपीआरएस ने कार्यशाला का उद्घाटन किया। कार्यशाला में 8 राज्यों के 100 से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया। डीजी, आईजीपीआरजीवीएस ने विभिन्न विभागों की योजनाओं के व्यावहारिक दृष्टिकोण और अभिसरण के साथ जीपीडीपी के महत्व पर प्रतिभागियों को संबोधित किया। संयुक्त सचिव, पंचायती राज मंत्रालय ने गुणवत्ता वाले जीपीडीपी के महत्व और इसके निष्पादन, नीतिगत हस्तक्षेप, एकीकृत, समावेशी और समग्र योजना के लिए डेटा संचालित दृष्टिकोण पर चर्चा की। मंत्रालय द्वारा विभिन्न डैशबोर्ड के माध्यम से उपलब्ध आंकड़ों का लाभ उठाकर आईईसी गतिविधियों, संबंधित विभागों की भागीदारी और साक्ष्य-आधारित योजना के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
इस कार्यक्रम में ग्रामीण विकास मंत्रालय, पीएफआरडीए (अटल पेंशन योजना), यूनिसेफ, यूएनएफपीए और कुदुम्बश्री-एनआरओ के अधिकारी भी उपस्थित थे। जीपीडीपी में विभिन्न स्कीमों के अभिसरण और ग्रामीण विकास के सामाजिक और आर्थिक कल्याण के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा की गई। योजना प्रक्रिया, क्रियान्वयन और योजनाओं की निगरानी पर राज्य के अधिकारियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, मॉडल पंचायतों के सदस्यों सहित प्रतिभागियों द्वारा पूरे दिल से भागीदारी और जीवंत चर्चा की गई।